संजौली मस्जिद मामले में आज आ सकता है निर्णय, पढ़ें खबर…
संजौली मस्जिद मामले (Sanjauli Masjid Controversy) में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत शनिवार को निर्णय सुना सकती है। मुस्लिम समुदाय ने नगर निगम शिमला के आयुक्त भूपेंद्र अत्री के फैसले को कोर्ट में चुनौती दी है। आयुक्त ने मस्जिद की तीन अवैध मंजिलों को तोड़ने के आदेश दिए थे। इस पर मस्जिद कमेटी ने काम भी शुरू कर दिया है।
मुस्लिम संगठनों ने उठाया है ये सवाल
पिछली सुनवाई में वक्फ बोर्ड ने अदालत के समक्ष संजौली मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष मोहम्मद लतीफ की वैधता को लेकर शपथ पत्र दायर किया था। इसमें बताया गया था कि लतीफ को 2006 में मस्जिद कमेटी का अध्यक्ष बनाया था। मुस्लिम संगठनों इस पर प्रश्न उठाए थे। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने मामले की सुनवाई 30 नवंबर तय की थी। इसी दिन कोर्ट याचिका पर फैसला सुनाएगा।
जानें कब क्या
मतियाणा में युवकों की पिटाई के बाद संजौली मस्जिद विवाद उठा और हिंदू संगठनों ने प्रदर्शन किया।
11 सितंबर को संजौली मस्जिद कमेटी ने अवैध बताए जा रहे हिस्से को हटाने की पेशकश की थी।
पांच अक्टूबर को नगर निगम आयुक्त कोर्ट ने मस्जिद की तीन मंजिलें तोड़ने को स्वीकृति दी।
21 अक्टूबर को हिमाचल हाई कोर्ट ने भी संजौली मस्जिद के पूरे ढांचे की वैधता पर अंतिम फैसला आठ हफ्ते के भीतर करने के आदेश जारी किए।
छह नवंबर को जिला अदालत में सुनवाई शुरू हुई, 11 स्थानीय लोगों की याचिकाकर्ता बनने पर सुनवाई हुई।
14 नवंबर को स्थानीय याचिकाकर्ताओं को इस मामले में पार्टी बनाने की अनुमति नहीं मिली।
18 नवंबर को वक्फ बोर्ड को इस मामले में मस्जिद कमेटी के अधिकृत होने या न होने पर शपथ पत्र दायर करने के निर्देश दिए।
5 अक्टूबर को आया था ये फैसला
पांच अक्टूबर को आयुक्त कोर्ट ने मस्जिद कमेटी और वक्फ बोर्ड के आवेदन पर संजौली में पांच मंजिल मस्जिद की ऊपर की तीन मंजिलें गिराने की अनुमति दी है। इसके बाद विवाद सुलझता नजर आ रहा था। मस्जिद कमेटी ने भी फैसले का सम्मान करने की बात कही थी लेकिन ऑल हिमाचल मुस्लिम आर्गेनाइजेशन ने नगर निगम शिमला के आयुक्त कोर्ट के फैसले को चुनौती देने का फैसला किया है।
सदन तक पहुंची थी इस विवाद की गूंज
संजौली में अवैध रूप से बनी मस्जिद को लेकर काफी ज्यादा विवाद देखने को मिला है। हिंदू संगठनों ने मस्जिद को लेकर जमकर विरोध प्रदर्शन किया। यह विवाद इतना बढ़ा की इसकी गूंज सदन तक पहुंच गई थी।