इजरायल में न्यायिक सुधार कानून पर तेज हो सकता है विरोध प्रदर्शन, राष्ट्रपति ने लोगों से की ये अपील
इजरायल की संसद ने सोमवार (24 जुलाई) को विवादास्पद न्यायिक सुधार बिल को कानून का रूप दे दिया। इस विधेयक को सत्तारूढ़ कट्टर दक्षिणपंथी गठबंधन के सभी 64 सांसदों ने मंजूरी दी है। वहीं, विपक्षी सांसदों ने इसका बहिष्कार किया है।
विवादस्पद कानून के खिलाफ सात महीनों से हो रहा विरोध प्रदर्शन
इजरायल में विवादस्पद कानून के खिलाफ इस साल की शुरुआत से ही विरोध प्रदर्शन हो रहा है। प्रदर्शनकारियों का दावा है कि यह कानून इजरायल में न्यायपालिका की शक्तियों को कम कर देगा। सारी शक्तियां सरकार के पास आ जाएंगी, जिससे वह निरंकुश हो जाएगा। उन्होंने आने वाले समय में प्रदर्शनों को और तेज करने की कसम खाई है, जिसको देखते हुए प्रधानमंत्री ने शांति बनाए रखने की अपील की है।
‘शांति बनाए रखें, हमें हिंसा से बचना चाहिए’
राष्ट्रपति इसहाक हर्जोग ने फेसबुक पर कहा, “मैं हर किसी से अपील करता हूं कि शांति बनाए रखें। हमें विवाद की सीमाओं को बनाए रखना चाहिए और हिंसा से बचना चाहिए।”
नए कानून से कमजोर होगी सुप्रीम कोर्ट की शक्तियां
- इजरायल की संसद में जो प्रस्ताव पेश किए गए, उसमें से एक विधेयक सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने की अनुमति देगा, जबकि दूसरा संसद को जजों की नियुक्ति में आखिरी अधिकार देगा।
- इस बिल पर सरकार और विपक्ष के बीच बातचीत भी हुई, लेकिन दोनों में बात नहीं बन पाई।
- विपक्षी नेताओं ने कहा कि इस बिल के जरिए सरकार देश को तबाह करना चाहती है।
सात सितंबर को होगी सुनवाई
हालांकि, कानूनी लड़ाई अगले गुरुवार से ही शुरू हो जाएगी, जब शीर्ष अदालत मार्च में अनुमोदित गठबंधन विधेयक के खिलाफ अपील पर सुनवाई करेगी, जिसमें प्रधानमंत्री को पद से हटाने के लिए शर्तों को सीमित किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने न्यायाधीशों का चयन करने वाले पैनल को बुलाने में विफलता पर सरकार के खिलाफ एक राजनीतिक निगरानी संस्था द्वारा लाए गए एक मामले में 7 सितंबर को सुनवाई तय की है, जिसे नेतन्याहू के सुधारों का विस्तार करना है।
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर तुर्क ने सत्ता में बैठे लोगों से प्रदर्शनकारियों के आह्वान पर ध्यान देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि वे मानवाधिकारों और कई दशकों में इजरायल में इतनी मेहनत से बनाए गए लोकतांत्रिक स्थान और संवैधानिक संतुलन के लिए खड़े हैं।
अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा बुरा असर
योजनाओं ने क्रेडिट एजेंसियों की चेतावनियों के कारण अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है, जिससे विदेशी निवेशकों का पलायन शुरू हो गया है। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने एक रिपोर्ट में कहा कि चल रहे विवाद से घरेलू राजनीतिक अनिश्चितता बढ़ रही है। इस साल आर्थिक वृद्धि कम होगी।
विरोध करने वाले नेताओं का कहना है कि बढ़ती संख्या में सैन्य रिजर्वों ने अपना विरोध व्यक्त करने के लिए सेवा बंद करने का फैसला किया है। सेना का कहना है कि नो-शो लंबे समय तक साबित हुआ तो युद्ध की तैयारी को धीरे-धीरे नुकसान होगा।