नाम के अनुरूप था बहुमुखी था अटल जी का व्यक्तित्वः सीएम योगी

  • सीएम ने किया पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्व. अटल बिहारी वाजपेयी जी की पुण्यतिथि पर प्रतिमा का अनावरण
  • सीएम ने मूर्तिकारों का किया सम्मान, कवि सम्मेलन में भी की शिरकत
  • बोले- हर हाथ में मोबाइल ले जाने का श्रेय अटल जी को
  • नीलकंठ बनकर देश के राजनीतिक आकाश में जगमगाते रहे अटल जी

लखनऊ, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि नाम के अनुरूप अटल जी का व्यक्तित्व भी था। उनका व्यक्तित्व बहुमुखी थी। वे पत्रकार, साहित्यकार, राजनेता थे। भारत की आत्मा को झंकृत करने वाले जननेता के रूप में उनका यशस्वी मार्गदर्शन देश को उस कालखंड में प्राप्त होता रहा, जब राजनीति संक्रमण काल से गुजर रही थी। कोई भी नेतृत्व हो, विपरीत परिस्थितियों में देश को एकजुट हो करके, जब देश की बात आएगी तो हम राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर देश के नेतृत्व के साथ खड़े होंगे। यह प्रेरणा भी हमें अटल जी ने दी थी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को अटल बिहारी वाजपेयी साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर, केजीएमयू में पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्व. अटल बिहारी वाजपेयी जी की पुण्यतिथि पर प्रतिमा का अनावरण किया और कवि सम्मेलन में शिरकत की।

अटल जी ने दुनिया के मंचों पर दिया था भारत की एकता का संदेश

सीएम ने कहा कि 1971 में भारत-पाक युद्ध के समय भारत की एकता की बात सामने आई तो सरकार के चीरहरण के लिए नहीं, बल्कि सरकार के साथ स्वर से स्वर मिलाकर अटल जी ने सरकार को समर्थन देकर भारत की एकता का संदेश दुनिया के मंचों पर दिया था। जब कांग्रेस ने लोकतंत्र का गला घोंटने का प्रयास किया तो श्रद्धेय अटल जी ने भारतीय जनसंघ को विसर्जन करने और लोकतंत्र बचाने की मांग सर्वोपरि रखी। एक आम नागरिक की आवाज को लोकतंत्र के माध्यम से ही दुनिया के सबसे बड़े मंच तक पहुंचाया जा सकता है। अटल जी ने इस आवाज को मजबूती प्रदान की। एक राजनेता के रूप में, विदेश मंत्री के रूप में संयुक्त राष्ट्र संघ में राजभाषा को वहां पर प्रमुखता के साथ अपने भाषण का हिस्सा बनाओ, यह भी पहली बार भारत ने देखा। भारत के अनुरूप विकास की कार्ययोजना कैसे बननी चाहिए, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना, राष्ट्रीय राजमार्गों के स्वर्णिम चतुर्भुज योजना का कार्य रहा हो।

हर हाथ में मोबाइल पहुंचाने का श्रेय अटल जी को जाता है

सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारत के अंदर आज हर हाथ में मोबाइल फोन पहुंचा है तो इसका श्रेय अटल बिहारी वाजपेयी जी को जाता है। मोबाइल क्रांति के जनक भारत में कोई हैं, यह रिफॉर्म अटल जी ने किया। अटल जी के आने के पहले लैंडलाइन फोन भी सिफारिश से मिलता था। लैंडलाइन भी दूर की कौड़ी थी। मोबाइल जब आया था तो एक कॉल की कीमत 16 रुपये थी। आज 16 रुपये हो जाए तो बहुत लोग मोबाइल बंद कर रख देंगे। 1999 में जब मोबाइल आया तो इनकमिंग व आउटकमिंग का 16-16 रुपये देने पड़ते थे पर आज यह जीरो है। भारत दुनिया में सर्वाधिक मोबाइल धारण करने वाला देश है। सर्वाधिक डिजिटल क्रांति का लाभ लेने वाला देश है। उसकी नींव अटल जी ने रखी और उसे घर-घऱ तक पहुंचाकर श्रद्धेय प्रधानमंत्री मोदी जी ने लोकोपयोगी बनाकर दिखाया।

