ज्ञानवापी को मस्जिद कहना दुर्भाग्य की बात, ज्ञानवापी ही विश्वनाथ धाम: योगी

लखनऊ, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर एवं हिन्दुस्तानी एकेडेमी उप्र प्रयागराज के संयुक्त तत्वावधान में गोरखपुर में आयोजित द्वि दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी (समरस समाज के निर्माण में नाथ पंथ का अवदान) के उद्घाटन कार्यक्रम में सीएम योगी ने बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी को मस्जिद कहना दुर्भाग्य की बात है। ज्ञानवापी ही विश्वनाथ धाम है। उन्होंने कहा कि संतों की परम्परा लोगों को जोड़ने की रही है। उन्होंने कहा कि देश की बहुसंख्यक आबादी जिस भाषा को जानती और समझती है वह हिंदी है।

आजादी के बाद से हिन्दी को लेकर जिस तरह से अवधान हुआ उसे लेकर पिछले 10 साल के अन्दर पीएम मोदी ने जिस तहर से देश और दुनिया के सामने पेश किया है। उसका परिणाम है कि आज मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिंदी में आप को दिखाई दे रही है। उन्होंने कहा कि भारत के संतों की हमेशा से परम्परा सभी को जोड़ने के लिए काम किया है।

आप को बता दें कि हिन्दी दिवस प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को मनाया जाता है। 14 सितम्बर 1949 को ही संविधान सभा ने यह निर्णय लिया था कि हिन्दी केन्द्र सरकार की आधिकारिक भाषा होगी। चूंकि भारत मे अधिकतर क्षेत्रों में हिन्दी भाषा बोली जाती थी, इसलिए हिन्दी को राजभाषा बनाने का निर्णय लिया और इसी निर्णय के महत्व को प्रतिपादित करने तथा हिन्दी को प्रत्येक क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये वर्ष 1953 से पूरे भारत में 14 सितम्बर को प्रतिवर्ष हिन्दी-दिवस के रूप में मनाया जाता है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हिन्दी को आधिकारिक भाषा के रूप में स्थापित करवाने के लिए काका कालेलकर, हजारीप्रसाद द्विवेदी, सेठ गोविन्ददास आदि साहित्यकारों के अथक प्रयास किये थे।

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