दिल्ली की सड़कों से पांच लाख कारें हो जाएंगी गायब, जानिए कारण…
दिल्ली में बीएस-3 पेट्रोल और बीएस-4 डीजल कार चला रहे हैं तो आज से इन्हें छोड़ सार्वजनिक वाहनों में यात्रा करने की आदत डाल लें, क्योंकि परिवहन विभाग जल्द ही इन कारों पर प्रतिबंध लगाने जा रहा है।
यानी कि ग्रैप-तीन के नियम लागू होते ही बीएस-3 पेट्रोल और बीएस-4 डीजल चार पहिया वाहन चलते पर प्रतिबंध लगेगा। ऐसा वाहन चलते पाया जाएगा तो उसके मालिक पर 20 हजार का जुर्माना लगाया जाएगा। दिल्ली में बीएस-3 के 2,07,038 पेट्रोल वाहन व बीएस-4 के 3,09,225 डीजल वाहन हैं।
दिल्ली में एेसी कुल पांच लाख कारें पंजीकृत हैं जिनसे लोग दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र के आवागमन करते हैं। ये कारें आज से नहीं चल सकेंगी। इन कारों पर प्रतिबंध इसलिए भी लगाया गया है। क्योंकि दिल्ली में कुल होने वाले प्रदूषण में वाहनों की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत के करीब है।
दिल्ली में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण को देखते हुए राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता आयोग ने दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में इलेक्ट्रिक और सीएनजी से चलने वाले सार्वजनिक वाहनों को बढ़़ावा देने का निर्देश दिया है। इसके अलावा एक नवंबर से दिल्ली में एनसीआर से केवल बीएस-6 श्रेणी वाली बसें ही दिल्ली में आ सकेंगी।
इसके तहत बीएस-3 पेट्रोल यानी एक अप्रैल 2010 से पहले के पेट्रोल वाहन और बीएस-4 डीजल के एक अप्रैल 2020 से पहले के पंजीकृत चार पहिया डीजल वाहन दिल्ली में नहीं चल पाएंगे। प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर कार्रवाई के लिए परिवहन विभाग ने 114 टीमें तैनात की है। हालांकि, आपातकालीन सेवाओं के लिए तैनात वाहन और सरकारी कार्यों में लगे वाहन इस प्रतिबंध के दायरे में नहीं आएंगे।
क्या है बीएस मानक
बीएस (भारत स्टेज) भारत सरकार द्वारा स्थापित उत्सर्जन मानक हैं। जो मोटर वाहन के इंजनों द्वारा उत्सर्जित वायु प्रदूषकों की मात्रा का निर्धारण करते हैं। मानकों और उनको लागू किए जाने की समयसीमा का निर्धारण पर्यावरण और वन मंत्रालय और जलवायु परिवर्तन के तहत केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा किया जाता है। इन मानकों को पहली बार 2000 में लागू किया गया था।
तब से लगातार मानदंडों को सख्त किया जा रहा है। मानकों के लागू होने के पश्चात निर्मित सभी नए वाहनों के इंजन को इन नियमों के अनुरूप होना आवश्यक है।आसान भाषा में कहें तो बीएस मानक से वाहनों से होने वाले प्रदूषण का पता चलता है, इसके जरिए ही भारत सरकार गाड़ियों के इंजन से निकलने वाले धुएं से होने वाले प्रदूषण पर निगरानी करती है।