अटल जी नीलकंठ बनकर देश के राजनीतिक आकाश में जगमगाते रहे

सीएम ने कहा कि गरीब भूखों नहीं मरेगा, यह संवेदना किसी सरकार ने दिखाई तो अंत्योदय (बीपीएल) योजना अटल जी ही लेकर आए थे। देश की संवेदना को जानने, उस प्रकार की रचना को समसामायिक मुद्दों के साथ जोड़ने…….. ‘हिंदू तन-मन, हिंदू जीवन रग-रग हिंदू मेरा परिचय’ यह पंक्ति लिखने का साहस सिर्फ अटल जी जैसे राजनेता ही कर सकते थे।
‘हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा’
यह पंक्तियां भी विपरीत परिस्थितियों में कार्यकर्ताओं को चुनौतियों से लड़ने को प्रेरित करती हैं।
सब कुछ प्रतिभाओं से भरपूर है। अटल जी संवेदनशील इंसान के रूप में जाने जाते थे। हर दल का व्यक्ति उन्हें सम्मान देता था। उनके मन में किसी के प्रति कितनी भी कड़वाहट क्यों न रही हो पर अटल जी ने अपनी कड़वाहट को सार्वजनिक नहीं किया। शिव की तरफ जहर के घूंट को पीते रहे और नीलकंठ बनकर देश के राजनीतिक आकाश में जगमगाते रहे। आज अटल जी की पांचवीं पुण्यतिथि है। उनकी स्मृतियां हमें नई प्रेरणा देती हैं। नए राजनेताओं को संवेदनशील बनने, जनाकांक्षाओं की पूर्ति करने, परिश्रम से कार्य करने व मूल्यों-सिद्धांतों से अटल रहकर उसे प्राप्त करने की नई दृढ़इच्छाशक्ति भी अटल जी का व्यक्तित्व प्रदान करता है।

कोरोना कालखंड में पीएम ने किया था अटल जी की मूर्ति का लोकार्पण

सीएम ने कहा कि हमारी सरकार को श्रेय जाता है कि अटल जी के इन भावों को बढ़ाने के लिए उनकी पहली मूर्ति मुख्यमंत्री कार्यालय के पास लगाई गई थी। कोरोना कालखंड में आदरणीय प्रधानमंत्री जी विशेष रूप से उस मूर्ति का लोकार्पण करने लखनऊ आए थे। श्रद्धेय अटल जी के नाम पर समर्पित अटल बिहारी वाजपेयी मेडिकल यूनिवर्सिटी, जिससे प्रदेश के सभी विश्वविद्यालय संबद्ध है यह लखनऊ में स्थापित हो रही है। यही नहीं, पहली बार शिक्षा के नए केंद्र के रूप में श्रमिकों व अनाथ बच्चों के लिए 18 अटल आवासीय विद्यालय इसी सत्र में पीएम की प्रेरणा से डबल इंजन की सरकार आगे बढ़ा रही है। यह प्रेरणा मूर्त रूप लेता हुए आगे बढ़ रही है।

एक दूसरे के पूरक बन गए लखनऊ और अटल जी

सीएम ने कहा कि जो सपना व सिद्धांत पं. दीनदयाल उपाध्याय जी ने लिया था। कश्मीर के बारे में जो सपना डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने देखा था। अपने कार्यकाल में जिन कार्यों की नींव अटल जी ने स्थापित की थी, उस पर सुदृढ़ भारत के निर्माण का कार्य आज पीएम मोदी के यशस्वी नेतृत्व में हम देख रहे हैं। नए भारत का दर्शन कर रहे हैं। य़ही पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का सबसे बड़ा माध्यम है। सपनों से नहीं, व्यावहारिक जीवन में भी हम यह करके रहेंगे। भाजपा कार्यकर्ताओं ने यही किया है। श्रद्धेय नेता को भावों से नहीं, बल्कि भंगिमाओं, जनकल्याणकारी योजनाओं, रचनात्मक कार्यक्रमों से कृतज्ञता ज्ञापित कर रहा है। यही दर्शन हमें देश-प्रदेश व लखनऊ के अंदर प्राप्त हो रहा है। अटल जी 1957 में बलरामपुर से पहली बार सांसद बने थे। आज वहां उनके नाम पर केजीएमयू के सैटेलाइट सेंटर को मेडिकल कॉलेज के रूप में स्थापित कर रहे हैं। लखनऊ से पांच बार अटल जी ने देश की संसद का प्रतिनिधित्व किया। अटल व लखनऊ एक-दूसरे के पूरक बन गए और यही अपने नेता के प्रति समर्पण का भाव होता है।

उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने अतिथियों का स्वागत किया। इस अवसर पर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी भूपेंद्र सिंह, महापौर सुषमा खर्कवाल, पूर्व उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा, काबीना मंत्री सुरेश खन्ना, सूर्य प्रताप शाही, आशीष पटेल, गिरीश चंद यादव, राज्यसभा सांसद अशोक वाजपेयी, विधायक नीरज बोरा, योगेश शुक्ल, एमएलसी महेंद्र सिंह, मुकेश शर्मा, लालजी निर्मल, अवनीश सिंह, रामचंद्र प्रधान, बुक्कल नवाब आदि मौजूद रहे।

सीएम ने मूर्तिकारों को किया सम्मान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मूर्तिकार कैप्टन एसके वाजपेयी, केसी वाजपेयी, रमेश वाजपेयी, अमृत वाजपेयी को अंगवस्त्र व स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया।

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