जान की परवाह किए बिना बांग्लादेश में मरीजों की जान बचा रहे भारतीय डॉक्टर्स

बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद भी हिंसा जारी है। दुकान, घर, धार्मिक स्थलों को आग के हवाले कर दिया जा रहा है। हिंसा में सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है। हिंसा के बीच बांग्लादेश में करीब 19,000 भारतीय रह रहे हैं। पड़ोसी मुल्क से कई ऐसी खबरें सामने आ रही है, जिसमें बताया गया कि अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है।

डॉक्टरों पर बढ़ा कामकाज का बोझ 

इसके बावजूद बांग्लादेश मे मौजूद भारतीय डॉक्टर लोगों की जान बचाने के काम में जुटे हैं। बांग्लादेश मे मौजूद भारतीय डॉक्टर्स ने समाचार एजेंसी पीटीआई को जानकारी दी कि ढाका के कई अस्पतालों में हताहतों की संख्या में जबरदस्त वृद्धि हुई है। वहां के अस्पताल में मौजूद डॉक्टरों पर अत्याधिक बोझ बढ़ गया है। फिर भी वहां मौजूद भारतीय डाक्टर्स अपना कर्तव्य निभा रहे हैं।

17-18 घंटे काम कर रहे डॉक्टर

ढाका के अस्पताल में सेवा दे रहे एक डॉक्टर ने फोन के जरिए जानकारी दी कि जो मरीज अस्पताल आ रहे हैं, उन्हें पैलेट से चोट, बंदूक की गोली और चाकू लगी है। सोमवार रात प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच ताजा झड़प के बाद हताहतों की संख्या में वृद्धि हुई है। संसाधनों की भारी कमी है और हम दिन में 17-18 घंटे काम कर रहे हैं।”

सोमवार को शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने और देश छोड़कर भाग जाने के बाद बांग्लादेश में फैली हिंसा में 100 से अधिक लोग मारे गए हैं।

‘मरीजों की  सेवा करना हमारा कर्तव्य’

गुजरात के एक अन्य डॉक्टर ने कहा, “हमारे माता-पिता हमारी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं, लेकिन हमने अपनी डिग्री पूरी करते समय लोगों के जीवन की रक्षा करने की शपथ ली थी। उनकी सेवा करना हमारा कर्तव्य है और इस कठिन समय में अस्पतालों को हमारी जरूरत है।”

हालांकि, डॉक्टरों ने कहा कि मंगलवार सुबह स्थिति में सुधार होता दिख रहा है क्योंकि कर्फ्यू हटा लिया गया है और दुकानें, व्यवसाय और अन्य प्रतिष्ठान धीरे-धीरे अपना परिचालन फिर से शुरू कर रहे हैं।

बांग्लादेश में धीरे-धीरे सुधर रहे हालात

 जम्मू-कश्मीर के एक डॉक्टर और बांग्लादेश में भारतीय मेडिकल छात्रों के संघ के अध्यक्ष ने कहा,”मौजूदा स्थिति में विदेशी नागरिकों को कोई खतरा नहीं है। मैं बिल्कुल सुरक्षित महसूस करता हूं। झड़प प्रदर्शनकारियों और राजनीतिक संगठनों के बीच हैं। जो लोग मेरे जैसे विरोध प्रदर्शन का हिस्सा नहीं हैं, उन्हें कोई सुरक्षा चिंता महसूस नहीं होती है।

सोमवार तक ऐसा था कोई कानून-व्यवस्था नहीं है। हालांकि, मंगलवार को हालात में सुधार हुआ। हमने देखा कि लोग सड़कों और व्यवसायों पर अपना काम फिर से शुरू कर रहे हैं।”

उन्होंने आगे कहा,”मेरे माता-पिता चाहते हैं कि मैं घर लौट जाऊं लेकिन यहां के अस्पतालों को हमारी जरूरत है। कभी-कभी, हम मरीजों की देखभाल के लिए अस्पताल में लगातार चार दिन बिताते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अगर हम अभी चले जाते हैं, तो हमें बाद में अपनी इंटर्नशिप अवधि पूरी करनी होगी।”

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