छत्तीसगढ़ के सेवानिवृत अधिकारियों को भाती है विपक्ष की राजनीति, पढ़ें पूरी खबर…
रायपुर, छत्तीसगढ़ के सेवानिवृत अधिकारियों को सत्ताधारी दल की तुलना में विपक्ष की राजनीति खूब भाती है। 2018 के विधानसभा चुनाव के समय जब भाजपा सत्ता में और कांग्रेस विपक्ष में थी, तब एक दर्जन से अधिक अधिकारी सेवानिवृत के बाद विपक्षी दल कांग्रेस से जुड़ गए थे।
इनमें से कइयों ने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा था। पांच को जीत भी मिली। इस बार के चुनाव में इन अधिकारियों की पहली पसंद विपक्षी दल भाजपा है। इन सेवानिवृत अधिकारियों में विपक्षी दल के मोह के पीछे का सबसे बड़ा कारण टिकट की आस है।
सामान्यत: सत्ता में रहने वाली पार्टी के नेता अपनी टिकट का जुगाड़ करने में सक्षम होते हैं। इस कारण नए आए लोगों के लिए टिकट मिलने की संभावना कम होती है। सेवानिवृत अधिकारियों की ‘विपक्ष की राजनीति’ के पीछे यही प्रमुख कारण है। प्रदेश में अभी भाजपा विपक्ष में है।
भूतपूर्व शिक्षा अधिकारी जीआर चंद्राकर ने भाजपा प्रवेश किया है।
अब तक एक दर्जन से अधिक सेवानिवृत अधिकारियों ने भाजपा प्रवेश किया है। इसमें कई आइएएस, आइपीएस और राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं। एक दिन पहले ही पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी जीआर चंद्राकर ने भाजपा प्रवेश किया है।
वहीं, पिछले चुनाव के समय कांग्रेस में शामिल हुए आइएएस आरपी त्यागी अब भाजपा के साथ आ गए हैं। भाजपा में प्रवेश करने वालों में सेवानिवृत आइएएस जीएस मिश्रा प्रमुख हैं। मिश्रा विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटे हैं। भाजपा ने उनको बलौदाबाजार जिले का प्रभारी भी बनाया है।
पूर्व कलेक्टर नीलकंठ टेकाम ने वीआरएस के लिए आवेदन दिया है।
मिश्रा का पैतृक घर घरसींवा विधानसभा क्षेत्र में आता है। पूर्व कलेक्टर नीलकंठ टेकाम ने वीआरएस के लिए आवेदन दिया है। हालांकि उनका आवेदन अभी तक स्वीकृत नहीं हुआ है, लेकिन वह भाजपा के पाले में जाने को तैयार हैं। चर्चा है कि टेकाम कांकेर या कोंडागांव जिले की किसी सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। इससे पहले मध्य प्रदेश के समय भी टेकाम ने नौकरी छोड़कर चुनाव लड़ा था।
पिछले चुनाव में रायपुर कलेक्टर रहे आइएएस ओपी चौधरी ने नौकरी छोड़कर भाजपा का दामन थामा था। हालांकि वह खरसिया से उमेश पटेल से चुनाव हार गए, लेकिन प्रदेश भाजपा की राजनीति में उनकी दखल कम नहीं हुई। उनको पार्टी ने प्रदेश महामंत्री की जिम्मेदारी दी है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि आने वाले दिनों में भाजपा से जुड़ने वाले अधिकारियों की संख्या में और इजाफा होगा।