पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत से ED ने 12 घंटे की पूछताछ, जानिए मामला…
पाखरो टाइगर सफारी घपले के मामले में पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत तीसरे नोटिस पर सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सामने पेश हुए। सुबह करीब साढ़े दस बजे वह देहरादून में ईडी कार्यालय पहुंचे थे।
रात साढ़े दस बजे वह क्रॉस रोड स्थित ईडी कार्यालय से बाहर निकले। लगभग साढ़े 12 घंटे ईडी ने उनसे पूछताछ की। हरक सिंह रावत के भाजपा सरकार में वन मंत्री रहने के दौरान कार्बेट नेशनल पार्क की पाखरो रेंज में 163 पेड़ कटान की अनुमति लेकर छह हजार से अधिक पेड़ कटवाने के आरोप हैं।
आरोप है कि टाइगर रिजर्व फाउंडेशन में गड़बड़ी करते हुए फर्जी दस्तावेज बनाकर गलत तरीके फंड खर्च कर दिया गया। कैंपा के करोड़ों रुपये के फंड में भी खेल का आरोप है। इसके अलावा टेंडर जारी करते वक्त भी वित्तीय शक्तियों से अधिक के टेंडर जारी कर रकम ठिकाने लगाई गई। इस मामले में ईडी अवैध धन अर्जित किए जाने की जांच कर रहा है।
कांग्रेस में शामिल हो चुके हरक सिंह रावत को ईडी ने बीते लोकसभा चुनाव से ऐन पहले पूछताछ के दो नोटिस जारी किए थे, लेकिन तब वे पेश नहीं हुए। सोमवार को ईडी की पूछताछ के बाद हरक ने वीडियो जारी कर कहा कि जो भी आरोप उनके ऊपर लगे हैं, उन्होंने ईडी के सामने दस्तावेजों के साथ जवाब दिए। उन्होंने पूरे मामले में खुद को निर्दोष बताया।
पाखरो मामले में भ्रष्टाचार साबित हुआ तो सजा भुगतने को तैयार
पाखरो टाइगर सफारी मामले में सोमवार को करीब 12:30 घंटे ईडी की पूछताछ का सामना करने के बाद बाहर निकले पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने केंद्रीय जांच एजेंसियों को कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय और आयकर जैसी जांच एजेंसी का केंद्र सरकार दुरुपयोग कर रही है।
पाखरो टाइगर सफारी में भी भ्रष्टाचार नहीं किया गया है। अगर कोई भी जांच एजेंसी इसे साबित करेगी तो वह कोई भी सजा भुगतने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र के निर्देश से प्रेरित होकर परिवर्तन निदेशालय के अफसर यह कार्रवाई कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जांच एजेंसी को उन्होंने जो भी दस्तावेज मांगे वह उपलब्ध कराए गए हैं।
पाखरो में एक भी पेड़ अवैध तरीके से नहीं कटा : हरक ने कहा कि पाखरो टाइगर सफारी के लिए छह हजार तो क्या एक पेड़ भी अवैध नहीं कटा। उन्होंने कहा कि पाखरो में टाइगर सफारी राज्यहित में बनाई जा रही थी। अगर कहीं कोई भी अनियमितता हुई है तो उसने मेरा एक प्रतिशत भी दोष नहीं। अगर दोष मिले तो जो चाहे कार्रवाई करें। उन्होंने कहा कि वहां डीएफओ की नियुक्ति मुख्यमंत्री स्तर से हुई।
जमीन खरीद में भी गड़बड़ी का खुलासा : ईडी की जांच में हरक सिंह रावत के सहसपुर में चल रहे दून इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस कॉलेज के लिए खरीदी गई जमीन को लेकर फर्जीवाड़ा भी खुला था। इस जमीन की बिक्री पर कोर्ट से रोक लगा दी गई थी। इसके बावजूद फर्जीवाड़े से इस जमीन को हरक सिंह की पत्नी और उनकी करीबी महिला को बेच दिया गया।
करोड़ों की संपत्ति के दस्तावेज हैं ईडी के कब्जे में : ईडी इस मामले में पूर्व में कई स्थानों पर छापेमारी कर चुकी है। इस दौरान हरक सिंह रावत और उनकी करीबी लक्ष्मी सिंह के आवास से जमीन की खरीद-फरोख्त के दस्तावेज बरामद किए गए थे।
जिस जमीन के दस्तावेजों बरामद हुए थे, उसकी कीमत 30 करोड़ रुपये से अधिक बताई जा रही है। आरोप है कि घपलों से अर्जित धन इन जमीनों पर लगाया गया है। इनमें कुछ बेनामी संपत्तियां भी शामिल हैं। इन सब मामलों को जोड़ते हुए ईडी ने हरक सिंह रावत सवाल-जवाब किए।