मंदिर में शराब पीने से रोकने पर डबल मर्डर, पुलिस ने दो सगे भाइयों को किया गिरफ्तार
भारामल मंदिर के महंत हरिगिरी महाराज और सेवादार रूप सिंह की हत्या की साजिश दो सगे भाइयों ने पीलीभीत के गैंगस्टर पवन के साथ मिलकर रची थी। आरोपियों ने डंडों से पीटकर निर्मम तरीके से दोहरे हत्याकांड को अंजाम दिया था। पुलिस ने पूरे मामले की गुत्थी को सुलझाते हुए 23वें दिन हत्याकांड का खुलासा किया।
पुलिस के मुताबिक रामपाल अक्सर श्मशान घाट में रहता है और आने-जाने वाले लोगों से पैसे मांग कर अपना गुजारा करता था। महंत हरिगिरी के डांटने पर उसने बदला लेने का मन बना लिया था। इस काम में उसने अपने सगे भाई कालीचरण की मदद ली। कालीचरण भारामल मंदिर में ही 5 साल पूर्व सेवादार के रूप में काम कर चुका था और आसपास के क्षेत्र से पूरी तरह वाकिफ था।
आरोपियों ने इसी का फायदा उठाकर घटनाक्रम को बड़ी आसानी से अंजाम दिया। चार जनवरी की रात आरोपी मंदिर पहुंचे। तभी महंत हरिगिरी जाग गए। तीनों ने डंडों और दरांती से महंत पर हमला कर दिया। शोर सुनकर सेवादार नन्हे पहुंचा तो उस पर भी हमला कर दिया। उसे मरा समझकर दान पात्र से रुपये निकालने लगे।
दूसरे सेवादार रूप सिंह बिष्ट को आता देख उस पर भी हमला कर हत्या कर दी। घटना के बाद रात में पैदल सूखी नदी के पुल को पार कर जंगल में छिपे रहे। अगले दिन पीलीभीत लौट गए। कोर्ट में पेशी के बाद तीनों को जेल भेज दिया गया है।
23 दिन, 12 सौ लोगों से पूछताछ पर मिला सुराग
भारामल बाबा मंदिर में हुए दोहरे हत्याकांड का खुलासा करने के लिए पुलिस को खासी मशक्कत करनी पड़ी। तीन जिलों की पुलिस 23 दिनों तक दो राज्यों की खाक छानने के बाद आरोपियों तक पहुंची। इसके लिए यूपी व उत्तराखंड के कई जनपदों के 1500 से अधिक सीसीटीवी कैमरे खंगाले।
1200 लोगों से पूछताछ की और 1000 लोगों का सत्यापन हुआ। डीआईजी और एसएसपी ने मामले का खुलासा करने वाली पुलिस टीम को नगद ईनाम देने की घोषणा की है। मामले का खुलासा करते हुए एसएसपी डॉ. मंजूनाथ टीसी ने बताया कि पुलिस को शुरू से ही लूट के चलते हत्याकांड का शक था। इसलिए तकनीकी सर्विलांस, फॉरेंसिक टीम, डाग स्क्वायड टीम को जांच में लगाया।
पुलिस ने घटना से पूर्व हुए भंडारे में आए दुकानदारों, संदिग्ध व्यक्तियों का सत्यापन किया। ऊधमसिंह नगर के अलावा बरेली, पीलीभीत, हल्द्वानी सहित आसपास आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों के बारे में जानकारी जुटाई गई। सर्विलांस टीम के जरिये पुलिस को घटना के दिन मंदिर के आसपास कुछ संदिग्ध मोबाइल नंबर एक्टिव मिले थे।
पवन हिस्ट्रीशीटर, श्मशान में रह रहा था रामपाल
एसएसपी ने बताया कि रामपाल और कालीचरण सगे भाई हैं। कालीचरण पूर्व में पांच वर्षों तक भारामल मंदिर में सेवादार रह चुका है। वह मंदिर के आवागमन के सभी रास्तों को जानता था। रामपाल पीलीभीत में श्मशान घाट में औघड़ बाबा के रूप में रह रहा था। वहीं कालीचरण और पवन मजदूरी करते मिले। पवन यूपी के थाना सुनगड़ी का हिस्ट्रीशीटर है। उस पर गैंगस्टर में भी कार्रवाई हो चुकी है। उस पर छह अभियोग पंजीकृत हैं।
खुलासे के दौरान उमड़ी भक्तों-साधु संतों की भीड़
खटीमा। एसएसपी डॉ. मंजूनाथ टीसी रविवार को बाबा हरिगिरी महाराज और उनके सेवादार की हत्या का खुलासा कर रहे थे। तभी महंत के भक्तों, साधु संतों की भीड़ भी वहां पहुंच गयी। हत्यारोपियों को प्रेसकर्मियों के समक्ष लाया गया तो साधु-संत और भक्तजन आरोपियों के चेहरे से नकाब हटाए जाने की मांग करने लगे। हालांकि पब्लिक को बेकाबू होते देख पुलिस अधिकारियों ने आरोपियों को सुरक्षित भेज दिया।