सिनेमैटोग्राफी मिनिस्टर ने की अल्लू अर्जुन से मृतक के परिवार को इतने करोड़ रुपये देने की मांग

‘पुष्पा 2’ की रिलीज के दौरान हैदराबाद के संध्या थिएटर में हुई भगदड़ में एक महिला की मौत हो गई थी और उनका 8 साल का बेटा गंभीर रूप से घायल हो गया था। इस मामले के कुछ दिन बाद ही अभिनेता ने एक वीडियो जारी करते हुए मृतक के परिवार की मदद करने का हाथ बढ़ाया था।
हालांकि मामला शांत होने के बजाए और भी ज्यादा विवाद हो गया है। मामला इतना सीरियस हो चला है की अब इसपर कई नेताओं के बयान भी आ चुके हैं। हाल ही में तेलंगाना सिनेमैटोग्राफी मिनिस्टर Komatireddy Venkat Reddy ने अभिनेता की फिल्म बात करते हुए बड़ी डिमांड कर दी है।
अल्लू अर्जुन से की गई करोड़ों की डिमांड
शनिवार को मीडिया के साथ बात करते हुए तेलंगाना के सिनेमैटोग्राफी मिनिस्टर कोमाटीरेड्डी वेंकट रेड्डी पुष्पा 2 के धमाकेदार कलेक्शन पर बात की। उन्होंने बताया कि अगर जब फिल्म ने इतना जबरदस्त कारोबार किया ही है तो उन्हें मृतक के परिवार को कम से कम 20 करोड़ का मुआवजा तो देना ही चाहिए। यह बयान पीड़िता के लिए न्याय की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों द्वारा अल्लू अर्जुन के घर में तोड़फोड़ किए जाने के तुरंत बाद सामने आया है।
अज्ञानता और लापरवाही के कारण हुआ हादसा
गुल्टे की रिपोर्ट के अनुसार, कोमाटिरेड्डी वेंकट रेड्डी ने कहा, ‘अल्लू अर्जुन को थिएटर में न आने सलाह पहले ही दी गई थी, लेकिन वह वहां फिर भी आए। उनके ओपन टॉप कार शो में भारी भीड़ जमा हो गई, जिसके कारण रेवती नाम की महिला की मौत हो गई और उनका बेटा इस वक्त जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रहा है। जब पुलिस ने अल्लू अर्जुन को इस बारे में सूचित किया, तब भी उन्होंने फिल्म देखने पर जोर दिया। यह पूरी तरह से अज्ञानता और लापरवाही का काम है।’
शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में की थी अपील
अल्लू अर्जुन ने शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी जिसमें उन्होंने दावा किया था कि कुछ लोग जानबूझकर उनकी इमेज खराब करने के लिए अफवाहें फैला रहे हैं। उन्होंने ये भी बताया था कि वो बीते 20 साल से इंडस्ट्री में काम कर रहे हैं और उनकी छवि को एक दिन में नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई है। इसके बाद अभिनेता ने फैंस से अपील करते हुए कहा था, ‘मैं अपने सभी फैंस से अपील करता हूं कि वे हमेशा की तरह जिम्मेदारी से अपनी भावनाएं व्यक्त करें तथा ऑनलाइन और ऑफलाइन किसी भी प्रकार की अपमानजनक भाषा या व्यवहार का सहारा न लें।’