पत्रकार सौम्या विश्वनाथन मर्डर केस में सभी आरोपी दोषी करार, जानिए मामला…

साकेत कोर्ट में आज 2008 में टीवी पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या मामले (Soumya Vishwanathan Murder Case) में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रवींद्र कुमार पाण्डेय द्वारा सभी आरोपियों को दोषी करार दिया गया है।

साकेत कोर्ट ने वसंत कुंज थाने में 302/34 आईपीसी, 411 आईपीसी, मकोका के 3(1)(i), 3(2), 3(5) की धाराओं में दर्ज सौम्या विश्वनाथन हत्या मामले में चार आरोपितों को हत्या के संगठित अपराध का दोषी करार दिया। अजय सेठी को केवल 411 आईपीसी, मकोका के 3(1)(i), 3(2), 3(5) की धाराओं में दोषी करार किया गया।

26 अक्टूबर को सजा सुनाएगी अदालत

अब 26 अक्टूबर को दोषियों को अदालत सजा सुनाएगी। मृतका सौम्या विश्वनाथन के पिता एमके विश्वनाथन और माता माधवी विश्वनाथन भी मौजूद हैं। आरोपित अमित शुक्ला की ओर से दाखिल की गई अंतरिम जमानत की एक याचिका को भी कोर्ट ने खारिज कर दिया है।

काम से घर लौटते समय गोली मारकर कर दी गई थी हत्या

पिछली सुनवाई पर अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रवींद्र कुमार पाण्डेय ने फैसला सुनाए जाने के दौरान सभी आरोपितों को अदालत में शारीरिक रूप से उपस्थित रहने का निर्देश दिया था। बता दें कि सौम्या विश्वनाथन की 30 सितंबर, 2008 को सुबह लगभग 3.30 बजे उनकी कार में काम से घर लौटते समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

पुलिस का दावा- हत्या के पीछे डकैती का था मकसद

पुलिस ने दावा किया था कि उनकी हत्या के पीछे डकैती का मकसद था, लेकिन पांच लोगों रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलजीत मलिक, अजय कुमार और अजय सेठी को उनकी हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और वे मार्च 2009 से हिरासत में हैं।

पुलिस ने आरोपितों के खिलाफ सख्त महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) लगाया था। बलजीत और दो अन्य – रवि कपूर और अमित शुक्ला को पहले 2009 में आइटी एग्जीक्यूटिव जिगिशा घोष की हत्या में दोषी ठहराया गया था।

हथियार की बरामदगी से हुआ हत्या के मामले का पर्दाफाश

पुलिस ने बताया था कि जिगिशा घोष की हत्या में इस्तेमाल किए गए हथियार की बरामदगी से विश्वनाथन की हत्या के मामले का पर्दाफाश हुआ। ट्रायल कोर्ट ने 2017 में जिगिशा घोष हत्या मामले में कपूर और अमित शुक्ला को मौत की सजा और बलजीत मलिक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

हालांकि अगले वर्ष, उच्च न्यायालय ने रवि कपूर और अमित शुक्ला की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था और जिगिशा हत्या मामले में बलजीत मलिक की आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा था।

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