रणजीत बच्चन से कैसे मिली थी दूसरी पत्नी और क्यों रची थी हत्या की खौफनाक साजिश, जानिए
विश्व हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रणजीत बच्चन की हत्या की साजिश उनकी दूसरी पत्नी स्मृति ने दोस्त दीपेंद्र के साथ मिल कर रची थी। गुरुवार को स्मृति, दीपेंद्र व संजीत को गिरफ्तार करते हुए पुलिस कमिश्नर ने इसकी जानकारी दी। वहीं, रणजीत बच्चन पर गोली चलाने वाले शूटर जितेंद्र फरार है। जिसकी गिरफ्तारी के लिए 50 हजार रुपए का इनाम रखा गया है। वहीं, गृह विभाग की तरफ से हत्या का खुलासा करने वाली टीम को पांच लाख रुपए का इनाम देने की घोषणा की गई है।
2014 में स्मृति से रंजीत की दोस्ती हुई
पुलिस कमिश्नर सुजीत पाण्डेय ने बताया कि रणजीत बच्चन की दूसरी पत्नी स्मृति को विकासनगर स्थित उसके घर से और दीपेंद्र को मुम्बई से गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने बताया कि रणजीत बच्चन ने पहली शादी कालिंदी शर्मा से की थी। वर्ष 2014 में रणजीत की दोस्ती स्मृति से हो गई। जिसके बाद दोनों ने शादी कर ली। स्मृति के मुताबिक उसे रणजीत की पहली शादी के बारे में जानकारी नहीं थी। कुछ वक्त बाद हकीकत सामने आने पर उसने विरोध किया। इस पर रणजीत उसके साथ मारपीट करने लगा। परेशान होकर स्मृति विकासनगर स्थित घर आ गई। इसके बाद भी रणजीत ने उसका पीछा नहीं छोड़ा। पति से अलग होने के बाद स्मृति की पहचान दीपेंद्र से हुई। वह लोग शादी करना चाहते थे। जिसमें रणजीत अड़चन डाल रहा था। इसी वजह से स्मृति और दीपेंद्र ने रणजीत को रास्ते से हटाने की योजना तैयार की थी।
पुलिस कमिश्नर सुजीत पाण्डेय ने बताया कि हत्या के बाद से ही पुलिस स्मृति पर नजर रखे हुए थी। दो फरवरी की सुबह हत्या कर फरार हुए संदिग्धों के फुटेज मिले थे। सर्विलांस की मदद से भी स्मृति की कॉल डिटेल से एक संदिग्ध नम्बर चिह्नित किया गया था। जो दीपेंद्र का था। हत्या के बाद सामने आई फुटेज में दिखने वाले संदिग्धों से भी दीपेंद्र का हुलिया मिल रहा था। छानबीन के दौरान दीपेंद्र के मुम्बई में होने की खबर मिली। जहां से मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया।
होटल में रुक कर रणजीत पर रखे थे निगाह
29 जनवरी को दीपेंद्र भाई जितेंद्र के साथ लखनऊ आकर एक होटल में रूका था। पुलिस कमिश्नर सुजीत पाण्डेय के अनुसार आरोपियों ने सफेद रंग की कार से तीन दिन तक रणजीत बच्चन के ओसीआर स्थित घर से सीडीआरआई जाने तक के रास्ते की रेकी की थी। जिसके बाद वह लोग रायबरेली लौट गए थे। एक फरवरी की रात दीपेंद्र और जितेंद्र ड्राइवर संजीत के साथ बोलेनो कार से लखनऊ वापस आए थे। दो फरवरी की सुबह हजरतगंज चौराहे के पास दीपेंद्र कार से उतर गया। वहीं, जितेंद्र थोड़ी दूर स्थित कैपिटल सिनेमा के पास खड़ा हो गया था। पुलिस को मिली फुटेज से इसकी पुष्टि हुई है। पुलिस कमिशनर ने बताया कि रणजीत रिश्तेदार आदित्य के साथ ओसीआर से निकल कर सीडीआरआई जा रहे थे। उसी वक्त से आरोपियों ने पीछा करना शुरू कर दिया था। ग्लोब पार्क के पास जितेंद्र ने रणजीत बच्चन व आदित्य पर गोलियां चलाई थी। सिर में गोली फंसने से रणजीत की मौत हो गई थी, जबकि आदित्य घायल हुआ था।
हत्या कर पहुंचे थे रायबरेली
हजरतगंज सनसनीखेज हत्याकांड को अंजाम देने के बाद ड्राइवर संजीत के साथ दीपेंद्र और जितेंद्र रायबरेली गए थे। भागते वक्त आरोपियों ने रणजीत व आदित्य से छीने गए मोबाइल फोन लक्ष्मण मेला मैदान के पास फेंक दिए थे। जिन्हें पुलिस ने बरामद कर लिया था। जेसीपी नीलाब्जा चौधरी के अनुसार फुटेज से सफेद रंग की संदिग्ध कार लक्ष्मण मेला मैदान की तरफ से जाते हुए नजर आई थी। उन्होंने बताया कि बदमाश पुलिस से बचने के लिए हैदरगढ़ होते हुए रायबरेली पहुंचे थे। जहां संजीत व जितेंद्र को छोड़ने के बाद दीपेंद्र मुम्बई भाग गया था।