भारत में मनी लांड्रिग की रोकथाम का FATF हुआ मुरीद

देश में गैरकानूनी तरीके से पैसे का लेन-देन करने, अवैध कमाई को पकड़ने और आतंकी संगठनों तक वित्तीय संसाधनों की पहुंच को रोकने के लिए भारत का रिकार्ड बहुत ही अच्छा है। एफएटीएफ इससे इतना संतुष्ट है कि उसने भारत को जी-20 देशों के समूह में चयनित उन चार देशों की श्रेणी में रखा है, जिन्हें उन विषयों पर अपनी रिपोर्ट अब तीन वर्ष बाद वर्ष अक्टूबर 2027 में ही देनी होगी।

वित्त मंत्रालय ने क्या कहा? 

वित्त मंत्रालय ने एफएटीएफ की तरफ से मिली प्रशंसा को भारतीय आर्थिकी की मजबूती के लिए प्रोत्साहन करार दिया है, जबकि विदेश मंत्रालय ने इसे एक सफलता व सकारात्मक कदम करार दिया है। एफएटीएफ यानी फाइनेंशिएल एक्शन टास्क फोर्स दुनिया के 40 देशों का एक ऐसा संगठन है, जो वैश्विक स्तर पर अवैध तरीके से नकदी के लेन-देन की निगरानी करता है और इसे रोकने के लिए उठाए जाने वाले कदमों की समीक्षा करता है।

इसके मुताबिक कदम नहीं उठाने वाले देशों को एफएटीएफ ब्लैक लिस्ट भी कर सकता है, जिससे उस देश को बाहरी कर्ज मिलने या कारोबार करने में परेशानी हो सकती है। दो वर्ष पहले एफएटीएफ ने पाकिस्तान को प्रतिबंधित सूची में डालने की धमकी दे दी थी। इससे बचने के लिए ही पाक सरकार को आतंकी संगठनों के वित्तीय स्त्रोत पर रोक लगाने के लिए कई कदम उठाने पड़े थे।

पाकिस्तान को भी करनी पड़ी थी कार्रवाई 

इस प्रतिबंध से बचने के लिए पाकिस्तान को अपने पाले कई आतंकी संगठनों के मुखियाओं जैसे जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर और लश्कर-ए-तैयबा के सरगना हाफिज सईद के खिलाफ भी कार्रवाई करनी पड़ी थी।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा, ‘एफएटीएफ की बैठक सिंगापुर में चल रही है लेकिन मनी लांड्रिंग व आतंकी संगठनों को फंडिंग रोकने को लेकर भारत में की गई कार्रवाइयों को लेकर उनकी टिप्पणी एक सफलता है और हम इसे काफी सकारात्मक मान रहे हैं।’

एफएटीएफ ने स्वीकारी भारत की रिपोर्ट 

एफएटीएफ ने भारत सरकार की तरफ से पेश पारस्परिक मूल्यांकन रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है और इसे रेगुलर फालो-अप वाले देशों की श्रेणी में रखा है। इस श्रेणी में जी-20 के सिर्फ चार देश ही हैं। इसका मतलब हुआ कि इन चार देशों को तीन वर्षों में अपनी रिपोर्ट पेश करनी है, जबकि दूसरे देशों को सालाना स्तर पर मनी लांड्रिंग के खिलाफ उठाए जाने वाले कदमों की सूचना देनी होगी।

भारत वर्ष 2014 के बाद से ही देश में अवैध वित्तीय लेन-देन को रोकने के लिए लगातार प्रयासरत है और इसकी कोशिशों में एफएटीएफ ने कोई कमी नहीं देखी है। इस बीच, तुर्किये ने भी उसे ग्रे लिस्ट से बाहर किए जाने का स्वागत करते हुए विदेश निवेश की उम्मीद जताई है।

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