भगवान श्री नरसिंह के प्राकट्य महोत्सव में महाआरती, ऐसे करें पूजन

नरसिंह जयंती हिन्दू धर्म में एक महत्वूपर्ण दिन व त्योहार माना जाता है। नरसिंह भगवान विष्णु के चौथे अवतार हैं। नरसिंह अवतार में भगवान विष्णु ने आधे शेर और आधे मानव के रूप में अवतार लिया था। नरसिंह अवतार में उनका चेहरा और पंजे सिंह की तरह थे और शरीर का बाकी हिस्सा मानव की तरह था।

इसी दिन नरसिंह भगवान ने हिरण्यकश्यप नाम के राक्षस को वध किया था

देवीधाम मैहर के पंडित मोहनलाल द्विवेदी ने बताया कि नरसिंह जयंती को हिन्दू धर्म में एक त्योहार की तरह मनाया जाता है। यह त्योहार वैशाख मास के शुक्ल की चतुदर्शी के दिन मनाया जाता है। इसी दिन नरसिंह भगवान ने हिरण्यकश्यप नाम के राक्षस को वध किया था। सभी विष्णु भक्त इस दिन व्रत भी करते हैं। नरसिंह भगवान, हिन्दू तिथि चतुर्दशी को सूर्यास्त के समय प्रकट हुए थे और इसीलिए सूर्यास्त के समय भगवान नरसिंह पूजा की जाती है। नरसिंह जयंती का उद्देश्य अधर्म को दूर करना और धर्म के मार्ग पर चलना है। धर्म सही कर्म करना है और किसी को नुकसान नहीं पहुंचाना है।

भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार क्यो लिया था?

भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार अपने भक्त प्रहलाद के रक्षा के लिया था। प्रहलाद के पिता जो कि एक राक्षस थे उसका नाम हिरण्यकश्यप था। हिरण्यकश्यप ने अधर्म के सभी सीमायें पार कर थी। जब हिरण्यकश्यप ने अपने ही पुत्र प्रहलाद को मारना चाहा था। हिरण्यकश्यप ने भगवान ब्रह्मा से ये वरदान मांगा था कि ’’मैं किसी भी निवास के भीतर व बाहर, दिन में व रात में, ना आकाश में व ना जम़ीन पर, ना मानव से व ना जानवर से, ना देव से व ना राक्षस से, मृत्यु को प्राप्त ना हुँ’’। ऐसा वरदान मिलने पर हिरण्यकश्यप अपने को अजय समझने लगा और भगवान विष्णु से धृणा करने लगा था और अपने आपको भगवान समझने लगा। परन्तु हिरण्यकश्यप का पुत्र विष्णु भक्त था, इसलिए हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रहलाद का वध करना चाहा था। प्रलाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लिया था।

नरसिंह भगवान के नाम

नरसिंह भगवान को नरहरि, उग्र विर माहा विष्णु, हिरण्यकशिपु अरी के नाम से भी जाना जाता हैं।

प्रार्थना

नरसिंहदेव, के बारे में कई तरह की प्रार्थनाएँ की जाती हैं जिनमे कुछ प्रमुख ये हैंः

ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्।

नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्युमृत्युं नमाम्यहम् ।।

अर्थ – हे क्रुद्ध एवं शूर-वीर महाविष्णु, तुम्हारी ज्वाला एवं ताप चतुर्दिक फैली हुई है। हे नरसिंहदेव, तुम्हारा चेहरा सर्वव्यापी है, तुम मृत्यु के भी यम हो और मैं तुम्हारे समक्षा आत्मसमर्पण करता हूँ।

नरसिंह जयंती की पूजा

नरसिंह जयंती के दिन सुबह सुबह उठकर स्नान करना चाहिए और भगवान नरसिंह व विष्णु की प्रतिमा की पूजा आदि करनी चाहिए। पूरे दिन का उपवास करना चाहिए और सूर्यास्त के समय भगवान नरसिंह की पूजा व आरती करनी चाहिए। इस दिन गरीबों को कपड़े, कीमती धातुओं और तिल के बीज दान करना अच्छा होता है।

श्री नरसिंह की आराधना से संपूर्ण तीर्थों की यात्रा से भी बड़ा फल मिलता

भगवान श्री नरसिंह की आराधना से संपूर्ण तीर्थों की यात्रा से भी बड़ा फल मिलता है। यक्ष व राक्षस आदि अनिष्टकारी ग्रहों की समस्त पीड़ाओं को नाश करने के लिए सिर्फ भगवान नरसिंह के सहस्त्रार्चन करने से सुफल प्राप्त होता है। भगवान नरसिंह के नाम स्मरण मात्र से विष भी अमृत बन जाता है। संसार के समस्त दुःखों के साथ दैहिक दैविक भौतिक तापों से मुक्ति मिलती है।

नरसिंह-भक्ति लक्ष्मी, वैभव, ऐश्वर्य व संपदा की कारक : स्वामी नरसिंहदास

भगवान नरसिंह की कृपा से धन वैभव ऐश्वर्य और सुख सहजता से प्राप्त हो जाते हैं। यह उद्गार नरसिंह पीठाधीश्वर डा. स्वामी नरसिंह दास महाराज ने श्री नरसिंह प्राकट्य महोत्सव के द्वितीय दिवस पर नरसिंह मंदिर शास्त्री ब्रिज में आयोजित विशेष सहस्त्रार्चन षोषणोपचार पूजन अर्चन आरती में व्यक्त किए। भगवान का सहस्त्रार्चन पूजन आचार्य रामफल शास्त्री, कामता प्रसाद, डा हितेश अग्रवाल, लोकराम कोरी, प्रो. वीणा तिवारी, विध्येश भापकर, आचार्य दीप नारायण शास्त्री, आचार्य कामता गौतम, हिमांशु मिश्र सहित भक्तजनों ने किया। आज श्रीनरसिंह प्राकट्य महोत्सव में सुबह 9-12 पूजन अर्चन आरती, सायंकाल चार बजे से सहस्त्रार्चन, षोडषोपचार पूजन-श्रृंगार, यज्ञ-हवन के पश्चात सायं सात बजे महाआरती व प्रसाद वितरण होगा।

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker