नेपाल की बेटियों को बहू तो बनाया लेकिन वोटर नहीं, लोकसभा चुनाव 2024 में अब कैसे करेंगी मतदान

लोकसभा चुनाव 2024 में मतदान को लेकर देशभर में युवाओं से लेकर महिलाओं-पुरुषों, और बुजुर्गों में काफी उत्साह दिखाई दे रहा है। देशभर में बीजेपी, कांग्रेस समेत कई राजनीतिक पार्टियां वोटरों को लुभाने की पूरी कोशिश करने में जुटी हुईं हैं। लेकिन, चुनाव के इस महापर्व में एक वर्ग ऐसा भी है जो अपने वोटिंग से वंचित हो जाएगा।

जी हां, ऐसा इसलिए संभव होगा क्योंकि वह वोटर नहीं है। नेपाल से शादी कर आईं बहुत सी बेटियों को भारत ने बहू के रूप में तो स्वीकार कर लिया, लेकिन अभी मतदाता नहीं बनाया। एक अनुमान के मुताबिक,उत्तराखंड के  पिथौरागढ़ में ही धारचूला से लेकर झूलाघाट तक नेपाल मूल की ऐसी भारतीय बहुओं की संख्या 300 से अधिक है।

नागरिकता के लिए आधार कार्ड की अनिवार्यता के कारण ये महिलाएं वोटर नहीं बन पा रही हैं, इसलिए मतदान से महरूम हैं। जबकि पहले राशन कार्ड में ही नाम जुड़वाकर नेपाल से आई बहू भारतीय परिवार का हिस्सा बन जाती थीं।

भारत और नेपाल के बीच रोटी-बेटी के संबंध सदियों से रहे हैं। दोनों देशों के बीच प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में लोग विवाह बंधन में बंधते हैं। नेपाल की बेटियां सामाजिक तौर पर तो भारतीय बन जाती हैं, लेकिन सरकारी दस्तावेजों में इनके नाम जुड़वाने के लिए गम्भीरता नहीं दिखाई जा रही।

इसके पीछे जानकारी का अभाव भी बड़ी वजह है। दरअसल महिलाओं और उनके परिजनों को जानकारी ही नहीं है कि नागरिकता के लिए कहां, कैसे आवेदन करना है। प्रशासन भी ऐसे लोगों के लिए कोई प्रयास नहीं करता।

यही वजह है कि इनके पास विवाह के दो से आठ वर्ष बाद भी भारतीय नागरिकता नहीं है। इस कारण इनका नाम अब तक मतदाता सूची में शामिल नहीं किया जा सका है। पहले राशन कार्ड के सहारे बन जाते थे मतदाता नेपाल मूल की महिलाएं पूर्व तक पति के राशन कार्ड के सहारे भारतीय नागरिक बन जाती थीं।

दरअसल वर्ष 2014 से पूर्व राशनकार्ड ऑफलाइन हुआ करते थे। तब विवाह के बाद राशन कार्ड में महिला का नाम जोड़ दिया जाता था। इस तरह राशन कार्ड से परिवार रजिस्ट्रर और फिर मतदाता सूची में भी नाम जुड़ जाता था।

लेकिन अब बगैर आधार कार्ड के राशन कार्ड में नाम नहीं जोड़ा जा सकता है। अब भारतीय नागरिकता लेने के लिए स्थानीय स्तर पर आवेदन करना होता है। फिर फाइल गृह मंत्रालय को भेजी जाती है। उसके बाद जरूरी प्रकिया पूरी होने पर नागरिकता देने का प्राविधान है।

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