दिवाली पर पूजन के दौरान रखें इन बातों का ध्यान, मां लक्ष्मी जल्द होगी प्रसन्न

सनातन धर्म में दिवाली का त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। दीपावली के दिन मां लक्ष्मी एवं गणेशजी की विधिविधान से पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से घर में मां लक्ष्मी का वास होता है तथा धन-दौलत में बरकत होती है। प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को दिवाली आती है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, प्रभु श्रीराम जब 14 साल के वनवास के पश्चात अयोध्या वापस लौटे थे, तो नगर वासियों ने इस खुशी में दीप प्रज्जवलित किया था। तभी से देश में दिवाली मनाने की परंपरा आरम्भ हुई। इस दिन लक्ष्मी-गणेश के साथ प्रभु श्री राम, माता सीता, मां सरस्वती सहित कई देवी-देवताओं की पूजा का विधान हैं। आइए आपको बताते है धन, सुख-समृद्धि में बरकत के लिए दिवाली पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजाविधि तथा सामग्री सूची के साथ दिवाली पूजा से जुड़ी सारी जानकारियां…

दिवाली का शुभ मुहूर्त: 
इस वर्ष कार्तिक मास अमावस्या तिथि का आरम्भ 12 नवंबर को दोपहर 2 बजकर 44 से होगा तथा 13 नवंबर को दोपहर 2 बजकर 56 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में सभी तीज-त्योहार उदयातिथि के मुताबिक मनाए जाते हैं, किन्तु दिवाली की पूजा प्रदोष काल में होती है। इसलिए वर्ष 2023 में 12 नवंबर को दिवाली मनाई जाएगी। इस दिन शाम को 5 बजकर 41 मिनट से लेकर 7 बजकर 35 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त बन रहा है।

दिवाली पूजन सामग्री-सूची: 
दिवाली पूजा के लिए लाल या पीले रंग का कपड़ा, गणेश-लक्ष्मी की प्रतिमा, चंदन, अक्षत, गुलाब एवं चंदन का इत्र, पान का पत्ता, सुपारी, दुर्वा, रुई की बाती, पंचामृत, गुलाब का फुल, गेंदा का फूल, फल,गन्ना, कमल गट्टा, सिंदूर, गोबर , लौंग-इलायची, नारियल, आम का पत्ता, कलावा,खील-बताशे, खीर, लड्डू, धूप-दीप, कपूर, कलश में जल, चांदी का सिक्का, घी का दीपक, जनेऊ, दक्षिणा के लिए नोट तथा सिक्के सहित सभी पूजन सामग्री एकत्रित कर लें।
 
दिवाली की पूजाविधि:-
-प्रदोष काल की पूजा आरम्भ होने से पहले घर की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दें।
-दिवाली के पूजा के वक़्त साफ-स्वच्छ वस्त्र पहनें।
-मंदिर की पास एक छोटी चौकी रखें तथा उस लाल या पीला कपड़ा बिछाएं।
-अब गणेश एवं लक्ष्मीजी की प्रतिमा ऐसे स्थापित करें कि उनका मुख पूर्व या पश्चिम दिशा में हो। प्रतिमा के सामने कलश स्थापित करें तथा उस पर नारियल रखें।
-दो बड़े दीपक प्रज्जवलित करें। कलश की तरफ चावल से नवग्रह की नौ ढेरियां बनाएं।
-इसके साथ ही गणेश जी की तरफ चावल की ढेर से सोलह ढेरियां बनाएं। 
-चावल की 16 ढेरियों को सोलह मातृका माना जाता है। सोलह मातृका के बीच स्वास्तिक बनाएं।
-सबसे पहले पवित्रीकरण के लिए प्रतिमाओं पर गंगाजल छिड़कें।
-लक्ष्मी एवं गणेश जी को फूलों की माला और वस्त्र चढ़ाएं।
-अब पूजा शूरू करें तथा लक्ष्मी गणेश को फल, फूल, धूप-दीप और नैवेद्य समेत सभी पूजा सामग्री चढ़ाएं।
-पूरे श्रद्धाभाव के साथ उनके मंत्रों का जाप करें तथा आखिर में सभी देवी-देवताओं और नवग्रहों के साथ लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा की आरती उतारें।
-लक्ष्मी पूजन के चलते अष्टलक्ष्मी महा स्त्रोत या श्री सूक्त का पाठ कर सकते हैं।

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