वसंत पंचमी के दिन इस दिशा में स्थापित करें मां सरस्वती की मूर्ति, करियर में मिलेगी सफलता

सनातन धर्म में वसंत पंचमी के पर्व का खास महत्व है। धार्मिक मान्यता है कि माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर मां सरस्वती अवतरित हुई थीं। इसी वजह से हर साल इस इस तिथि पर वसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन स्नान आदि से निवृत होने के बाद मां सरस्वती का सच्चे मन से ध्यान करें। शुभ तिथि पर पीले वस्त्र धारण करने चाहिए। साथ ही पूजा के दौरान मां सरस्वती मूर्ति को स्थापित की जाती है।
एक बात का विशेष ध्यान रखें कि मूर्ति (Basant Panchami maa Sarswati Sthapana) को शुभ दिशा में स्थापित करें। वास्तु के अनुसार, मां सरस्वती (Basant panchami 2025 Vastu Tips) की मूर्ति को शुभ दिशा में विराजमान करने से पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि शुभ दिशा और कैसे होनी चाहिए मां सरस्वती की मूर्ति?
ये हैं शुभ दिशा
- वास्तु शास्त्र के अनुसार, वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की मूर्ति को पूर्व दिशा में स्थापित करना शुभ माना जाता है। इस दिशा में मां सरस्वती की मूर्ति को विराजमान कर पूजा करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है।
- इसके अलावा उत्तर पूर्व दिशा में भी मां सरस्वती की मूर्ति को स्थापित किया जा सकता है। इससे धन में वृद्धि होती है। साथ ही करियर में सफलता मिलती है।
- अगर आप जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन चाहते हैं, तो मां सरस्वती की मूर्ति को घर की उत्तर दिशा में विराजमान करें। इस दिशा में मां सरस्वती की उपासना करने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। साथ ही मां शारदे प्रसन्न होती हैं।
किस मुद्रा में होनी चाहिए मूर्ति
मां सरस्वती की मूर्ति कमल पुष्प पर बैठी हुई मद्रा में होनी चाहिए। इस तरह की मद्रा को शुभ माना जाता है। इसके अलावा सौम्य, सुंदर और आशीर्वाद वाली मुद्रा में देवी सरस्वती की मूर्ति को घर लाना चाहिए।
एक बात का खास ध्यान रखें कि खंडित मूर्ति को विराजमान नहीं करना चाहिए। इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। साथ ही मां सरस्वती की दो प्रतिमा स्थापित ना करें।
वसंत पंचमी 2025 डेट
वदीन पंचांग के अनुसार, माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि की शुरुआत 02 फरवरी को सुबह 09 बजकर 14 मिनट पर होगा। वहीं, इस तिथि का समापन 03 फरवरी को सुबह 06 बजकर 52 मिनट पर होगा। इस प्रकार 02 फरवरी को वसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाएगा।