एकादशी व्रत साल 2025 में कब-कब है, यहां जानें पूरी लिस्ट

हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है। एकादशी का व्रत भगवान श्री विष्णु को समर्पित होता है और यह प्रत्येक माह में दो बार आती हैकृ शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में। एकादशी के दिन उपवास रखने और भगवान श्री विष्णु की पूजा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। यह व्रत आत्मिक शांति और समृद्धि प्रदान करने के लिए माना जाता है। साल 2025 में भी एकादशी के कई महत्वपूर्ण व्रत होंगे, जो भक्तों को उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने का अवसर प्रदान करेंगे। इस लेख में हम साल 2025 में आने वाली सभी एकादशियों की सूची और उनके महत्व के बारे में जानेंगे।

एकादशी 2025 की पूरी लिस्ट

  1. पद्म एकादशी

तिथिः 20 जनवरी 2025 (सोमवार) महत्वः पद्म एकादशी का व्रत विशेष रूप से पापों के नाश और सुख-शांति की प्राप्ति के लिए किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से पापों से मुक्ति मिलती है।

  1. वैकुंठ एकादशी

तिथिः 3 फरवरी 2025 (सोमवार) महत्वः वैकुंठ एकादशी का व्रत विशेष रूप से भगवान श्री विष्णु के चरणों में वैकुंठ जाने का मार्ग खोलने के लिए किया जाता है। इस दिन विशेष रूप से द्वारकाधीश श्री कृष्ण की पूजा की जाती है।

  1. भीम एकादशी

तिथिः 19 फरवरी 2025 (बुधवार) महत्वः भीम एकादशी का व्रत उन लोगों के लिए किया जाता है जो शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनना चाहते हैं। यह एकादशी भीम के बल की उपासना करने के लिए होती है।

  1. आमलकी एकादशी

तिथिः 5 मार्च 2025 (बुधवार) महत्वः आमलकी एकादशी का व्रत विशेष रूप से आमलकी (आंवला) वृक्ष की पूजा के साथ किया जाता है। इस दिन आमलकी के पेड़ को श्रद्धा भाव से पूजने से कई शारीरिक और मानसिक कष्ट समाप्त हो जाते हैं।

  1. नारायण एकादशी

तिथिः 19 मार्च 2025 (बुधवार) महत्वः नारायण एकादशी का व्रत उन सभी को समर्पित होता है जो भगवान नारायण के भव्य रूप की पूजा करते हैं। इस दिन विशेष रूप से भगवान के नारायण रूप की पूजा करने से जीवन में खुशहाली और समृद्धि आती है।

  1. प्रबोधिनी एकादशी

तिथिः 3 नवंबर 2025 (सोमवार) महत्वः प्रबोधिनी एकादशी को देवउठनी एकादशी भी कहते हैं। यह एकादशी भगवान विष्णु के जागृत होने की तिथि मानी जाती है। इस दिन से विवाह और अन्य शुभ कार्य शुरू किए जाते हैं।

  1. रमण एकादशी

तिथिः 17 नवंबर 2025 (सोमवार) महत्वः रमण एकादशी का व्रत विशेष रूप से मानसिक शांति प्राप्त करने और भगवान विष्णु के भक्तिरस में रंगने के लिए किया जाता है।

  1. शंख एकादशी

तिथिः 1 दिसंबर 2025 (सोमवार) महत्वः शंख एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की पूजा करते हुए उनके शंख का ध्यान करने से सुख-शांति की प्राप्ति होती है।

  1. माघ एकादशी

तिथिः 21 जनवरी 2025 (मंगलवार) महत्वः माघ मास की एकादशी का व्रत बहुत ही पुण्यदायक माना जाता है। इस दिन विशेष रूप से नदियों में स्नान करके, भगवान विष्णु का पूजन करना चाहिए।

  1. श्रवण एकादशी

तिथिः 4 अगस्त 2025 (सोमवार) महत्वः श्रवण मास में आने वाली एकादशी का व्रत बहुत विशेष माना जाता है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा करने से विशेष आशीर्वाद प्राप्त होते हैं और जीवन में सुख-शांति रहती है।

एकादशी व्रत के लाभ

पुण्य की प्राप्तिः एकादशी का व्रत भगवान श्री विष्णु को समर्पित होता है, और इस दिन उपवास करने से बहुत पुण्य मिलता है।
मनोकामनाओं की पूतिर्ः एकादशी का व्रत करने से जीवन की सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं और दुखों से छुटकारा मिलता है।

आध्यात्मिक उन्नतिः एकादशी के दिन ध्यान, साधना और पूजा करने से आत्मिक उन्नति होती है।
पापों का नाशः एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के पापों का नाश होता है और जीवन में सकारात्मकता आती है।
स्वास्थ्य लाभः उपवास करने से शरीर को विश्राम मिलता है और यह कई स्वास्थ्य समस्याओं से बचाता है।

