पुलिस पहुंचने से पहले ही बेटे संग सउदी भाग गया था आतंकी कलीमुद्दीन, ऐसे हुआ गिरफ्तार

 

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टाटानगर रेलवे स्टेशन के पास से गिरफ्तार अलकायदा आतंकी मौलाना कलीमुद्दीन मुजाहिरी की गिरफ्तारी के साथ ही उसके आतंकी इतिहास का पन्ना एकबार फिर से सामने आ रहा है, जिसमें कई खुलासे हुए हैं।

अलकायदा आतंकी मौलाना मोहम्मद कलीमुद्दीन मुजाहिरी जमशेदपुर के मानगो थाना क्षेत्र के आजादनगर के मोहम्मद फारुख का बेटा है। पहले मानगो (जमशेदपुर) थाना क्षेत्र के जवाहरनगर रोड नंबर 12 स्थित अपने घर पर जामिया मोहम्मद पी बिन अब्दुल्ला नाम से वह एक मदरसा चलाता था। झारखंड एटीएस ने मौलाना कलीमुद्दीन के मानगो के जवाहरनगर रोड नंबर 12, जहुर बागान स्थित घर की 16 सितंबर 2017 को कुर्की-जब्ती भी की थी, लेकिन पुलिस के पहुंचने के पहले ही वह अपने बेटे हुफैजा के साथ सउदी अरब भाग गया था। कुर्की के दौरान एटीएस की टीम को बहुत अधिक सामान हाथ नहीं लगे। घर से सारा सामान पहले ही हटा लिये गये थे। उसके घर से छह पंखे, वॉशिंग मशीन, चौकी, दो स्टेबलाइजर, दो इन्वर्टर, बैटरी, मदरसा से पांच रजिस्टर और कुछ फर्नीचर जब्त किये गये थे। इसके अलावा एटीएस को मानवाधिकार आयोग का पत्र भी हाथ लगा था। घर की दूसरी और तीसरी मंजिल पूरी तरह खाली थी। एटीएस टीम और आजादनगर पुलिस जब कलीमुद्दीन के घर पर कुर्की के लिए पहुंची तो घर के पहले तल्ले पर अहमद खान और उनके परिवार की महिलाएं मिली। उस समय अहमद खान ने बताया था कि कलीमुद्दीन के भाई आलम ने उनलोगों को सात महीने पहले प्रतिमाह डेढ़ हजार रुपये किराये पर मकान दिया है।

2016 से ही एनआईए के साथ अन्य सुरक्षा एजेंसियों को थी तलाश

आतंकी कलीमुद्दीन लंबे समय से आतंकी संगठन अलकायदा से जुड़ा हुआ है। एनआईए के साथ ही अन्य सुरक्षा एजेंसियों को वर्ष 2016 से ही इसकी तलाश थी। कालीमुद्दीन के खिलाफ जमशेदपुर के बिष्टुपुर थाने में आर्म्स एक्ट, सीएलए एक्ट, यूएपीए एक्ट के साथ ही आतंकवादी संगठन अलकायदा से जुड़ने, आतंकी संगठन का विस्तार करने, जिहाद के लिए युवाओं को भड़काने और देशद्रोह का मामला 25 जनवरी 2016 को दर्ज हुआ था।

एक फरवरी 2016 को पुलिस ने पकड़ा था, मानवाधिकार आयोग के दबाव में छोड़ा

मौलाना कलीमुद्दीन और उसका बेटा हुफैजा एक फरवरी 2016 को जमशेदपुर पुलिस के हत्थे चढ़ा था। तब उसने मानवाधिकार आयोग से पुलिस प्रताड़ना की शिकायत की थी। इस बारे में मौलाना ने प्रधानमंत्री तक को चिट्ठी लिखी थी। बाद में आयोग के हस्‍तक्षेप के चलते जमशेदपुर पुलिस ने उसे छोड़ दिया था।

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