इस दिन है वट सावित्री व्रत, महिलाएं वट वृक्ष की पूजा कर पति की दीर्घायु की करेगी कामना

ज्येष्ठ मास की अमावस्या (छह जून) को मनाई जाएगी। इस दिन वट सावित्री व्रत का महत्व होता है। सुहागिन महिलाएं वट सावित्री का व्रत धारण करके पति की दीर्घायु व परिवार की सुख-समृद्धि की कामना के साथ वट वृक्ष की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करती हैं। वट वृक्ष की दीर्घायु होती है।

ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। इस त्योहार को लेकर ये मान्यता है कि इस व्रत को रखने से परिवार के लोगों को सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है और वैवाहिक जीवन में खुशियां आती है।

बहुत से लोग ये भी मानते हैं कि इस व्रत का महत्व करवा चौथ के व्रत जितना होता है। इस दिन व्रत रखकर सुहागिनें वट वृक्ष की पूजा लंबी आयु, सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य देने के साथ ही हर तरह के कलह और संतापों का नाश करने वाली मानी जाती है। वट सावित्री का व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को रखा जाता है।

6 जून को है वट सावित्री व्रत

अमावस्या तिथि वाला वट सावित्री व्रत छह जून को है, जबकि पूर्णिमा वाला वट सावित्री का व्रत 21 जून को रखा जाएगा। वट सावित्री व्रत मुख्य रूप से सावित्री और वट वृक्ष से जुड़ा हुआ है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, सावित्री ने यमराज को अपने पति सत्यवान के प्राण को लौटाने पर विवश किया था। इसलिए विवाहित स्त्रियां, पति की दीर्घायु और सकुशलता की कामना के लिए वट सावित्री व्रत करती हैं।

वट सावित्री व्रत शुभ मुहूर्त

ज्येष्ठ महीने की अमावस्या तिथि पांच जून, को शाम 6 बजकर 24 मिनट पर शुरू हो रही है। साथ ही इस तिथि का समापन 6 जून को दोपहर 4 बजकर 37 मिनट पर होगा। ऐसे में हिंदू पंचांग के अनुसार, वट सावित्री व्रत छह जून गुरुवार के दिन किया जाएगा। वहीं इस दिन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 52 मिनट से दोपहर 12 बजकर 48 मिनट पर होगा।

वट सावित्री व्रत पूजा विधि

वट सावित्री की पूजा करने के लिए विवाहित महिलाएं सुबह उठकर स्नान कर लाल या पीले रंग के वस्त्र पहनें। फिर शृंगार करके तैयार हो जाएं। भोग प्रसाद के लिए सात्विक भोजन बना लें साथ ही सभी पूजन सामग्री को एक स्थान पर एकत्रित कर थाली सजा लें। वट वृक्ष की जड़ में जल अर्पित करने के बाद पुष्प, अक्षत, फूल, भीगा चना, गुड़ व मिठाई चढ़ाएं। फिर पेड़ के चारों ओर सात बार परिक्रमा करें और उसके चारों ओर सफेद कच्चा सूत बांध दें। वट सावित्री कथा का पाठ करें। अंत में आरती से पूजा का समापन करें। भगवान का आशीर्वाद लें और पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करें। बड़े-बुजुर्ग से भी आशीर्वाद लें।

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