जोशीमठ में फिर बढ़ेगी टेंशन, पांच से 30 मीटर गहराई में मिला उच्च भूस्खलन प्रभावित नया जोन

वाडिया हिमालय भू विज्ञान संस्थान की ओर से जोशीमठ में अन्य वैज्ञानिक संस्थानों के साथ किए गए वैज्ञानिक अध्ययनों में पाया गया है कि वहां मनोहरबाग में नया भूस्खलन जोन विकसित हो गया है। यह जोन पांच से तीस मीटर तक गहरा है और पानी की निकासी सही न होने से यहां पर दिक्कतें बढ़ सकती हैं।

वाडिया के वैज्ञानिकों की ओर से किए गए जियोफिजिकल सर्वे में जोशीमठ के मनोहरबाग में अत्याधिक उच्च प्रभावित ऐसा क्षेत्र पाया गया है जो पानी की निकासी ठीक न होने की वजह से भूस्खलन की बड़ी वजह बन रहा है। जोशीमठ में भूस्खलन व दरार आने से सबसे ज्यादा नुकसान मनोहरबाग व सिंहधार मोहल्ले में हुआ है।

वैज्ञानिकों ने पहली बार लिडार तकनीक से जोशीमठ का उच्च क्षमता का टोपोग्राफिक मानचित्र तैयार किया। जिसमें भूस्खलन प्रभावित जोन अलग से चिन्हित किए जा सकते हैं। मानचित्र इतना सटीक है कि इसमें दस सेमी से लेकर एक मीटर तक का कंटूर इंटरवल दिया गया है।

वाडिया के निदेशक डॉ.कालाचांद साईं ने बताया कि जोशीमठ में अत्याधिक ढलान दशकों से सक्रिय भूस्खलन जोन को सक्रिय रखे हुए है। इसमें पानी की निकासी प्रभावित होने व मिट्टी के अत्याधिक नरम होने से भूस्खलन को बढ़ावा मिला।

टाउन प्लानिंग में मिलेगी मदद

जोशीमठ का मानचित्र तैयार करने में बेयर अर्थ मॉडल का उपयोग हुआ है। जो अत्याधिक भूस्खलन, कम भूस्खलन प्रभावित, अधिक व कम क्षतिग्रस्त भवनों यहां तक कि पेड़ों को उनके आकार के हिसाब से अलग अलग वर्गीकृत है। इससे जोशीमठ के टाउन प्लानिंग में एजेंसियो को भविष्य में मदद मिलेगी। शोध से शहर में नाला निकासी का मार्ग क्या हो, सीवर लाइन, एलीवेशन डेटा से स्लोप की सही रास्ते का पता चलेगा।

मारवाड़ी में ही एक सीवर ट्रीटमेंट पलांट है, जबकि वाडिया ने शहर के अलग अलग हिस्सों में सीवर ट्रीटमेंट प्लांट की सिफारिश की है। वाडिया ने सर्वे की यह रिपोर्ट राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण(एनडीएमए) और उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण(यूएसडीएमए) समेत पीडब्ल्यूडी व अन्य सरकारी एजेंसियों के साथ साझा की है।

वाडिया के शोध दल में डॉ.गौतम रावत, डॉ.नरेश कुमार, डॉ.पीकेआर गौतम, डॉ.दिलीप यादव, डॉ.देवाजित हजारिका, डॉ.परवीन कुमार, डॉ.तारिक अनवर, डॉ.राजीव लोचन मिश्रा, डॉ.शुभम बोस और डॉ.स्वप्नमिता वैदेश्वरन शामिल थे।

जोशीमठ में आ चुके हैं 42 भूकंप

जोशीमठ में वाडिया ने जियोफिजीकल सर्वे के अलावा सेस्मिक मॉनिटरिंग के लिए 11 सेस्मिक स्टेशन स्थापित किए हैं। जिसमें नौ शहर के भीतर ही बनाए गए हैं। इस स्टेशनों से वाडिया के वैज्ञानिकों ने माइक्रो भूंकप के झटके तक भी दर्ज किए हैं।

वैज्ञानिक इसकी निगरानी कर रहे हैं कि भूकंप का असर किस हद तक जोशीमठ पर पड़ रहा है। अभी तक जोशीमठ में कुल मिलाकर 42 भूकंप दर्ज किए गए हैं। जोशी में आई दरारों के लिए क्या भूकंप भी जिम्मेदार हैं इस पर शोध जारी है।

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