इस एक्टर का Dev Aanand के भाई ने रखा था शराब के ब्रांड पर नाम

बदरुद्दीन जमालुद्दीन काजी उर्फ जॉनी वॉकर हिंदी सिनेमा के सबसे बेस्ट कॉमेडियन थे। उन्होंने अपने पूरे करियर में तकरीबन 300 के करीब फिल्में की, जिसमें उन्होंने शराबी का किरदार अदा किया। कभी बस कंडक्टर और जूनियर आर्टिस्ट के तौर पर काम कर चुके जॉनी वॉकर के सपनों को पंख एक्टर बलराज साहनी ने दिए थे।
जब उन्होंने पहली बार बदरुद्दीन को देखा था, तो उन्हें मशहूर डायरेक्टर गुरुदत्त से मिलने की सलाह दी। हालांकि, जॉनी वॉकर ने ‘प्यासा’ के डायरेक्टर से मिलते ही कुछ ऐसा कर दिया, जिससे झल्लाकर गुरुदत्त ने उन्हें बाहर उठाकर फेंक दिया। क्या है जॉनी वॉकर से जुड़ा ये किस्सा और क्यों उन्हें देवानंद के भाई ने दिया शराब के ब्रांड का नाम, नीचे पढ़ें पूरी डिटेल्स:
कैसे बलराज साहनी के हाथ लगा था ये हीरा
आग का दरिया, बाराती, आर-पार और देवदास जैसी कई सुपरहिट फिल्में देने वाले जॉनी वॉकर की जिंदगी हमेशा से एक जैसी नहीं थी। इंदौर में जन्मे अभिनेता ने फिल्मों में आने से पहले काफी संघर्ष किया है। जब बदरुद्दीन बस कंडक्टर के रूप में काम करते थे, तो टिकट काटते वक्त वह अलग-अलग आवाजों से पैसेंजर का मनोरंजन भी किया करते थे। एक बार जिस बस में वह पैसेंजर की टिकट काट रहे थे, उसी में ही अभिनेता बलराज साहनी ट्रेवल कर रहे थे।
उनकी एंटरटेन करने की कला से इम्प्रेस होकर एक दिन बलराज साहनी उन्हें अपने साथ देवानंद के ऑफिस नवकेतन फिल्म्स में लेकर गए और कहा कि अगर तुमने इस शख्स को पटा लिया, तो समझो काम बन गया। जॉनी वॉकर को जिन्हें इम्प्रेस करना था, वह कोई और नहीं, बल्कि गुरुदत्त थे।
जॉनी वॉकर की हरकत से झल्ला गए थे गुरुदत्त
बलराज साहनी के ऐसा कहने पर पहले तो बदरुद्दीन इस सोच में पड़ गए कि वह ऐसा क्या करें कि उनकी एक्टिंग से गुरुदत्त इम्प्रेस हो जाए, क्योंकि फिल्मों में काम करने की उनकी ख्वाहिश पहले से ही थी। काफी सोच विचार के बाद बदरुद्दीन को ये याद आया कि वह माहिम में साइकिल चलाते वक्त तरह-तरह की आवाज निकाला करते थे, लेकिन साथ ही शराबी की एक्टिंग किया करते थे। वहीं पर उन्होंने तय किया कि वह गुरुदत्त के सामने शराबी की एक्टिंग करेंगे। अभिनेता लड़खड़ाते कदमों के साथ गुरुदत्त के ऑफिस पहुंचे और डायरेक्टर को परेशान करना शुरू कर दिया।
जॉनी वॉकर की एक्टिंग इतनी रियल थी कि गुरुदत्त को एक परसेंट भी ये नहीं लगा कि वह शराबी नहीं हैं, उल्टा निर्देशक झल्ला गए। गुरुदत्त ने उन्हें बर्दाश्त किया और उसके बाद गुस्से आकर अपने स्टाफ से कहा ‘ये शराबी कौन है, इसे बाहर फेंकों’। उनके स्टाफ ने अभिनेता को बाहर फेंक भी दिया, लेकिन उसके बाद एक्टर बलराज साहनी उन्हें लेकर गुरुदत्त के ऑफिस में वापिस आए और उन्हें बताया कि जॉनी शराबी नहीं हैं, बस वह एक्टिंग कर रहे थे। आप इन्हें फिल्म ‘बाजी’ में कोई भूमिका दे दो।
देवानंद की फिल्म में मिली थी छोटी सी भूमिका
बदरुद्दीन उर्फ जॉनी की एक्टिंग से गुरुदत्त बहुत इम्प्रेस हुए, लेकिन उन्होंने अभिनेता को बताया कि उनके पास 1951 में रिलीज फिल्म बाजी में रोल तो है, लेकिन वह बहुत छोटा सा है, जहां एक शराबी को जेल में देवानंद तक चिट्ठी पहुंचानी है। अब देवानंद जैसे सुपरस्टार के साथ काम करने का मौका जॉनी वॉकर नहीं छोड़ना चाहते थे, ऐसे में उन्होंने बाजी में छोटे से रोल के लिए हां कर दी, वहीं से उनके जीवन की काया ऐसी पलटी की उन्होंने एक्टिंग को ही अपना सारा जीवन समर्पित कर दिया।
जब बाजी रिलीज हुई, तो वह एक बड़ी हिट साबित हुई और खास तौर पर लोगों ने बदरुद्दीन के किरदार को काफी पसंद किया। उनके सिनेमा में चर्चे होने लगे और लोग ये गुरुदत्त से पूछने लगे कि वो शराबी आपकी फिल्म में कौन था? देवानंद को बदरुद्दीन का काम इतना पसंद आया था कि उन्होंने ये निर्णय ले लिया था कि वह उनको टैक्सी ड्राइवर फिल्म में भी कास्ट करेंगे। वहीं गुरुदत्त ने भी खुद की प्रोडक्शन कंपनी शुरू की थी, जहां उन्होंने पहली फिल्म आर-पार बनाई और इस फिल्म में उन्होंने फिर से जॉनी वॉकर को मौका दिया। मूवी में उनका रोल लंबा था और एक गाना उन पर फिल्माया गया था। इन दो बड़ी फिल्मों ने उनके रास्ते खोल दिए थे।
देवानंद के भाई ने रखवाया था शराब के ब्रांड पर नाम
बदरुद्दीन को इंडस्ट्री में पहचान तो मिल गई, लेकिन उनका नाम उनके शराबी वाले किरदार के साथ बिल्कुल भी मैच नहीं होता था। यहां तक कि खुद जॉनी भी नहीं चाहते थे कि फिल्म के क्रेडिट में उनका नाम बदरुद्दीन जाए, उसकी वजह थी कि उन्हें वह नाम धार्मिक लगता था। एक दिन देवानंद के भाई चेतन आनंद ने बदरुद्दीन को बताया कि फैंस उनका नाम नहीं जानते और पूछते हैं कि वह शराबी कौन था? तुम शराब से मिलता-जुलता ही कोई नाम क्यों नहीं रख लेते हो?
बदरुद्दीन के साथ-साथ गुरुदत्त और सभी ने काफी समय तक सोचने के बाद उनका नाम विस्की के ब्रांड जॉनी वॉकर के नाम पर रख दिया, जो अभिनेता के किरदारों के साथ बिल्कुल परफेक्ट था। ऐसे ही एक बस कंडक्टर बदरुद्दीन बन गया इंडस्ट्री का जाना-माना जॉनी वॉकर। तीन साल में 11 फिल्में करने के बाद जॉनी वॉकर को गुरुदत्त की फिल्म ‘आर-पार’ में पहली बार उनके नाम का क्रेडिट मिला था।