डाटा चोरी के ज्यादातर मामलों में कमजोर पासवर्ड असली वजह

डाटा चोरी के 80 फीसदी मामलों के पासवर्ड का कमजोर होना असली वजह है। स्विट्जरलैंड के दावोस में विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की सालाना बैठक के दूसरे दिन साइबर सुरक्षा पर जारी एक अध्ययन रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।

शोधकर्ताओं के मुताबिक अकाउंट में सेंधमारी से जुड़े हर पांच में से चार मामलों में या तो कमजोर पासवर्ड या पासवर्ड चोरी ही वजह होती है। साल 2020 में साइबर अपराधों से वैश्विक अर्थव्यवस्था को हर सेकेंड 29 लाख डॉलर (लगभग 2030 लाख रुपये) का नुकसान होने का अनुमान है। शोधकर्ताओं ने कहा, पासवर्ड न होना कमजोर या संवेदनशील पासवर्ड रखने से ज्यादा बेहतर है। पासवर्ड के जंजाल से मुक्त होकर और वन टाइम पासवर्ड व फिंगरप्रिंट सहित आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित अन्य प्रमाणन प्रणालियां अपनाकर लोग न सिर्फ अपने अकाउंट या उपकरण को ज्यादा सुरक्षित बना सकते हैं, बल्कि इससे कंपनियों के खर्च में भी भारी कटौती होगी।

50% खर्च के लिए जिम्मेदार

डब्ल्यूईएफ के अनुसार पिनकोड, पासकोड, पासफ्रेज सहित अन्य पासवर्ड आधारित प्रमाणन प्रणालियों का इस्तेमाल न सिर्फ यूजर के लिए बड़ा सिरदर्द है, बल्कि इनके रखरखाव पर कंपनियों को भी भारी-भरकम खर्च भी करना पड़ता है। बड़ी कंपनियों में आईटी हेल्पडेस्क पर खर्च होने वाली कुल धनराशि का लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ पासवर्ड को बार-बार सेट करने में व्यय होता है। अकेले कर्मचारियों के वेतन पर ही कंपनियों को हर साल औसतन दस लाख डॉलर (लगभग 700 लाख रुपये) खर्च करने पड़ते हैं।

भविष्य के शीर्ष पांच पासवर्ड

फिदो एलायंस के सहयोग से किए गए इस अध्ययन में भविष्य की शीर्ष पांच पासवर्ड प्रमाणन प्रणालियों का भी जिक्र किया गया है। इनमें बायोमेट्रिक (फिंगरप्रिंट-आइरिस स्कैन-फेस रिकग्निशन), बिहेवियरल एनालिटिक्स (ऑनलाइन गेम्स, ऐप, ई-कॉमर्स साइट पर यूजर की गतिविधियों का विश्लेषण), जीरो-नॉलेज प्रूफ (क्रिप्टोग्राफी यानी जिसमें किसी मैसेज को खोलने का पासवर्ड सिर्फ उसे भेजने और प्राप्त करने वाले के पास हो), क्यूआर कोड और सिक्योरिटी की (ओटीपी आधारित टू-स्टेप वेरिफिकेशन प्रणाली) शामिल हैं।

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker