गौवंश और गौ-अंग तस्करों की राजधानी बन गया जिला उन्नाव
अभिषेक त्रिपाठी
मेरठ से हापुड़ तक फैला है उन्नाव से संचालित गौवंश और गौ-अंग तस्करों का नेटवर्क
● उन्नाव के इंडस्ट्रियल एरिया में फैला है मरे जानवरों के अंगों से लेकर मांस तक का काला कारोबार
● लखनऊ स्थित गौशालाओं से लाये गए जानवरों की तस्करी दूर-दराज के जिलों तक
● मृत गौवंश के जहरीले मांस की सप्लाई उन्नाव से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई शहरों तक
● मृत गौवंश के अवशेषों और इंडस्ट्रियल वेस्ट से सई नदी समेत कई नदियाँ हुई ज़हरीली
● हफ्ते भर पहले पकड़े गए मृत गायों से भरे ट्रक के साथ तीन को पकड़ा
● लेकिन जांच में शिथिल पुलिस असल गिरोह संचालक तक भी नहीं पहुंच पाई
● गौ तस्करों द्वारा सहकारी समितियां बनाकर गौशालाओं से ही गौवंश पाने का हथकंडा उजागर
● जिला उन्नाव में ऐसे दर्जनों गैंग सक्रिय
● जिम्मेदारों का डर : सरगना को पकड़ा तो गिरोह के संरक्षक सफेदपोशों नाम जायेंगे खुल
कानपुर। राजधानी लखनऊ से सटा जिला उन्नाव गौवंश और गौ-अंग तस्करों की राजधानी बन गया है। उन्नाव हाइवे पर स्थित इंडस्ट्रियल एरिया में बंद पड़ी फैक्टियों और कबाड़ से भरे औद्योगिक प्लॉटों में गौवंश वध से लेकर गौवंश अंगों और मांस तक का व्यापार धड़ल्ले से जारी है। इतना ही नहीं, यहां से मृत मवेशियों का खराब व ज़हरीला मांस तक आसपास जिलों के होटलों में खाने में परोसने के लिए सप्लाई कर दिया जाता है। ऊपर से गौवंश तस्कर और धंधेबाज मृत गौवंश के सींग, खुर, खाल आदि निकाल कर बेंचने के बाद उनके अवशेष आसपास के नदियों में प्रवाहित करके सिंचाई के पानी को भी ज़हरीला बना रहे हैं।
सहकारी संस्था बनाकर, किराये पर फैक्ट्री लेकर धंधा
इस गौरक़ानूनी कार्य के लिए गौवंश तस्कर व धंधेबाज बंद पड़ी फैक्ट्रियों व खाली पड़े औद्योगिक प्लॉटों को ऊंचे रेट में किराए पर लेते हैं। बिल्कुल उसी स्टाइल में जैसे कि अवैध ग्लू फैक्ट्रियां और भट्टियाँ लगाने के लिए उन्नाव में कई गिरोह कर रहे हैं। अपने गंदे-धंधे के लिए गिरोह संचालक बाकायदा सहकारी संस्था बनाकर, गौशालाओं से निस्तारण के नाम पर मृत या बीमार गौवंश लेते हैं। कभी-कभी मिलीभागत से जिंदा जानवर भी लाते हैं। गौवंश व अंग तस्करों की ये मोडस ओपेरेंडी हाल में उन्नाव दही चौकी में मृत गायों से भरे ट्रक के पकड़े जाने पर उजागर हुई।
सवाल : कौन हैं और कहां हैं दो फरार अज्ञात आरोपी!
