जया एकादशी से पहले इस मूलांक की चमकेगी किस्मत, इन बातों का रखें ध्यान

अंक ज्योतिष में 1 से 9 तक मूलांक के बारे में विस्तार से बताया गया है। व्यक्ति के जन्म की तारीख से उसका मूलांक पता लगाया जाता है। मूलांक के आधार पर व्यक्ति के जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के बारे में जानकारी प्राप्त की जाती है। अंक ज्योतिष के अनुसार, आज यानी 03 फरवरी (Numerology 03 February) का दिन मूलांक 03 के जातकों के लिए बेहद खास रहने वाला है। जातक की जया एकादशी (Jaya Ekadashi 2025) से पहले से किस्मत चमक सकती है। ऐसे में कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना बेहद आवश्यक है। जिन लोगों का जन्म 3, 12, 21 या 30 तारीख को होता है। उनका मूलांक 03 (Mulank 3 Jyotish) होता है। इनके स्वामी बृहस्पति ग्रह हैं। इस मूलांक के जातक जीवन में किसी के आगे झुकना पसंद नहीं करते हैं। ऐसे में अंक ज्योतिष और टैरो विशेषज्ञ पल्लवी एके शर्मा से चलिए जानते हैं कि आज मूलांक 03 के जातकों को किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए?

एंजल्स की इस सलाह का जरूर करें पालन

  • जीवन में अपन गुरु से जुड़े और आशीर्वाद प्राप्त करें और अपना शानदार समय बिताएं।
  • अपने जीवन को सफल बनाने के लिए स्किल का प्रयोग करें। इससे सफलता के रास्ते खुलेंगे।
  • हमेशा खुश रहें और खुशियां फैलाएं।
  • अगर आप किसी राजनीति का शिकार हो रहे हैं, तो अच्छे काम करने के तरीकों की सराहना करें।

इन कार्यों से बनाएं दूरी 

  • एक ही समय में 2 से अधिक काम करना।
  • किसी चीज का अधिक सेवन करना।

आज कुछ सेकंड के लिए बिना रुके इसका जाप करें -”मैं बेहद खुशी पाने के लिए और अपना जीवन पूरी तरह जीने के लिए तैयार हूं।”

इन मंत्रों का करें जप

  • ॐ नमः शिवाय।
  • ओम गं गणपतये नमः।
  • ओम नमो भगवते वासुदेवाय।
  • ॐ हनुमते नमः.
  • रोजाना सुबह पूजा के दौरान सच्चे मन से हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। माना जाता है कि हनुमान चालीसा का पाठ करने से जीवन में आ रहे दुख और संकट दूर होते हैं।

बृहस्पति देव के मंत्र

1. देवानाम च ऋषिणाम च गुरुं कांचन सन्निभम।

बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्।।

2. ॐ बृं बृहस्पतये नमः।।

3. ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः।।

4. ध्यान मंत्र –

रत्नाष्टापद वस्त्र राशिममलं दक्षात्किरनतं करादासीनं,

विपणौकरं निदधतं रत्नदिराशौ परम्।

पीतालेपन पुष्प वस्त्र मखिलालंकारं सम्भूषितम्,

विद्यासागर पारगं सुरगुरुं वन्दे सुवर्णप्रभम्।।

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