चिली के जंगलों में भीषण आग ने मचाई तबाही, 120 से ज्यादा लोगों की मौत

चिली के जंगलों में भीषण आग लगी हुई है। अबतक इस आग के तांडव में 120 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। जबकि बड़ी संख्या में लोग जख्मी हुए हैं। वहीं, हालात को बिगड़ते देख देश में आपातकाल घोषित कर दिया गया है। 

161 जंगल आग की चपेट में

वालपराइसो लीगल मेडिकल सर्विसेज के अनुसार, सोमवार तक कम से कम 122 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा चेतावनी जारी की गई है कि मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है। दूसरी ओर, चिली राष्ट्रीय आपदा रोकथाम और प्रतिक्रिया सेवा (SENAPRED) ने पता लगाया है कि अभी देश भर में 161 जंगल आग की चपेट में हैं।

आपातकाल की स्थिति घोषित

राष्ट्रपति गेब्रियल बोरिक ने वालपराइसो और विना डेल मार सहित तटीय समुदायों को धुएं से परेशान देख आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी। बोरिक ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा था कि आग के कारण मृतक संख्या और बढ़ने की आशंका है, क्योंकि वालपराइसो क्षेत्र में चार स्थानों पर भीषण आग लगी है और दमकलकर्मियों को अत्यधिक खतरे वाले इलाकों तक पहुंचने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।

आग तेजी से फैल रही

बोरिक ने चिलीवासियों से बचावकर्मियों के साथ सहयोग करने की अपील की। उन्होंने कहा कि यदि आपको इलाका खाली करने के लिए कहा जाता है तो ऐसा करने में संकोच न करें। आग तेजी से फैल रही है और जलवायु परिस्थितियों के कारण उस पर काबू पाना मुश्किल हो गया है। तापमान उच्च है, हवा तेज चल रही है और आर्द्रता कम है। 

इसके अलावा, राष्ट्रपति ने कहा था कि रक्षा मंत्रालय प्रभावित क्षेत्रों में अतिरिक्त सैन्य कर्मी भेजेगा और सभी जरूरी आपूर्ति मुहैया कराएगा। उन्होंने पांच फरवरी और छह फरवरी को अग्नि पीड़ितों के सम्मान में राष्ट्रीय शोक दिवस घोषित किया।

पिछले साल भी लगी थी आग

आग के कारण मध्य चिली के कई क्षेत्रों से लोगों को निकाला गया। पिछले साल फरवरी में, देश में आग 400,000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में फैल गई थी और 22 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी।

श्रीलंका से रिहा हुए 12 मछुआरे

श्रीलंका से रिहा किए गए 12 मछुआरे आज चेन्नई हवाई अड्डे पर पहुंच गए। इन मछुआरों को श्रीलंकाई नौसेना ने 13 जनवरी को गिरफ्तार किया था।

भारत ने भेजी सहायता

जाम्बिया में हैजा के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में भारत सरकार ने आज वाणिज्यिक कार्गो विमानों पर मानवीय सहायता भेजी। लगभग 3.5 टन वजन वाले सहायता में जल शोधन आपूर्ति, क्लोरीन की गोलियां और ओआरएस पाउच के रूप में जलयोजन शामिल हैं।

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