नीतीश कुमार ने खोल दिए अपने ’52 पत्ते’, चुनाव से पहले साफ कर दिए इरादे

रंगों का त्योहार होली असीम उत्साह का संचार करता है। उस उत्साह की पृष्ठभूमि इस बार सबरंग बजट ने बना दी है। नीतीश कुमार ने चुनाव से पहले अपने ’52 पत्ते’ भी खोल दिए हैं। बजट (Bihar Budget 2025) में हुई 52 महत्वपूर्ण घोषणाएं वस्तुत: हर उम्र और आय-वर्ग के चेहरे पर खुशी का कोई-न-कोई रंग लाने का प्रयास ही तो हैं। नि:संदेह इस प्रयास से सरकार का भी हित सधने वाला है, लेकिन वह जन-कल्याण के आधार पर ही।
लोकतंत्र की समाजवादी अवधारणा भी यही है, जिसे नीतीश सरकार अपने प्रारंभिक काल से ही फलीभूत कर रही। इस बार उसका रंग कुछ चटख है तो उसका कारण जनता की अपेक्षा है। अपेक्षा भी उसी से होती है, जो संभव कर पाने में सक्षम हो। बिहार की बदहाल अर्थव्यवस्था को विकास की पटरी पर विवेकपूर्ण राजकोषीय प्रबंधन से ही लाया जा सकता था।
कर्ज के दलदल में नहीं धंसा बिहार…
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उसे संभव कर दिखाया है और यह भी कि कई विकसित राज्यों की तरह बिहार कर्ज की दलदल में नहीं धंसा, जबकि राजस्व के अपने स्रोत सीमित हैं। इस सीमित स्रोत के बावजूद बिहार की विकास-दर वर्तमान मूल्य पर 14.5 प्रतिशत रही है और बजट आकार बढ़कर 3.17 लाख करोड़ तक पहुंच गया है, जबकि राजकोषीय घाटा अधिकतम तीन प्रतिशत की सीमा से भीतर ही है।
नौकरी और रोजगार सरकार की प्राथमिकता में हैं। निकट भविष्य में 1.40 लाख नई नियुक्तियां होंगी। प्रखंडों में स्टेडियम और पंचायतों में खेल के मैदान का सर्वाधिक लाभ नई पीढ़ी को ही मिलेगा। उनमें युवतियां भी होंगी, जिनके लिए ड्राइविंग प्रशिक्षण केंद्र से लेकर ड्राइवर-खलासी के पद पर नियुक्ति और परिवहन निगम के मेंटेनेंस डिपो में आरक्षण तक की घोषणा है।
महिलाओं पर सरकार का विशेष फोकस
ये युवतियां उस आधी आबादी का अंश हैं, जिनके लिए बजट में इस बार बहुरंगी घोषणाएं हैं। इससे युवा वर्ग के साथ महिला सशक्तीकरण के लिए सरकार की प्रतिबद्धता स्पष्ट होती है। इस प्रतिबद्धता में कमजोर और कम आय वर्ग के वे बच्चे भी हैं, जिनकी छात्रवृत्ति की राशि दोगुनी की गई है। लाभार्थी बच्चों की संख्या लगभग 1.25 करोड़ है। प्रति परिवार पांच सदस्य की गणना करें तो इस एक योजना से सरकार जन-हितैषी होने का संदेश लगभग छह करोड़ लोगों तक पहुंचा दे रही।
गांवों और गरीबों पर भी सरकार का ध्यान
गांवों और गरीबों के बहुआयामी विकास पर सरकार का फोकस शुरू से ही है। बजट में उसके लिए भी नानाविध उपाय हुए हैं। कुल बजट का 8.58 प्रतिशत हिस्सा तो ग्रामीण कार्य और ग्रामीण विकास के लिए ही आवंटित है। वह चाहें प्रखंडों में डिग्री कालेज हो या हर अनुमंडल मुख्यालय में रेफरल अस्पताल, अंतिम लाभ जनता को ही मिलना है, और वह भी गांव-जवार के लोगों को विशेषकर।
दलहनी फसलों के लिए एमएसपी हो या तरकारी आउटलेट बनाने की योजना, विकास की किरण किसान के घर तक ही पहुंचनी है। उद्यमिता से जुड़कर यह किरण कुछ और प्रखर होगी, इसलिए सरकार खाद्य प्रसंस्करण की नई नीति लाएगी, जो किसानों की आय बढ़ाने के साथ नए रोजगार का सृजन भी करेगी। नौकरी और रोजगार के सृजन के उद्देश्य से ही नई औद्योगिक प्रोत्साहन नीति भी बनाई जानी है।
- बजट में 52 महत्वपूर्ण घोषणाएं: ये घोषणाएं हर आय-वर्ग और उम्र के लोगों के चेहरे पर खुशी लाने का प्रयास हैं, जिससे सरकार का जन-कल्याण बढ़ेगा।
- युवा और महिला सशक्तिकरण: 1.40 लाख नई नियुक्तियां, खेल के मैदान, ड्राइविंग प्रशिक्षण केंद्र, और महिला सशक्तिकरण के लिए कई योजनाएं इस बजट का हिस्सा हैं।
- ग्रामीण विकास और किसानों की मदद: बजट का 8.58% हिस्सा ग्रामीण विकास के लिए आवंटित किया गया, जिसमें एमएसपी, खाद्य प्रसंस्करण नीति, और किसानों की आय बढ़ाने के उपाय शामिल हैं।