कैंसर की ओर ले जा सकती हैं ये 5 चीजें, कहीं आप तो नहीं करते ये गलती?

आजकल की तेज-तर्रार जिंदगी में हममें से अधिकतर लोग तला-भुना और पके हुए खाने को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाते हैं। खाने की आदतें जितनी हमारी सेहत के लिए अहम होती हैं, उतनी ही खाने के तरीकों का भी प्रभाव पड़ता है। कई बार हम बिना यह सोचे-समझे खाने को ज्यादा पकाने का काम करते हैं, जो हमारी सेहत पर हानिकारक असर डाल सकता है। हम यह नहीं जानते कि अधिक पकाए गए खाने से न केवल पोषण का नुकसान होता है, बल्कि यह कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण भी बन सकता है। यहां हम आपको 5 ऐसी चीजों के बारे में बताएंगे जिन्हें ज्यादा पकाने से कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।

आलू

आलू, खासकर जब उसे ज्यादा गर्मी में पकाया जाता है, तो उसमें एक जहरीला तत्व पैदा हो सकता है, जिसे एक्रिलेमाइड कहते हैं। यह रासायनिक पदार्थ जब गर्मी के संपर्क में आता है, तो आलू के स्टार्च के साथ मिलकर इस पदार्थ का निर्माण करता है। शोध के अनुसार, एक्रिलेमाइड शरीर में जाकर कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है। खासकर अगर आलू को ज्यादा तला जाता है या बेक किया जाता है, तो इसका असर और भी बढ़ सकता है। आलू को उबालने या हल्के से सेंकने से एक्रिलेमाइड के निर्माण को कम किया जा सकता है। आलू को ज्यादा भूनने और तलने से बचें। बेहतर होगा कि आप आलू को उबालकर या उबालने के बाद हल्का सेंक कर खाएं।

मांसाहारी उत्पाद

मांसाहारी उत्पाद, जैसे चिकन, मटन या बैकन, जब ज्यादा पके होते हैं, तो उनमें हेटेरोसायक्लिक अमाइन (एचसीए) और पॉलीसाइक्लिक ऐरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (पीएची) जैसे रासायनिक तत्व उत्पन्न हो सकते हैं। ये तत्व शरीर में जाकर कैंसर का कारण बन सकते हैं, विशेषकर अगर मांस को बहुत ज्यादा तापमान पर या सीधे आग में पकाया जाता है। इसके अलावा, मांसाहार के अधिक सेवन से कोलन और पेट के कैंसर का खतरा भी बढ़ सकता है। मांसाहारी उत्पादों को धीरे-धीरे पकाएं और ज्यादा तला-भुना खाने से बचें। मांस के सेवन में संतुलन बनाए रखें और अधिक मात्रा में न खाएं।

दूध और डेयरी उत्पाद

दूध और डेयरी उत्पाद जैसे पनीर, दही, घी आदि स्वस्थ आहार का हिस्सा माने जाते हैं, लेकिन अगर इन्हें अत्यधिक गर्म किया जाए, तो इनमें केसिन नामक प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाती है, जो कैंसर के सेल्स को उत्पन्न करने का काम कर सकता है। इसके अलावा, दूध के अधिक उबालने से उसमें लैक्टोज की मात्रा भी बढ़ जाती है, जो पाचन संबंधी समस्याओं को जन्म दे सकता है। जब दूध या अन्य डेयरी उत्पाद ज्यादा गर्म होते हैं, तो उनका पोषण भी खत्म हो जाता है।दूध को हल्का गरम करके पिएं और डेयरी उत्पादों को ज्यादा गर्म करके न खाएं।

हरी सब्जियां

हरी सब्जियां, जैसे पालक, ब्रोकोली और शलरी, अगर इन्हें अधिक देर तक पकाया जाए, तो इनमें नाइट्रेट्स का निर्माण हो सकता है। नाइट्रेट्स, खासकर उच्च तापमान पर पकाने पर, हानिकारक रसायनों में बदल सकते हैं, जो शरीर में जाकर कैंसर का कारण बन सकते हैं। पालक जैसी हरी सब्जियों में आयरन की अच्छी खासी मात्रा होती है, लेकिन अगर इन्हें अधिक देर तक पकाया जाता है, तो इनमें पोषक तत्वों की कमी हो जाती है और शरीर को सही लाभ नहीं मिल पाता। हरी सब्जियों को कम से कम पकाकर खाएं। इन्हें स्टीम करके खाना सबसे अच्छा होता है, जिससे पोषण भी बना रहता है और कैंसर का खतरा भी कम होता है।

अन्न

अन्न जैसे चावल, गेहूं, मक्का और अन्य अनाज जब बहुत ज्यादा पकाए जाते हैं, तो इनमें भी एक्रिलेमाइड का निर्माण हो सकता है। खासकर, जब इन अन्नों को ज्यादा तला जाता है या ओवन में ज्यादा देर तक पकाया जाता है, तो इनसे निकलने वाली गर्मी इन्हें हानिकारक रसायनों में बदल सकती है। इसके अलावा, ज्यादा पकाए गए अन्न में फाइबर की कमी हो जाती है, जो शरीर के लिए आवश्यक होता है।अन्न को हमेशा उबालकर खाएं और उसे ज्यादा तला हुआ या बेक न करें। खाना पकाने का तरीका सिर्फ स्वाद पर ही नहीं, बल्कि हमारे स्वास्थ्य पर भी सीधा असर डालता है। जहां एक ओर ताजा और कम पके हुए भोजन में अधिक पोषण होता है, वहीं अधिक पकाए गए खाद्य पदार्थों में हानिकारक रसायन उत्पन्न हो सकते हैं जो लंबे समय में कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं। इसलिए अपनी डाइट में संतुलन बनाए रखें और अधिक पकाए गए या तला-भुना हुआ खाना कम से कम खाएं। स्वस्थ जीवन के लिए ताजे और हल्के पकाए गए भोजन को प्राथमिकता दें और हमेशा यह याद रखें कि स्वास्थ ही सबसे बड़ा धन है।

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