पांच दिन से धधक रहे बदरीनाथ के जंगल, हड़ताल पर वनकर्मी

चमोली जिले में बदरीनाथ वन प्रभाग के जंगल पिछले पांच दिन से धू-धूकर जल रहे हैं और जिन वन कर्मियों पर आग को बुझाने का जिम्मा है, वह हड़ताल पर चले गए हैं। ग्रामीणों ने हालांकि बुधवार शाम अपने संसाधनों से आग पर काबू पा लिया था, लेकिन रात में आग फिर भड़क उठी। ऐसे में आग के आबादी वाले क्षेत्र में पहुंचने का खतरा बना हुआ है।

चमोली जिले में एक माह के भीतर जंगल में आग लगने की 10 से अधिक घटनाएं हो चुकी हैं। जिले के देवाल विकासखंड का यह क्षेत्र बदरीनाथ वन प्रभाग की पिंडर रेंज में पड़ता है। यहां सुदूरवर्ती वाण गांव के टाकुला व जेरुड तोक से लगे जंगल लगातार धधक रहे हैं।

लगातार धधक रहे जंगल

हीरा सिंह गढ़वाली, प्रेमराम, भरत राम, जगदीश, गिरिराज, हेमा देवी, पुष्पा देवी ग्रामीणों ने बताया कि बुधवार शाम जंगल की आग आबादी वाले क्षेत्र तक पहुंच गई थी, लेकिन जैसे-तैसे उस पर काबू पा लिया गया, जिससे बड़ी अनहोनी टल गई।

बताया कि अन्य स्थानों पर भड़की आग को काबू करने के प्रयास भी जारी हैं। चट्टानी क्षेत्र होने के कारण वह स्वयं के संसाधनों से आग पर काबू पाने में जुटे हैं। उधर, पिंडर रेंज के रेंजर मनोज देवराड़ी का कहना है कि शुक्रवार सुबह वन विभाग की टीम चट्टानी क्षेत्र में भेजी जाएगी।

आग लगने के कारण तक नहीं तलाश पाया विभाग

ग्रामीणों का कहना है कि जंगल में आग लगने के कारणों का भी वन विभाग पता नहीं लगा पाया है। जबकि, आग से अब तक लाखों की वन संपदा स्वाहा हो चुकी है। एक ओर प्रदेश के जंगलों में आग बुझाने की माकड्रिल पर मशीनरी पसीना बहा रही है, वहीं वन कर्मियों के हड़ताल पर चले जाने से चमोली जिले में धधकते जंगलों की कोई सुध लेने वाला नहीं। ऐसे में ग्रामीण स्वयं के संसाधनों से आग बुझाने के यथासंभव प्रयासों में जुटे हैं।

2,800 वन बीट अधिकारियों ने किया कार्य बहिष्कार

देहरादून: उत्तराखंड में जंगलों के सुलगने का सिलसिला शुरू हो चुका है और फायर सीजन से पहले ही वन विभाग की दौड़-भाग बढ़ गई है। वहीं, प्रदेशभर के करीब 2,800 वन बीट अधिकारी-वन आरक्षी मांगों को लेकर कार्य बहिष्कार पर चले गए हैं। ऐसे में वन विभाग के सामने दोहरी चुनौती खड़ी हो गई है। आज वन बीट अधिकारियों के साथ वार्ता की जा सकती है। जबकि, सरकार की ओर से भी इस मामले में वार्ता की उम्मीद है।

वन बीट अधिकारी/वन आरक्षी संघ की लंबित मांगों पर कार्रवाई न होने से कर्मचारियों ने गुरुवार को कार्य बहिष्कार कर दिया। सभी वन प्रभागों में कार्मिक कार्य से विरत रहे। संघ की प्रांतीय कार्यकारिणी के निर्देश पर प्रदेशभर में करीब 2,800 कार्मिकों ने एक सप्ताह तक काली फीती बांधकर विरोध प्रकट किया और सांकेतिक धरना-प्रदर्शन भी किया।

वन आरक्षी संगठन की मुख्य मांग है कि उत्तराखंड अधीनस्थ वन सेवा नियमावली-2016 को पुनः लागू किया जाए। पदोन्नति समय पर हो, जिससे वर्तमान में हो रही वित्तीय हानि से बचा जा सके। मांग उठाई कि वर्दी नियम संशोधन कर वन आरक्षी को एक स्टार धारण करने के आदेश जारी किए जाएं।

संघ के प्रांतीय महामंत्री अनिल चंद्र शाह ने कहा कि लंबे समय से मांगों पर कार्रवाई न होने से संघ आंदोलन को बाध्य है। अधिकारियों व शासन की ओर से उचित कार्रवाई की जाती है तो सभी कार्मिक अपने काम पर लौट जाएंगे। आज होने वाली वार्ता में सकारात्मक निर्णय होने की उम्मीद है।

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