ये सारे तथ्य हमें बताये और दिखाए हैं उन लोगों ने जो आये दिन उन्नाव पुलिस को सूचनाएं देकर गौवंश तस्करों और तस्करी के जानवरों को पकड़वाने में मदद करते हैं। इस बार बजरंग दल के जिला से संयोजक नमन पांडेय ने पुलिस को सूचना देकर लगभग दो दर्जन मृत गायों से भरे डीसीएम ट्रक को पकड़वाया। ये ट्रक अति व्यस्त कानपुर-लखनऊ हाईवे के इंडस्ट्रियल एरिया साइट 2, दही चौकी के एक खाली प्लाट के बाहर पकड़ा गया। साथ मे एक वैगन-आर कार भी पकड़ी गई।
पुलिस ने मृत मवेशी लदे ट्रक के साथ पकड़े गए तीन लोगों उन्नाव सदर निवासी मो. जावेद उर्फ कल्लू, हापुड़ के ईदगाह रोड निवासी मोबीन और बांगरमऊ के गंजमुरादाबाद निवासी मो. नसीम को मौके से गिरफ्तार किया। जबकि एफआईआर पांच के खिलाफ की गई। जिसमें एक ड्राइवर और एक अज्ञात शामिल है।
पुलिस को इस प्लाट में भारी संख्या में मवेशियों के कंकाल और अंग भी पड़े मिले। यानी कि इसी प्लाट से लंबे समय से मवेशियों के अंगों का काला कारोबार जारी था। घटना रविवार 8 सितंबर की है। लेकिन पुलिस अभी एक ड्राइवर और दूसरे अज्ञात के बारे में कुछ पता लगा पाने में विफल रही है, या शायद पता लगाना नहीं चाहती है।
सूत्रों के अनुसार पांचवां अज्ञात व्यक्ति ही गिरोह का सरगना है, जिसका नाम अशरफ कुरैशी उर्फ फद्दन, पुत्र हबीब कुरैशी, निवासी कसाई टोला चौधराना उन्नाव है। इतना ही नहीं, ये सरगना अशरफ पकड़े गए मो.जावेद का पिता है और अपने ही नाम से बनी संस्था, अशरफ सहकारी समिति का प्रबंधक भी है। इसी सहकारी समिति के नाम पर इसको लखनऊ की कान्हा उपवन नाम की गौशाला से वो 23 मृत गायें मिली थीं, जिनको दही चौकी में पकड़ा गया। लेकिन नॉयमानुसार लखनऊ में ही इन मृत गायों का निस्तारण करने के बजाए अशरफ अपने पुत्र मो जावेद व अन्य के संग गैरकानूनी रूप से इनको उन्नाव ले आया।
मुबीन मेरठ-हापुड़ तक पहुंचाता है ज़हरीला मांस
सूत्रों के अनुसार पकड़े गये तीन आरोपियों में से एक, हापुड़ के ईदगाह रोड निवासी मोबीन ही अपने दूसरे साथियों के संग मेरठ से लेकर हापुड़ तक मृत गायों का ज़हरीला हो चुका मांस सप्लाई करता था। जिसको वहां के होटलों में लोगों को परोस दिया जाता था। बताया गया कि ये बात उसने खुद कबूल की, जबकि पुलिस ने खुलासा नहीं किया। वहीं इस ज़हरीले मांस की सप्लाई के लिए बर्फ भरे जिन सफेद थर्माकोल के डिब्बों का उपयोग होता था, वो भी बड़ी संख्या में स्पॉट से बरामद किए गए। उन डिब्बों की फोटोग्राफ्स व वीडियो हमारे पास मौजूद है। इन डिब्बों और वहां फैले पड़े गौवंश अवशेषों को पुलिस ने हटवाया।
इस दूसरे ठिकाने की ओर पुलिस ने झाँका भी नहीं!
एक तथ्य ये भी प्रकाश में आया है की जहां पर गिरोह और ट्रक पकड़ा गया, इस गैंग ने उसी के सामने, सड़क के पार महाराजा लेदर बोर्ड नाम की बंद पड़ी फैक्ट्री को किराये पर ले रखा था, जहां पर एक साथ सैकड़ों जानवरों को बांधने के लिये व्यवस्था कर रखी थी। और ट्रक पकड़े जाने पर बाकी गिरोह सदस्य उस स्थान को खाली करके बजाग गए। उक्त स्थान की व्यवस्था देखकर लगता है कि वहां जानवरों की जिबह भी किया जाता था। पब्लिक को सब मालूम है पर आरोप है कि पुलिस ने इस स्थान की ओर झांकना भी मुनासिब नहीं समझा।
अधिकारियों को फिक्र नहीं!
उधर पूरे मामले पर जानकारी लेने को एसपी उन्नाव माधव प्रसाद वर्मा को दोपहर से रात तक दर्जनों बार कॉल किया गया, मैसेज भी डाला गया, लेकिन उन्होंने फ़ोन उठाना या जवाब देना मुनासिब नहीं समझा। वहीं सीओ सदर उन्नाव अंजनी राय ने इस बाबत पूछने पर यही कहा की अभी तक अज्ञात शख्स के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है। बाकी इन्वेस्टीगेशन चल रही है, अधिक जानकारी नहीं दे पाएंगे। कुल मिलाकर इतना गंभीर मैटर होने के बावजूद उन्नाव पुलिस का ऐसा लचार रुख देखकर समझ मे आ गया कि क्यों गौवंश तस्कर गिरोह फलफूल रहे हैं।
इस सवाल क़ा जवाब दे पुलिस
वहीं बजरंग दल के उन्नाव जिला संयोजक नमन बाजपेई ने भी पुलिस के रुख से नाराजगी जताई। उन्होंने सवाल उठाया कि “ऐसा कैसे हो सकता है कि लखनऊ आदि से ट्रकों में लगातार गौवंश तस्करी हो रही हो रहे हो और पुलिस-प्रशासन को पता नहीं हो??” जबकी लंबे समय से उन्नाव में ये सब हो रहा है, क्योंकि यहां इस कार्य से संबंधित फैक्टियों भी हैं। उनका कहना है कि आम जनता भी आज यही सवाल पूछ रही है, की आखिर पुलिस जानबूझ कर आंखें बंद क्यों कोई है।