दिल्ली: एमसीडी ने शुरू की एकमुश्त संपत्ति कर माफी योजना, अभी नहीं वसूला जाएगा यूजर चार्ज

एमसीडी सदन की बैठक में बुधवार को घरों से कूड़ा उठाने पर जनता पर लगाए गए यूजर चार्ज को लेकर प्रस्ताव पास किया गया। इसमें अब पुनर्विचार करने और चार्ज को लागू करने से पहले समीक्षा के लिए समिति के गठन की मांग की गई है।

एमसीडी ने संपत्ति करदाताओं को बड़ी राहत देते हुए वर्ष 2025-26 के लिए नई एकमुश्त संपत्ति कर माफी योजना सुनियो 2025-26 शुरू करने का निर्णय लिया है। आयुक्त की ओर से लाई गई इस योजना को वन प्लस फाइव नाम दिया गया है, क्योंकि इसके तहत चालू वित्त वर्ष 2025-26 और पांच वर्षों (2020-21 से 2024-25) तक की मूल संपत्ति कर राशि का भुगतान करने पर वर्ष 2020-21 से पहले के सभी कर बकाया, ब्याज और जुर्माना पूरी तरह माफ कर दिया जाएगा।

एमसीडी के अनुसार, इस योजना का उद्देश्य कर विवादों का निपटारा करना, कर संग्रह को बढ़ावा देना, संपत्ति कर रिकॉर्ड एकत्रित करना और उन करदाताओं को राहत देना है, जो विभिन्न कारणों से वर्षों से बकाया चुका नहीं पाए थे। योजना के तहत आवासीय संपत्तियों के लिए पिछले पांच वर्षों और गैर-आवासीय संपत्तियों के लिए छह वर्षों का कर चुकाना अनिवार्य होगा।

योजना एक जून 2025 से प्रभावी होकर 30 सितंबर 2025 तक मान्य रहेगी। सभी करदाताओं के लिए भुगतान केवल ऑनलाइन स्वीकार किया जाएगा। किसी का मामला न्यायालय में लंबित हैं, तो योजना का लाभ लेने के लिए मुकदमा वापस लेने की लिखित वचनबद्धता देनी होगी। एमसीडी ने स्पष्ट किया कि यदि योजना के तहत भुगतान के बावजूद कोई राशि कम पाई जाती है तो करदाता को उस अंतर का भुगतान 30 प्रतिशत अतिरिक्त जुर्माने के साथ करना होगा।

इससे पहले एमसीडी ने 2022 में समृद्धि 2022-23 नामक ऐसी ही एक माफी योजना चलाई थी, जिससे 1.23 लाख करदाताओं ने लाभ उठाया था। इससे कर संग्रहण में 380 करोड़ रुपये (18.65 प्रतिशत) की बढ़ोतरी हुई और 1.89 लाख नए करदाता कर प्रणाली से जुड़े थे।

भुगतान करने वालों की संख्या कम
एमसीडी के अधिकार क्षेत्र में आने वाली संपत्तियों की तुलना में कर भुगतान करने वालों की संख्या अभी भी बहुत कम है। मार्च 2025 में किए गए एक सर्वे में यह पाया गया कि श्रेणी-ए कॉलोनियों के 40 प्रतिशत, श्रेणी-सी के 58 प्रतिशत और श्रेणी-एफ कॉलोनियों के 78 प्रतिशत निवासी अब भी कर प्रणाली के दायरे में नहीं हैं या उनका डाटा एमसीडी के रिकॉर्ड से मेल नहीं खाता है।

यूजर चार्ज पर पुनर्विचार की मांग
एमसीडी सदन की बैठक में बुधवार को घरों से कूड़ा उठाने पर जनता पर लगाए गए यूजर चार्ज को लेकर प्रस्ताव पास किया गया। इसमें अब पुनर्विचार करने और चार्ज को लागू करने से पहले समीक्षा के लिए समिति के गठन की मांग की गई है।

भाजपा पार्षद योगेश वर्मा की ओर से प्रस्तुत व सत्या शर्मा ने अनुमोदित किए प्रस्ताव में कहा गया कि सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के नाम पर लगाए गए यूजर चार्ज को संपत्ति कर के साथ जोड़ा गया है, जिससे करदाताओं पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ रहा है। खासतौर पर वे लोग जो समय पर हाउस टैक्स भरते हैं, उन्हीं पर यह भार डाला जा रहा है, जबकि कई क्षेत्रों में लोग हाउस टैक्स का भुगतान नहीं कर रहे, फिर भी एमसीडी की सुविधाएं उठा रहे हैं। इससे करदाता वर्ग में असंतोष बढ़ रहा है।

कई ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी खुद को जीरो वेस्ट सोसाइटी घोषित कर चुकी हैं और वेस्ट सेग्रीगेशन में भी पूरी भागीदारी निभा रही हैं। ऐसे में उन पर भी यूजर चार्ज थोपना अन्यायपूर्ण है। भाजपा ने पहले भी इस यूजर चार्ज का विरोध किया था और अब मांग की है कि जब तक समिति इस पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं कर देती और कोई स्पष्ट नीति नहीं बनती, तब तक दिल्ली की जनता से यूजर चार्ज न वसूला जाए। साथ ही, यूजर चार्ज को हाउस टैक्स से डि-लिंक करने की भी सिफारिश की गई है, ताकि लोग बिना बाधा के संपत्ति कर जमा कर सकें। इस संबंध में एमसीडी प्रशासन को तत्काल प्रभाव से कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया।

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