गाजियाबाद कोर्ट में पेशी के दौरान कस्टडी से भागा हत्यारोपी सवा साल बाद हुआ गिरफ्तार

गाजियाबाद कोर्ट में पेशी के दौरान कस्टडी से भागा हत्यारोपी सवा साल बाद क्राइम ब्रांच के हत्थे चढ़ गया। पुलिस ने उसे गुरुवार रात कविनगर थानाक्षेत्र से गिरफ्तार किया। पुलिस के मुताबिक कस्टडी से भागने के बाद आरोपी मुंबई भाग गया था और फिर दिल्ली में आकर कंप्यूटर रिपेयरिंग का काम करने लगा। अधिकारियों का कहना है कि फरार होने के चलते आरोपी पर एक लाख रुपये का इनाम घोषित किया गया था।

एडीसीपी क्राइम सच्चिदानंद ने बताया कि 13 अगस्त 2016 को खोड़ा थानाक्षेत्र में नरगिस नामक महिला की हत्या की गई थी। नरगिस हत्याकांड में पुलिस ने उसके जीजा नौशाद निवासी लोकप्रिय विहार खोड़ा को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। नौशाद पर साली नरगिस की हत्या के बाद शव के टुकड़े कर फ्रीज में छिपाने का आरोप था। एडीसीपी ने बताया कि सात अगस्त 2019 को पुलिस नौशाद को डासना जेल से लेकर पेशी के लिए गाजियाबाद कोर्ट पहुंची थी।

जहां से नौशाद अभिरक्षा में तैनात सिपाहियों को चकमा देकर फरार हो गया था। नौशाद की गिरफ्तारी पर तत्कालीन एसएसपी ने 25 हजार रुपये का इनाम घोषित किया था। 14 जनवरी 2020 को यूपी एसटीएफ की टीम ने नौशाद को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। 18 अक्तूबर 2023 को नौशाद की नरगिस हत्याकांड में कोर्ट में पेशी थी।

आरोप है कि उस दिन भी नौशाद अभिरक्षा में तैनात सिपाही शाहनवाज को चकमा देकर फरार हो गया था। जांच में सामने आया था कि नौशाद ने सिपाही शाहनवाज से कुछ सामान खरीदने की बात कही और जैसे ही शाहनवाज उसे कचहरी परिसर से बाहर ले जाने लगा तो वह उसे चकमा देकर फरार हो गया। एडीसीपी ने बताया कि दूसरी बार कस्टडी से भागे नौशाद की गिरफ्तारी का जिम्मा क्राइम ब्रांच को सौंपा गया था। साथ ही उस पर एक लाख रुपये का इनाम घोषित किया गया था। गुरुवार रात क्राइम ब्रांच प्रभारी अब्दुर रहमान सिद्दीकी के नेतृत्व में टीम ने नौशाद को कविनगर थाना क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया।

पहले मुंबई भागा फिर दिल्ली में रहने लगा

एडीसीपी क्राइम ने बताया कि नौशाद 12वीं पास है और उसने कंप्यूटर रिपेयरिंग का कोर्स कर रखा है। नौशाद के खिलाफ गाजियाबाद में अलग-अलग धाराओं के छह मुकदमे दर्ज हैं। नौशाद ने पूछताछ में बताया कि वह कस्टडी से भागने के बाद दिल्ली पहुंचा और फिर वहां से ट्रेन के जरिए मुम्बई पहुंच गया था। मुंबई के बांद्रा में वह एक झुग्गी में रहा और फलों की ठेली लगाकर अपनी आजीविका चला रहा था। मुंबई में सात माह काम करने के बाद वह दिल्ली आ गया और बदरपुर की गौतमपुरी कॉलोनी में छिप कर रहने लगा। वहां वह दिल्ली के नेहरू प्लेस में कंप्यूटर रिपेयरिंग का काम करने लगा।

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