बॉलीवुड फिल्मों को लेकर इस फिल्ममेकर्स ने खड़े किए सवाल, जानिए वजह….

भारतीय सिनेमा का स्तर बदलते वक्त के साथ काफी बदला है। फिल्मों का अंदाज और कलाकारों का टशन से पहले से काफी अलग हो चुका है। एक तबका बॉलीवुड (Bollywood) के इस डेवलपमेंट को सपोर्ट करता है।

जबकि दूसरा तबका अभी भी ऐसा मानता है कि हिंदी सिनेमा में आज भी वहीं पुरानी थीम पर बनी फिल्मों का निर्माण लगातार किया जा रहा है। इस मामले में मशहूर गीतकार और निर्देशक गुलजार (Gulzar) का नाम शामिल हो रहा है। जिन्होंने आधुनिक बॉलीवुड फिल्मों की जमकर आलोचना की है।

हिंदी सिनेमा पर बरसे गुलजार

प्रसिद्ध कवि के तौर पर हाल ही में गुलजार ने साहित्य अकादमी के साहित्योत्सव के 39वें संस्करण संवत्सर व्याख्यान में भाग लिया है। इस दौरान उन्होंने भारतीय सिनेमा पर निशाना साधते हुआ बताया है कि हिंदी सिनेमा आज भी शुरुआती दौर के सिनेमा जाल में फंसा हुआ है।

उन्होंने विस्तार से कहा है- गुजरे दौर की तुलना में ध्वनि और संवाद का तरीका काफी बदल गया है, लेकिन कहानियों का सार फिल्मों में अभी भी वही है। अत्यधिक संवाद, गाने और झगड़ों का वही घिसा-पिटा पुरानी बातें फिल्मों में लगातार दोहराई जा रही हैं।

दुर्भाग्य से आज भी हम आलम आरा और हंटरवाली की तरह सब कुछ वैसा ही चला जा रहा है। इस तरह से गुलजार ने हिंदी फिल्मों के कहानी के सार को लेकर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। कुल मिलाकर कहा जाए तो वह आधुनिक दौर में मूवीज की कहानी को कमजोर कड़ी के तौर पर देख रहे हैं।

इन फिल्मों के लिए जाने जाते हैं गुलजार

89 वर्षीय गुलजार ने अपने करियर के दौरान कई शानदार गीतों को लिखा है, जिन्हें आज भी लोग सुनना पसंद करते हैं। बतौर गीतरकार उनके पॉपुलर सॉन्ग- जय हो, सौ दर्द, दिल तो बच्चा और सजदे हैं। इसके अलावा एक  निर्देशक के रूप में उन्होंने माचिस, हु तू तू, कोशिश, परिचय, अंगूर और आंधी जैसी कई मूवीज का डायरेक्शन भी किया है। 

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