मरीज के हंगामा करने पर नहीं होगा इलाज, NMC ने नई गाइडलाइन की जारी, जानिए…
सरकारी या निजी अस्पतालों में इलाज के दौरान हंगामा अब मरीज को महंगा पड़ेगा। हंगामे की स्थिति में डॉक्टर, उस मरीज के इलाज से इनकार कर सकेंगे। इस संबंध में नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने गाइडलाइन तय कर दी है। अस्पतालों में कई बार डॉक्टर के देर से पहुंचने, मरीज को भर्ती करने के लिए जगह नहीं मिलने, डॉक्टर- मरीजों के आपसी व्यवहार व अन्य कई वजहों से हंगामा हो जाता है। नौबत पुलिस बुलाने तक की आ जाती है। अब कमीशन की गाइडलाइन से इस पर रोक लग सकेगी।
गाइडलाइन में कहा गया है कि यदि कोई मरीज, अस्पताल की ओपीडी या इमरजेंसी में हंगामा करता है तो डॉक्टर उसका इलाज करने से मना कर सकता है। इससे पहले डॉक्टर ऐसी स्थिति में इलाज से इनकार नहीं कर सकते थे। गौरतलब है कि जुलाई में चमोली के घाट में सरकारी डॉक्टर से मारपीट का मामला सामने आया था। इस पर सरकारी डॉक्टरों के संघ ने हड़ताल का ऐलान कर दिया था। पांच लोगों की गिरफ्तारी के बाद मामला शांत हो पाया था। इससे पूर्व पिछले साल गैरसैंण में डॉक्टर के साथ दुर्व्यवहार हुआ था।
तीमारदार को भी किया जाए शामिल
प्रांतीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा संघ के अध्यक्ष डॉ. मनोज वर्मा, इस गाइडलाइन को पर्याप्त नहीं मानते। उनका कहना है कि नियमों में मरीज के साथ तीमारदार को भी शामिल करना चाहिए। उन्होंने कहा, अक्सर देखने में आता है कि मरीज के साथ आए लोग ज्यादा हंगामा करते हैं। ऐसे में गाइडलाइन में मरीज के साथ तीमारदार शब्द भी जोड़ा जाना चाहिए। हालांकि उन्होंने माना कि गाइडलाइन से हंगामों में कुछ कमी जरूर आएगी।
डॉक्टर को भी संयमित होने की जरूरत
चिकित्सा शिक्षा निदेशक डॉ. आशुतोष सयाना का कहना है कि कमीशन की यह गाइडलाइन डॉक्टरों के लिए प्रोटेक्शन सुनिश्चित करती है। लेकिन यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि हमेशा मरीज या तीमारदार ही हंगामे की वजह नहीं होते। उनका कहना है कि कई बार स्वास्थ्य कर्मचारियों का व्यवहार भी झगड़े और विवाद की वजह बन सकता है। ऐसे में अस्पताल में मरीजों के साथ ही कर्मचारियों को भी संयमित रहने की जरूरत है।
गाइडलाइन में चिकित्सकों के लिए भी सख्त निर्देश
एनएमसी की ओर से जारी गाइडलाइन उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल ने राज्य में भी लागू कर दी है। इसके तहत डॉक्टरों पर भी सख्ती की गई है। चिकित्सकों से मरीजों के लिए अनिवार्य रूप से जेनेरिक दवा लिखने, दवा कंपनियों और टेस्टिंग लैब से उपहार नहीं लेने और दवा कंपनियों की ओर से आयोजित सेमिनार में प्रतिभाग नहीं करने को कहा गया है। साथ ही डिग्री के आधार पर ही इलाज का दावा करने के निर्देश दिए गए हैं। काउंसिल के रजिस्ट्रार डॉ.सुधीर पांडे ने बताया कि एनएमसी की गाइडलाइन राज्य में लागू करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।