आयुष्मान कार्ड धारकों को भी नहीं मिल रही सुविधा, प्राइवेट अस्पताल जाने को मजबूर मरीज

बांदा, जनपद में स्वास्थ्य सेवाएं गंभीर समस्याओं का सामना कर रही हैं, जहां जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज दोनों ही भ्रष्टाचार और दलाली का शिकार बन चुके हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वास्थ्य योजनाओं के बावजूद, यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार नहीं हो पा रहा है। बांदा के राजकीय मेडिकल कॉलेज के आयुष्मान केंद्र की स्थिति बहुत खराब है। यहां ताला लटका हुआ है और मरीजों की भीड़ ताले के खुलने का इंतजार कर रही है।

स्वास्थ्य विभाग की फाइलों में सब कुछ सही दिखाया जा रहा है, लेकिन वास्तविकता इसके विपरीत है। आयुष्मान कार्ड धारकों को यहां कोई सहायता नहीं मिल रही है, जिससे उन्हें मजबूरन प्राइवेट अस्पतालों के दलालों के पास जाना पड़ रहा है। जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज के जांच केंद्रों पर भी मरीजों को अल्ट्रासाउंड और अन्य महंगी जांचों की सुविधाएं समय पर नहीं मिल रही हैं। इस कारण मरीजों को प्राइवेट डायग्नोसिस सेंटरों में जाकर महंगी जांच करवाने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

सरकारी अस्पतालों में लाखों रुपये की सुविधाएं केवल शोपीस बनकर रह गई हैं। जिला पंचायत अध्यक्ष सुनील पटेल ने इस बदहाल स्थिति पर चिंता जताई है। उन्होंने जिला अस्पताल के सीएमएस को फटकार लगाते हुए स्वास्थ्य सेवाओं की निगरानी के लिए एक समिति गठित करने की बात की है। उनका कहना है कि स्वास्थ्य विभाग की यह गड़बड़ी गंभीर है और इसे जिलाधिकारी के सामने उठाया जाएगा। मेडिकल कॉलेज के जिम्मेदार अधिकारी स्थिति को हास्यस्पद तरीके से संभालने की कोशिश कर रहे हैं।

आयुष्मान केंद्र में ताले की समस्या पर उन्होंने टालमटोल किया और कहा कि स्टाफ कहीं गया होगा। हालांकि, यह स्पष्ट है कि मरीजों की समस्याओं के समाधान के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। बांदा की स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति गंभीर चिंता का विषय है। सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने में आम जनता असमर्थ हो रही है, और इसका मुख्य कारण स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और भ्रष्टाचार है। ऐसे में स्थानीय प्रशासन और संबंधित अधिकारियों को तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि गरीब मरीजों को उनके हक के स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें।

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