मणिकर्णिका घाट पर शवों की कतार, पहली बार नमो घाट बंद, खतरे के निशान से ऊपर गंगा

वाराणसी में गंगा का जलस्तर रविवार को खतरे के निशान से 57 सेंटीमीटर ऊपर पहुंच गया है। इससे बाढ़ का संकट और गहरा गया है। पहली बार नमो घाट को पूरी तरह बंद कर दिया गया है। घाट पर बना आकर्षक नमस्ते संरचना अब पूरी तरह से डूबने की कगार पर है इसलिए पर्यटकों और श्रद्धालुओं की आवाजाही रोक दी गई है। इससे पहले नमो घाट पर बाढ़ का पानी इतना नहीं आया था।

वहीं, जलस्तर इतनी तेजी से बढ़ रहा है कि शीतला घाट की सड़क पर पानी पहुंच गया है। अस्सी घाट की सड़कों पर जलभराव है। सामने घाट की सड़क पर बाढ़ का पानी आ गया है।

बाढ़ का पानी बीएचयू के ट्रॉमा सेंटर से महज 800 मीटर दूर है। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर की सीढ़ियों की तरफ भी गंगा का पानी तेजी से बढ़ रहा है। शाम तक गंगा द्वार की 13 सीढ़ियां ही बची थीं। अगर जलस्तर बढ़ने का यही सिलसिला रहा तो सोमवार को गंगा द्वार की कुछ और सीढ़ियां डूब सकती हैं।

जिला प्रशासन के मुताबिक, वाराणसी के 44 गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। इस कारण 1410 परिवारों को घर छोड़ना पड़ा है। 6244 किसानों की 1721 एकड़ फसल डूब गई है। इसी तरह शहरी क्षेत्र के 24 मोहल्ले भी बाढ़ से प्रभावित हैं।

इन मोहल्लों में रहने वाले 6376 लोगों को घर छोड़ना पड़ा है। सड़कों पर पानी भर गया है। इससे आना-जाना बंद हो गया है। सबको बाढ़ राहत शिविर में जगह लेनी पड़ी है। गंगा जलस्तर दो सेंटी मीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहा है।

पलट प्रवाह से वरुणा, नाद और गोमती नदी भी उफनाई हैं। इसका असर आबादी क्षेत्रों में दिख रहा है। काशी के 84 घाटों को डुबोने के बाद गंगा शहर की ओर बढ़ चुकी हैं।

केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, सोमवार सुबह गंगा का जलस्तर खतरे के निशान 71.26 मीटर से 57 सेंटीमीटर ऊपर बह रहा है। सोमवार सुबह गंगा का जलस्तर 72.03 मीटर से बह रहा है। गंगा के जलस्तर में हर घंटे दो सेंटीमीटर की बढ़ोतरी हो रही है। रविवार की सुबह गंगा का जलस्तर 71.56 मीटर दर्ज किया गया था। रात आठ बजे तक जलस्तर 71.81 मीटर तक पहुंच गया।

काशी विश्वनाथ धाम के आसपास जल पुलिस और एनडीआरएफ तैनात
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास कार्यपालक समिति के अध्यक्ष मंडलायुक्त एस राजलिंगम ने ललिता घाट से सरस्वती फाटक, भारत माता प्रतिमा और मुख्य परिसर सहित समस्त क्षेत्र में तैयारियां का जायजा लिया। न्यास के अधिकारियों को व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। काशी विश्वनाथ मंदिर के आसपास जल पुलिस और एनडीआरएफ तैनात कर दी गई है। मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्वभूषण मिश्र ने बताया कि शिव भक्त साचन के चौथे सोमवार को बाबा के विशेष स्वरूप में दर्शन पाएंगे।

मणिकर्णिका घाट पर शवों की कतार, पैसे भी ज्यादा ले रहे
मणिकर्णिका की गलियों में नावें चल रही हैं। नाव से शव ले जाने के लिए शव यात्रियों से 200 से 500 रुपये अतिरिक्त वसूले जा रहे हैं। शवों की कतार लगी है। अंतिम संस्कार के लिए पांच से छह घंटे तक इंतजार करना पड़ रहा है। छत पर ही अंतिम संस्कार कराया जा रहा है। लकड़ी के दाम भी ज्यादा वसूले जा रहे हैं। लकड़ी का रेट प्रति मन 600-700 रुपये से बढ़ाकर 1000 से 1200 रुपये तक वसूला जा रहा है।

हरिश्चंद्र घाट पर गलियों में कम हुई जगह करना पड़ रहा तीन घंटे इंतजार
हरिश्चंद्र घाट पर जलस्तर बढ़ने के बाद गलियों में शवदाह किया जा रहा है। शवदाह के लिए लोगों को 2 से 3 घंटे लग रहे हैं। हरिश्चंद्र घाट पर बाढ़ के पहले 20-25 शवों का दाह संस्कार होता था तो अब 5-8 शवों का दाह संस्कार हो रहा है।

