IAS अधिकारी नियाज खान के पोस्ट से सोशल मीडिया से मचा विवाद, पढ़ें पूरी खबर…

मध्य प्रदेश के आईएएस अधिकारी नियाज खान ने हाल ही में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट कर विवाद खड़ा कर दिया है। अपने पोस्ट में उन्होंने कहा कि इस्लाम अरबी धर्म है और भारत में हर कोई हिंदू है। उन्होंने यह भी कहा कि लोग हिंदू से मुसलमान बने और मुसलमानों से अपील की कि जो लोग अरबी संस्कृति को आदर्श मानते हैं, उन्हें इसे फिर से विचारने की जरूरत है। आपको बता दें कि उन्होंने ब्राह्मणों की प्रशंसा में एक किताब भी लिखी है, जिसका नाम उन्होंने ‘ब्राह्मण द ग्रेट’ रखा है।
नियाज खान ने 16 फरवरी को एक्स पर एक पोस्ट किया था। उन्होंने लिखा, “इस्लाम अरबी धर्म है। यहां भारत में हर कोई हिंदू था। लोग हिंदू से मुसलमान बने। इसलिए धर्म अलग हो सकता है, लेकिन खून एक ही है। हम सभी एक ही संस्कृति का हिस्सा हैं। मुसलमानों को जो अरबी संस्कृति को आदर्श मानते हैं, उन्हें फिर से सोचना चाहिए। पहले हिंदूओं को अपने भाई समझो फिर अरबी।”
इस बयान के बाद नियाज खान ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए अपनी बातों का बचाव किया है। उन्होंने कहा कि इन दिनों हिंदू-मुसलमान संबंधों को लेकर जो खबरें आ रही हैं, उन्हें देखते हुए उन्होंने यह पोस्ट किया ताकि लोगों को यह समझाया जा सके कि सबका मूल एक ही है। उन्होंने कहा, “मैं नियमित रूप से हिंदू-मुसलमान से जुड़ी खबरें पढ़ता हूं और मैंने सोचा कि क्यों न मैं अपने विचार साझा करूं। हम सबका मूल एक ही है। यह राष्ट्र शुरू से ही हिंदू था; विदेशी शासक आए, धर्मांतरण हुआ, फिर इस्लाम, ईसाई धर्म और अन्य धर्मों का प्रसार हुआ। मूल रूप से हम सभी भाई हैं। आज भले ही हमारे धार्मिक विश्वास अलग हों, लेकिन मूल रूप से हम सब यहीं से परिवर्तित हुए हैं। केवल 1-2 प्रतिशत लोग ही अरब से आए होंगे, बाकी के अधिकांश लोग भारतीय मूल के हैं।”
आईएएस अधिकारी ने कहा कि उनका उद्देश्य समाज में एकता का संदेश देना था। उन्होंने आगे कहा, “हम सभी संप्रदायिक सद्भाव से साथ रह सकते हैं। हर धर्म का अपना महत्व है, लेकिन अगर कोई मेरी जीनोम की जांच कराए तो यह अरब देशों से मेल नहीं खाएगा। यह भारत से मेल खाएगा। यह सब जगह पढ़ाया जाता है कि विदेशी आक्रमणकारी आए और धर्मांतरण हुआ। मूल रूप से हम सभी हिंदू धर्म से परिवर्तित हुए हैं। मैंने यही ट्वीट में कहा है। 90 प्रतिशत लोग अन्य धर्मों में परिवर्तित हुए हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने संविधान के दायरे में रहकर अपने विचार व्यक्त किए हैं। अगर कोई उनके विचारों से असहमत है, तो वह संविधान के तहत अपनी प्रतिक्रिया दे सकता है।