AIIMS गोरखपुर के बर्खास्‍त प्रोफेसर का मामला दिल्‍ली पहुंचा, स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने तलब की रिपोर्ट

गोरखपुर स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) से एनाटॉमी विभाग से बर्खास्त किए गए डॉ. कुमार सतीश रवि का मामला बेहद हाई प्रोफाइल हो गया है। मामले की गूंज दिल्ली तक पहुंच गई है। मीडिया रिपोर्ट को स्वास्थ्य मंत्रालय ने संज्ञान लिया है। इस मामले की पूरी रिपोर्ट स्वास्थ्य मंत्रालय ने मांगी है। नियुक्ति से जुड़े सभी दस्तावेज भी मांगे गए हैं। इसके अलावा पूर्व में डॉ. कुमार सतीश के मामले में दोनों कमेटियों की जांच रिपोर्ट भी मांगी गई है।

स्वास्थ्य मंत्रालय तक बर्खास्तगी का मामला पहुंचने की भनक लगने के बाद एम्स में हड़कंप मच गया है। एक बार फिर से डॉ. सतीश की नियुक्ति से जुड़े दस्तावेज खंगाले जा रहे हैं। इसके बाद से एम्स प्रशासन पूरे मामले की रिपोर्ट बनाने में जुट गया है। एम्स प्रशासन जांच समिति की रिपोर्ट के साथ ही विधिक परामर्श की प्रति भी लगाएगा। वहीं, दूसरी तरफ मामले में डॉ. कुमार सतीश रवि ने भी अपने पक्ष में कानूनी सलाह ले रहे हैं। वह सर्विस मैटर के कुछ वरिष्ठ अधिवक्ताओं के संपर्क में हैं। इसके बाद से यह माना जा रहा है कि जल्द ही यह मामला अब न्यायालय में जाएगा। हालांकि, मामले में एम्स पहले ही कैविएट दाखिल कर चुका है।

यह है मामला एम्स गोरखपुर में डॉ. कुमार सतीश रवि ने फरवरी 2023 में आवेदन किया था। उसी माह 11 फरवरी को इंटरव्यू हुआ। इसके बाद 20 मार्च 2023 को एनॉटमी विभागाध्यक्ष बना दिए गए। इस बीच यह शिकायत हुई कि डॉ. रवि ने डिग्री और अनुभव प्रमाणपत्र फर्जी लगाए हैं। एम्स प्रेसीडेंट ने कार्यकारी निदेशक को जांच कराने का आदेश दिया। शिकायत में आरोप था कि डॉक्टर के पास 10 माह दो दिन का अनुभव प्रमाणपत्र हैं। जबकि, तीन साल का अनुभव प्रमाणपत्र चाहिए था। वहीं, 2009 में पीजी की डिग्री लगाई थी। जबकि, पीजी 2011 में पूरा हुआ। इसके अलावा डॉ. रवि पर एम्स ऋषिकेश पर कार्रवाई चलने की बात भी छिपाई। आरोप है कि कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी की जगह कैलिफोर्निया पब्लिक यूनिवर्सिटी की डीलिट की डिग्री लगाई। इस डिग्री को गलत माना गया है। मामले की जांच स्थायी चयन समिति ने की। रिपोर्ट के बाद उन्हें शुक्रवार को एम्स से बर्खास्त कर दिया गया है।

पुलिस से शिकायत, मेरे और पत्नी के नाम वायरल पत्र फर्जी

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. गौरव गुप्ता ने एम्स पुलिस से शिकायत की है कि उनके और उनकी पत्नी के नाम से एक फर्जी पत्र वायरल हो रहा है। वायरल पत्र में एम्स के कार्यकारी निदेशक डॉ. जीके पाल को भद्दी-भद्दी बातें लिखी गई हैं। इस पत्र को वाया पोस्ट और व्हाट्सएप पर वायरल किया जा रहा है। इस वायरल पत्र की जानकारी पटना एम्स के कुछ मित्रों से हुई है। मामले में एम्स पुलिस ने जांच शुरू कर दी है।

बताया जा रहा है कि तीन दिन पहले डॉ. गौरव गुप्ता और उनकी पत्नी डॉ. संगीता गुप्ता के नाम से एक पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा था। वायरल पत्र दो अधिकारियों के नाम संबोधित था। पत्र में कार्यकारी निदेशक को हिटलर कहने से लेकर उन पर जातिगत टिप्पणियां की गई थीं। डॉ. गौरव गुप्ता ने बताया कि पत्र में न तो मेरे हस्ताक्षर हैं, न ही मेरी पत्नी के। इस पत्र से मेरा और मेरी पत्नी का कोई संबंध नहीं है। उन्होंने बताया कि यह पत्र किस मंशा से लिखा गया और किसने लिखा। इसकी जांच होनी चाहिए। इसके अलावा उन्होंने इसकी शिकायत जन सुनवाई पोर्टल और साइबर सेल से भी की है।

एम्स में डॉक्टरों के साथ हो रहा भेदभाव श्रवण कुमार

आंबेडकर जन मोर्चा के मुख्य संयोजक श्रवण कुमार निराला ने एम्स विवाद पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। उनका आरोप है कि एम्स गोरखपुर में डॉक्टरों के साथ भेदभाव शुरू हो गया है। एम्स के भ्रष्टाचारियों का कॉकस मजबूत हो गया है। इसलिए अधिकारी कर्मचारी आपस में मिलकर डॉ. कुमार सतीश रवि को प्रताड़ित करना शुरू कर दिए हैं। उन्होंने कहना है कि प्रो. डॉ. कुमार सतीश रवि नियुक्ति के समय योग्य थे, तो आज अयोग्य कैसे हो गए। यह एक साजिश है। कहा कि डॉ. रवि के खिलाफ जांच के लिए पहले बनी कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में डॉ. रवि की नियुक्ति सही बताई थी। संगठन डॉ. रवि का यह उत्पीडन बर्दाश्त नहीं करेगा।

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