जल पुलिस की चौकी डूबी सड़क की ओर गंगा
दशाश्वमेध घाट पर शीतला मंदिर को पूरी तरह से डुबोने के बाद बाढ़ का पानी अब सब्जी मंडी की सड़क तक पहुंच चुका है। राजेंद्र प्रसाद घाट की तरफ से तीन सीढ़ियां अभी बाकी हैं। जल पुलिस चौकी अब पूरी तरह से डूब चुकी है। चौकी पर लगा बोर्ड ही अब नजर आ रहा है। क्षेत्र में सड़क पर पानी लगातार बढ़ रहा है जिससे लोग सड़कों पर ही स्नान कर रहे हैं।

हर घंटे दो सेंटीमीटर बढ़ रहा है जलस्तर
नाद, वरुणा और गोमती नदी भी उफनाई
गंगा घाटों पर जाने पर रोक, 100 मीटर पहले लगाई बैरिकेडिंग
सावन माह के चौथे सोमवार और बाढ़ को लेकर पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल ने रविवार की रात काशी विश्वनाथ धाम सहित प्रमुख कांवड़ मार्गों का निरीक्षण किया। श्रद्धालुओं की सुरक्षा और बाढ़ प्रबंधन की तैयारियों की समीक्षा की। पुलिस आयुक्त ने कहा कि बाढ़ के खतरे को देखते हुए गंगा घाटों पर प्रवेश से रोकने के लिए 100 मीटर पहले बैरिकेडिंग की गई है और चेतावनी संकेतक बोर्ड लगाए गए हैं।

राजघाट की सभी सीढ़ियां डूबी
शहर के प्रमुख घाटों में शामिल राजघाट की सभी सीढ़ियां डूब चुकी हैं। अब वहां केवल ऊपरी हिस्से पर ही खड़ा होना संभव है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि यदि इसी गति से जलस्तर बढ़ता रहा तो राजघाट की सड़कों पर भी जल्द ही पानी आ जाएगा जिससे आवागमन प्रभावित होगा।

जल गतिविधियों पर अस्थायी रोक
जिला प्रशासन ने बाढ़ राहत केंद्रों की तैयारियां तेज कर दी हैं। नाविकों को घाटों पर नाव संचालन से मना किया गया है। किसी भी तरह की जल गतिविधियों पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी गई है।

गंगा की इस रफ्तार से यह अंदेशा जताया जा रहा है कि आने वाले 24 से 48 घंटे में शहर के निचले हिस्सों में पानी घुस सकता है। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि अफवाहों पर ध्यान न दें और आधिकारिक सूचनाओं का पालन करें। प्रशासन ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी है।

अगस्त 2022 में 71.54, इस बार 71.81 मीटर हुआ गंगा का जलस्तर
गंगा का जलस्तर बढ़ने से वरुणा, नाद और गोमती नदी भी उफनाई हैं। गंगा के जलस्तर ने अगस्त 2022 के रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया है। अगस्त 2022 में जहां जलस्तर 71.54 मीटर रिकॉर्ड किया गया था वह अगस्त 2025 में 71.81 मीटर दर्ज किया गया।

यह जलस्तर 27 सेंटी मीटर ज्यादा है। जलस्तर बढ़ने का सिलसिला अभी जारी है। इससे नदी विज्ञानी चिंतित हैं। उनका कहना है कि 1978 जैसी बाढ़ के हालात हैं।

उच्चतम बाढ़ बिंदु से निर्धारित होता है बाढ़ का स्तर
नदी विज्ञानी प्रो. बीडी त्रिपाठी ने बताया कि गंगा के जलस्तर को नापने के लिए राजघाट और दशाश्वमेध घाट पर गेज मीटर लगाया गया है। 1978 में आई बाढ़ के बाद बाढ़ का उच्चतम बिंदु 73.90 मीटर निर्धारित किया गया था। खतरे का निशान 71.26 मीटर और चेतावनी बिंदु 70.26 मीटर है।

चेतावनी बिंदु का अर्थ है कि अब सभी को बाढ़ के प्रति सतर्क रहना है और खुद को सुरक्षित स्थान पर ले जाना है। खतरे के निशान को पार करने का मतलब दिक्कत बढ़ती है। जिस हिसाब से जलस्तर बढ़ रहा है, उससे ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है।

गंगा का जलस्तर
वर्तमान जलस्तर 72.03
चेतावनी बिंदु 70.26
खतरे का बिंदु 71.26
अधिकतम जलस्तर 73.90

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