एकादशी व्रत नियम

एकादशी व्रत हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है और इसे भगवान विष्णु की पूजा अर्चना के लिए किया जाता है। यह व्रत शारीरिक, मानसिक और आत्मिक शांति की प्राप्ति के लिए किया जाता है। इस व्रत को ठीक से निभाने के लिए कुछ विशेष नियम होते हैं जिनका पालन करना आवश्यक होता है। अगर आप एकादशी का व्रत करना चाहते हैं, तो इन नियमों का पालन करना बहुत जरूरी है ताकि आप इस व्रत का पूरा लाभ उठा सकें।

आइए जानते हैं एकादशी व्रत के मुख्य नियमों के बारे में-

व्रत की शुरुआत

एकादशी का व्रत द्वादशी तिथि के सूर्योदय से पहले उठकर शुरू किया जाता है। व्रत रखने के पहले दिन से ही सभी भोग, तामसिक आहार (मांस, शराब, प्याज, लहसुन, आदि) से दूर रहना चाहिए। व्रति को शुद्ध आहार और विचारों के साथ व्रत शुरू करना चाहिए।

नहाना और शुद्धता

एकादशी के दिन पवित्र स्नान करना बहुत महत्वपूर्ण है। इसके लिए सूर्योदय से पहले नहा कर स्वच्छता बनाए रखें। स्नान करने के बाद साफ और सुंदर वस्त्र पहनें और पूजा करने के लिए तैयार हो जाएं। शरीर की शुद्धता के साथ मानसिक और आत्मिक शुद्धता भी जरूरी है।

व्रति का उपवास

एकादशी के दिन मुख्य रूप से उपवास रखा जाता है। यह उपवास पूर्ण (निर्जला) या आंशिक हो सकता है। निर्जला उपवासरू इस प्रकार के उपवास में न तो जल पिया जाता है और न ही कोई अन्य आहार लिया जाता है। आंशिक उपवासरू इस व्रत में कुछ हल्का आहार जैसे फल, मेवे, दूध, और मिष्ठान्न लिया जा सकता है। यदि किसी कारणवश उपवास नहीं रख सकते हैं, तो एकादशी के दिन केवल फलाहार किया जा सकता है।

पूजा और भक्ति

एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करना अनिवार्य है। पूजा करते समय भगवान श्री विष्णु के मंत्रों का जाप करना चाहिए। विशेष रूप से ष्ऊं नमो भगवते वासुदेवायष् का जाप करना लाभकारी होता है। घर में भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र रखें और उसका ध्यान करें। शाम के समय दीप जलाकर आरती भी करें।

व्यसन और बुरी आदतों से बचें

एकादशी के दिन किसी भी प्रकार के व्यसन से बचना चाहिए। जैसे शराब, मांसाहारी भोजन, तामसिक आहार, गुस्सा, झगड़ा, और बुरी आदतें। एकादशी व्रत में पूरी तरह से शुद्ध आहार का सेवन करें और मानसिक शांति बनाए रखें। जो लोग एकादशी का व्रत रखते हैं, उन्हें इस दिन परिश्रम से बचना चाहिए और अपनी ऊर्जा को धार्मिक कार्यों और साधना में लगाना चाहिए।

विश्राम और आराम

एकादशी के दिन अत्यधिक शारीरिक श्रम से बचना चाहिए। आराम से पूजा, ध्यान और साधना करने पर ध्यान केंद्रित करें। अत्यधिक शारीरिक श्रम करने से शरीर में थकावट और मानसिक असंतुलन हो सकता है, जो व्रत के लाभ को कम कर सकता है।

निंद्रा और व्रत का पालन

एकादशी के दिन देर रात तक जागना चाहिए और दिन में थोड़ी देर आराम करने की बजाय रात को जल्दी सोना चाहिए। सोते समय नकारात्मक विचारों से बचें और भगवान विष्णु के भजनों या मंत्रों का जाप करें।

व्रत के बाद (द्वादशी तिथि)

एकादशी व्रत के बाद द्वादशी तिथि को ब्राह्मणों को भोजन देना और दान पुण्य करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। यदि संभव हो, तो व्रति ब्राह्मणों को या जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और अन्य दान करें। इससे पुण्य की प्राप्ति होती है और व्रत का पूर्ण लाभ मिलता है। द्वादशी को व्रत समाप्त करने के बाद उपवास का पारण (व्रत समाप्ति) करना चाहिए। पारण में हल्का भोजन करना चाहिए।

आध्यात्मिक लाभ

एकादशी व्रत का उद्देश्य सिर्फ शारीरिक शांति ही नहीं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक लाभ भी होता है। यह व्रत समर्पण, भक्ति और तात्त्विक उन्नति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसे केवल एक धार्मिक कर्तव्य न समझें, बल्कि आत्मिक विकास के रूप में देखें। एकादशी का व्रत न केवल शारीरिक रूप से लाभकारी होता है, बल्कि यह मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति में भी सहायक होता है। इसके पालन से जीवन में सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं, साथ ही पापों का नाश और पुण्य की प्राप्ति भी होती है। इन नियमों का पालन करके आप इस व्रत को सफलतापूर्वक कर सकते हैं और इसके फलों का आनंद ले सकते हैं।

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