बुजुर्ग की बेरहमी से हत्याकर शव को ड्रम में रख जलाया, 18 साल बाद महमूद अली को उम्रकैद की मिली सजा
18 साल पहले हुई बुजुर्ग की हत्या के केस में एडीजे द्वितीय महेश चंद कौशीबा की कोर्ट ने सोमवार को एक दोषी को आजीवन कठोर कारावास और दूसरे को साक्ष्य छुपाने, आपराधिक षडयंत्र व जालसाजी में सात साल की सजा सुनाई है। दोषी ने मर्डर करने के बाद शव को जलाया भी था।
मामले के एक आरोपी की मौत हो चुकी है। चौथे आरोपी को न्यायालय ने बरी कर दिया था। देहरादून के कर्जन रोड में संपत्ति हड़पने के लिए बुजुर्ग का बेरहमी से मर्डर कर दिया था। जनवरी 2006 में हुए इस हत्याकांड के दो आरोपियों को न्यायालय ने शनिवार को दोषी करार दिया था।
सोमवार को दोनों की सजा पर सुनवाई हुई। बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं ने दोनों आरोपियों की उम्र, आर्थिक हालत आदि की दलील पेश करते हुए कम से कम सजा की मांग की। अभियोजन ने इस जघन्य हत्याकांड के दोषियों को ज्यादा से ज्यादा सजा देने की अपील की।
न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस को सुनकर लंच बाद अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने महमूद अली निवासी कचहरी रोड को कठोर आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए अलग-अलग धाराओं में कुल 28 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया गया।
दूसरे दोषी नईम राहत निवासी गांधी रोड को हत्या में बरी किया गया। हत्या के षडयंत्र और साक्ष्य मिटाने में शामिल रहने पर सात वर्ष कारावास की सजा सुनाई। अलग-अलग धाराओं में कुल 18 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया गया है। दोनों दोषियों को न्यायालय परिसर से हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया है।
संपत्ति हड़पने को रचा षडयंत्र
घटना जनवरी 2006 में हुई थी। सरदार पुष्पेंद्र सिंह दुग्गल कर्जन रोड पर अकेले अपने मकान में रहते थे। उनकी पत्नी अलग मकान में रहती थी। अचानक दुग्गल गायब हो गए। उनका जब कहीं पता नहीं चला तो परिजनों की ओर से थाना डालनवाला में उनकी गुमशुदगी दर्ज कराई गई।
इसी बीच पता चला की पुष्पेंद्र सिंह दुग्गल की एक वसीयत जिला जज न्यायालय में दाखिल की गई है। यहां दुग्गल के अधिवक्ताओं ने इसे देखते ही पहचान लिया कि वसीयत पर जो हस्ताक्षर हैं वह दुग्गल के नहीं हैं।
साथ ही जो संपत्ति पर हक जता रहे हैं वो भी संदिग्ध हैं। मामला पुलिस के पास पहुंचा तो पता चला कि संपत्ति पर हक जताने यानी जिनके नाम संपति किए जाने की कथित वसीयत है वे सभी पुताई का काम करते हैं।
इसके बाद पुलिस ने कुतुबुद्दीन उर्फ सन्नू निवासी मुस्लिम कॉलोनी, महमूद अली निवासी कचहरी रोड, नईम राहत निवासी गांधी रोड और तेजपाल सिंह निवासी बंजारावाला हरिद्वार को हिरासत में लिया।
पूछताछ में इस बात का हुआ था खुलासा
पुलिस के साथ पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि दुग्गल के पास कई संपत्तियां थीं। लिहाजा उन्होंने इन्हे हड़पने का षड्यंत्र रचा। इसके लिए दुग्गल की हत्या कर शव को गैराज में छुपा दिया। अगले दिन शव को एक ड्रम में रखा और चंद्रबनी स्थित फायरिंग रेंज के पास शव को जला दिया। ताकि, शव की पहचान ना हो सके। ट्रायल के दौरान कुतुबुद्दीन की मौत हो गई। तेजपाल को साक्ष्यों के आभाव में बरी कर दिया।