देवउठनी एकादशी के दिन गलती से भी न करें ये पांच काम, वरना भुगतना पड़ेगा भारी अंजाम

हिन्दू धर्म में देवउठनी एकादशी का खास महत्व है. इस वर्ष देवउठनी एकादशी 23 नवंबर को मनाई जाएगी. देवउठनी एकादशी को छोटी दिवाली भी कहा जाता है. देवउठनी एकादशी दिवाली के ग्यारवें दिन आने वाली एकादशी को बोला जाता है. इस दिन देशभर में शादियों का सीजन भी आरम्भ हो जाता है. धार्मिक मान्यता के मुताबिक, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को सृष्टि के संचालक प्रभु श्री विष्णु तथा समस्त देव चार महीने के पश्चात् विश्राम से जागते हैं, इसलिए इस दिन जब देव उठते हैं तो उसे देवउठनी एकादशी कहते हैं. वही इस दिन तुलसी विवाह की भी प्रथा है. वही  देवउठनी एकादशी के दिन कुछ नियमों का पालन करना जरुरी होता है, ऐसा न करने पर मनुष्य पाप का भागी बनता है तथा मृत्यु के पश्चात् उसे यमराज का कठोर दंड सहना पड़ता है। अगर आप मृत्यु के पश्चात् यमराज के प्रकोप से बचना चाहते हैं, तो ये देवउठनी एकादशी के दिन इन 5 गलतियों को न करें।

देवउठनी एकादशी के दिन ना करें ये गलतियां:-
1- तुलसी का पत्ता न तोड़े:- 

देवउठनी एकादशी के दिन प्रभु श्री विष्णु के साथ तुलसी पूजन भी किया जाता है। तुलसी का विवाह शालीग्राम के साथ कराया जाता है। ऐसे में भूलकर भी तुलसी का पत्ता तोड़ने की गलती न करें।

2- इन चीजों का सेवन न करें:- 

देवोत्थान एकादशी के दिन सात्विक जीवन जीना चाहिए। अगर आप उपवास नहीं रख रहे हैं, तो भी इस दिन साधारण भोजन करें। प्याज, लहसुन, अंडा, मांस, मदिरा आदि तामसिक चीजों का सेवन न करें। ब्रह्मचर्य का पालन करें।

3- चावल न खाएं:- 

शास्त्रों में किसी भी एकादशी के दिन चावल खाने की मनाही है। देवउठनी एकादशी को सबसे बड़ी एकादशी कहा जाता है। इस​ दिन गलती भी चावल का सेवन न करें।

4- ऐसा करने से रूठ जाएंगी मां लक्ष्मी:- 

अपने घर में शांति पूर्ण माहौल बनाकर रखें। वृद्धों का अनादर न करें। क्लेश, झगड़ा तथा बहस न करें। परम्परा है कि नारायण की खास पूजा के दिन घर का माहौल खराब करने से माता लक्ष्मी को क्रोध आता है तथा वे नाराज हो सकती हैं।

5- दिन में न सोएं:- 

देवोत्थान एकादशी का दिन बेहद विशेष दिन होता है। पूजा पाठ आदि करके इस दिन का सद्उपयोग करना चाहिए। दिन में लेटकर अथवा सोकर इसे गंवाना नहीं चाहिए। इस दिन ज्यादा से ज्यादा नारायण के मंत्रों का जाप करें। गीता का पाठ करें, विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। ईश्वर के भजन, सत्यनारायण की कथा आदि करना चाहिए। हालांकि बीमार तथा असमर्थ व्यक्तियों के लिए इन नियमों में छूट है।

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