मोसाद का पता लगाने वाले 20 ईरानी एजेंट ही इजरायल के वफादार में हो गए शामिल

इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद के कारनामे अकसर दुनिया को हैरान कर देते हैं। दुश्मन को उसके ही घर में घुसकर मारने से लेकर सालों बाद तक अपना टारगेट याद रखने के लिए मोसाद को जाना जाता है। बीते शुक्रवार को इजरायल ने लेबनान में घुसकर हिजबुल्लाह के शीर्ष कमांडर सैयद हसन नसरल्लाह को मार गिराया था। नसरल्लाह को मार गिराने के पीछे कई कहानियां बताई जा रही हैं कि आखिर कैसे इजरायल ने उसके बारे में पता लगाया। यही नहीं नसरल्लाह के शरीर पर कोई जख्म का निशान तक नहीं है, लेकिन वह मारा गया। अब ईरान के पूर्व राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद ने बड़ा खुलासा किया है।

उनका कहना है कि इजरायल ने ईरान की उस एजेंसी में ही सेंध लगा दी थी, जिसे मोसाद के खिलाफ काम सौंपा गया था। अहमदीनेजाद ने सीएनएन की तुर्की सर्विस को दिए इंटरव्यू में यह दावा किया है। कहा जा रहा है कि ईरान के ऐसे ही एक भेदिये ने इजरायल को नसरल्लाह के पते के बारे में जानकारी दी थी। अहमदीनेजाद ने कहा कि ईरान ने अपने देश में सक्रिय मोसाद के एजेंट्स का पता लगाने के लिए एक टास्क फोर्स बनाई थी। लेकिन इस ग्रुप में ही इजरायल ने सेंध लगा दी और उन्हें अपने पेरोल पर रख लिया। ये लोग सालों तक डबल एजेंट्स के तौर पर काम करते रहे और ईरान की मदद करने की बजाय उसकी जानकारी ही इजरायल को देते रहे।

अहमदीनेजाद का दावा है कि ईरान के खुफिया विभाग में शीर्ष स्तर के भी कुछ लोग इजरायल के साथ जा मिले थे। उनका कहना है कि करीब ऐसे 20 लोग हैं, जो ईरान के लिए काम करने के दौरान इजरायल की मदद करते रहे। ये लोग एक तरह से डबल एजेंट बनकर ईरान को चकमा दे रहे थे। यही नहीं इनकी मदद से इजरायल को ईरान के सारे परमाणु ठिकानों के बारे में पता चल चुका है। इसके अलावा मोसाद ने इन लोगों की ही मदद से हमास के पॉलिटिकल कमांडर इस्माइल हानियेह को तेहरान में घुसकर मार डाला था। यह घटना ईरान के लिए सदमे की तरह थी।

खुद बेंजामिन नेतन्याहू ने 2018 में माना था कि उनके पास ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम और ठिकानों की जानकारी है। नेतन्याहू ने कहा था कि हमारे पास ईरान के परमाणु हथियारों वाले प्रोग्राम की पूरी जानकारी है। नेतन्याहू के इस दावे की इंटरनेशनल अटॉमिक एनर्जी एजेंसी ने पुष्टि की थी। उसका कहना था कि इजरायल ने यह जानकारी तेहरान से ही निकलवाई है। रिपोर्ट्स के अनुसार मोसाद के एजेट्स ने करीब 1 लाख ईरानी दस्तावेजों तक पहुंच बनाई थी, जो गुप्त थे। इनके अध्ययन से ही ईरान के बारे में पूरी जानकारी जुटा ली गई।

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