13 हजार में खरीदा बेशकीमती मास्क 36 करोड़ में बेचा, जानिए क्या है खास

इन दिनों एक दुर्लभ मुखौटा चर्चा में है, जिसकी कीमत को लेकर बड़ा फसाद खड़ा हो गया है. दरअसल, जिस मुखौटे (mask) के लिए इतनी खींचतान चल रही है, वो कलाकृति गैबॉन का एक पारंपरिक फैंग मुखौटा है, जिसका इस्तेमाल शादियों और अंत्येष्टि जैसे अनुष्ठानों में किया जाता है. बताया जा रहा है यह मुखौटा (Mask Auction) बेहद दुर्लभ है, जो कि दुनियाभर के म्यूजियम्स में एक दर्जन से भी कम हैं. बताया जा रहा है कि, यह मुखौटा सेंट्रल अफ्रीकी देश (African face mask) के बाहर काफी खास माना जाता है. हाल ही में इस मुखौटे को लेकर एक बुजुर्ग दंपत्ति (elderly couple) ने एक कला डीलर (dealer) के खिलाफ कानूनी कार्रवाई (legal action) की है, जिसके पीछे की वजह है मुखौटे की कीमत. पढ़ें क्या है पूरा माजरा.

13000 में खरीदा 36 करोड़ रुपये में बेचा

दरअसल, बुजुर्ग दंपत्ति को जब ये पता चला कि, जो मुखौटा उन्होंने डीलर को ₹13,000 में बेचा था, वह काफी अधिक मूल्यवान था. बाद में आर्ट डीलर ने उस मुखौटे की नीलामी 36 करोड़ रुपये में कर दी. मेलऑनलाइन (MailOnline) के अनुसार, फ़्रांस (France) के निम्स (Nimes) के इस अस्सी साल के जोड़े ने 2021 में अपना घर खाली कर दिया था, जब उन्होंने ‘एनगिल’ (Ngil) अफ़्रीकी मुखौटा (African mask) बेचने का फैसला किया. उन्होंने इसे मिस्टर ज़ेड के नाम से मशहूर एक आर्ट डीलर को 129 पाउंड (13208 रुपये) में बेच दिया, लेकिन उन्होंने कुछ ही महीने बाद एक नीलामी में मास्क को 3.6 मिलियन पाउंड (36,86,17320 रुपये) में बेच दिया.

फ्रांस कैसे पहुंचा यह मुखौटा 

मास्क की इतनी बड़ी कीमत होने के बारे में फ्रांसीसी जोड़े को उस वक्त पता चला, जब उन्होंने अखबार में बिक्री के बारे में पढ़ा. अब कपल मिस्टर जेड पर मुकदमा कर रहे हैं, क्योंकि उनका मानना है कि उन्होंने उन्हें धोखा (Auction House) दिया गया है. बताया जा रहा है कि, यह मुखौटा बुजुर्ग महिला के पति के दादा फ्रांस लाए थे, जो अफ्रीका में कोलोनियल गवर्नर थे. 

पढ़ें क्यों खास है यह मुखौटा

द मेट्रो न्यूज़ (The Metro News) के अनुसार, यह कलाकृति गैबॉन के फैंग लोगों से प्राप्त किया गया है और जिसका उपयोग शादियों और अंत्येष्टि के दौरान किया जाता है. वे अफ्रीकी देश के बाहर एक दुर्लभ दृश्य हैं, दुनिया भर के संग्रहालयों में केवल कुछ ही पाए जाते हैं. परीक्षण के अनुसार मुखौटा 19वीं सदी का है और अदालती दस्तावेज़ इस वस्तु को ‘अपनी दुर्लभता के मामले में असाधारण’ बताते हैं. निम्स में अपीलीय कोर्ट ने फैसला सुनाया कि, कपल का केस ‘सैद्धांतिक रूप से सही प्रतीत होता है.’ बताया जा रहा है कि, कोर्ट ने मामले के अंत तक मास्क की बिक्री पर रोक लगाने का आदेश दिया है. 

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