पीएम मोदी के अमेरिका दौरे से पहले खालिस्तानियों ने किया हिंदू मंदिर पर हमला, पढ़ें पूरी खबर…
पीएम नरेंद्र मोदी इसी सप्ताह अमेरिका की यात्रा पर जाने वाले हैं। इससे पहले न्यूयॉर्क के स्वामी नारायण मंदिर में तोड़फोड़ हुई है और वहां दीवारों पर भारत विरोधी नारे तक लिखे गए। पीएम नरेंद्र मोदी के दौरे से ठीक पहले इस तरह की हरकत करने को एक संदेश के तौर पर देखा जा रहा है। ऐसे में एजेंसियों को संदेह है कि मंदिर में तोड़फोड़ के पीछे खालिस्तानी तत्वों का हाथ हो सकता है। न्यूयॉर्क स्थित भारतीय कौंसुलेट ने इस हमले पर चिंता जताई है। यह हमला भी उस न्यूयॉर्क शहर में ही हुआ है, जहां पीएम नरेंद्र मोदी का एक कार्यक्रम होने वाला है। यह इवेंट लॉन्ग आइलैंड में होना है।
खासतौर पर मंदिर में हमला और भारत विरोधी नारे लिखना खालिस्तानी तत्वों की एक आदत रही है। सूत्रों का कहना है कि कई जगहों पर लॉन्ग आइलैंड इलाके में भी भारत विरोधी पोस्टर लगे देखे गए हैं। वहां रह रहे भारतीय मूल के लोगों ने भी इसकी पुष्टि की है। यह हमला 15 सितंबर की रात को न्यूयॉर्क के मेलविले स्थित स्वामी नारायण मंदिर में हुआ है। यह स्थान पीएम नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम वाली जगह से 26 किलोमीटर की दूरी पर है। प्रधानमंत्री 22 सितंबर को यहां भारतीय समुदाय को संबोधित करने वाले हैं।
इस घटना ने भारत और अमेरिका के रिश्तों को लेकर भी चिंता पैदा कर दी है। पहले ही भारत की ओर से कनाडा, अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में खालिस्तानी तत्वों के सक्रिय होने को लेकर चिंता जताई गई है। ऐसी स्थिति में अब अमेरिका में एक और वारदात ने भारतीय एजेंसियों का शक गहरा कर दिया है। इस साल अमेरिका में यह तीसरा मौका है, जब हिंदू मंदिर पर अटैक किया गया है। न्यूयॉर्क स्थित भारतीय कौंसुलेट ने इस पर चिंता जताई है और अमेरिकी सरकार से अपील की है कि ऐसा करने वाले तत्वों के खिलाफ सख्त ऐक्शन लिया जाए। वहीं मंदिर प्रशासन ने सभी से शांति बनाए रखने की अपील की है।
मंदिर की ओर से बयान जारी कर कहा गया कि हम भले ही हमले से दुखी हैं, लेकिन शांति बनाए रखी जाए। नफरत और असहिष्णुता के खिलाफ हमारा यही जवाब है। नफरती नारों से मंदिर पर हमला किया गया। दुर्भाग्य से यह पहला मौका नहीं है, जब इस तरह अमेरिका में मंदिर पर अटैक हुआ है। इससे पहले भी इसी साल दो और घटनाएं ऐसी हो चुकी हैं। गौरतलब है कि खालिस्तानी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश रखने का आरोप अमेरिका की ओर से भारतीय एजेंसियों पर लगाया था। इसे लेकर दोनों देशों के बीच तनाव भी पैदा हुआ और भारत ने इससे इनकार किया था।