कूड़ेदान से उठाकर खाना खा लेता है बच्चा, वापस करना चाहते हैं, मां-बाप की शिकायत पर HC ने एडॉप्शन किया रद्द

बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक नाबालिग लड़के का एडॉप्शन रद्द कर दिया है। इस एडॉप्शन को रद्द कराने के लिए खुद गोद लेने वाले मां-बाप ने हाईकोर्ट से गुहार लगाई थी। उन्होंने अपनी याचिका में कहा कि उनका बच्चे के साथ भवानात्मक लगाव नहीं हो पा रहा है। इसके बाद बॉम्बे हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के हक में फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने पिछले साल अगस्त 2023 में बच्चे को गोद लेने की इजाजत दी थी।

न्यायमूर्ति आर आई चागला की सिंगल बेंच ने पिछले महीने दिसंबर 2023 में बाल आशा ट्रस्ट द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए एडॉप्शन को रद्द करने का आदेश पारित किया। बच्चे को गोद लेने वाले (दत्तक) माता-पिता ने उसके “अनियंत्रित बुरे व्यवहार और आदतों” के बारे में ट्रस्ट से शिकायत की थी। इसके बाद एडॉप्शन को रद्द कराने के लिए याचिका दायर की गई। उच्च न्यायालय ने कहा कि अगर 17 अगस्त, 2023 को पारित गोद लेने का आदेश रद्द कर दिया जाता है, तो यह बच्चे के हित में ही होगा।

पूरा मामला क्या है?

दंपति ने बाल आशा ट्रस्ट के माध्यम से याचिका दायर कर बच्चे को गोद लिया था। लेकिन गोद लेने के 5 महीने बाद ही दंपती ने ट्रस्ट से बच्चे के अनियंत्रित बुरे व्यवहार और आदतों की शिकायत की। साथ ही कहा कि उनका बच्चे से भावनात्मक लगाव नहीं हो पाया है, इसलिए हम बच्चे को वापस करना चाहते हैं। 

ट्रस्ट ने दंपती को बच्चे के व्यवहार को समझने के लिए काउंसलिंग कराने का भी सुझाव दिया है। ताकि बच्चे के बर्ताव में सुधार लाने के लिए जरूरी कदम उठाए जा सकें। इस बीच ट्रस्ट ने अडॉप्शन से जुड़ी विशेषज्ञ सेंट्रल एंड स्टेट अडॉप्शन रिसोर्स, डिस्ट्रिक्ट चाइल्ड प्रोटेक्शन यूनिट को दंपती के घर का अध्ययन करने का सुझाव दिया। बता दें कि दंपती की पहले से एक बेटी है। 

अध्ययन में पता चला कि दंपती आखिर बच्चे को अपने साथ क्यों नहीं रख पा रहा है। काउंसलिंग के दौरान पता चला कि बच्चे अधिक खाना खाता है। दंपती ने बताया कि बच्चा कूड़ेदान से भी खाना उठाकर खा लेता है। इसके बाद बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाया गया। ब्लड टेस्ट के बाद पता चला कि बच्चा लेप्टिन और डायबिटीज के बॉर्डर लाइन पर है। डॉक्टर की राय के मुताबिक, बच्चा मोटापे और डायबिटीज से संबंधित अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित हो सकता है।

बीमारियों के अलावा, ये भी पता चला कि दंपती का बच्चे के साथ कोई भावनात्मक लगाव नहीं हो पा रहा है। सारी रिपोर्ट और दपंती के हलफनामे के साथ ट्रस्ट ने अडॉप्शन रद्द करने की मांग को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसके बाद कोर्ट ने एडॉप्शन रद्द कर दिया। बता दें कि अडॉप्शन में दिया गया बच्चा दंपती एनएम जोशी मार्ग पुलिस स्टेशन को मिला था, जिसे बाल आशा ट्रस्ट को सौंप दिया गया था। हाईकोर्ट ने केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (CARA) को जल्द से जल्द बेहतर भावी दत्तक माता-पिता की पहचान करने का निर्देश दिया है।

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