आषाढ़ अमावस्या पर इन मन्त्रों के साथ भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की करें पूजा

प्रत्येक महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के अगले दिन अमावस्या तिथि पड़ती है। वही इस बार 18 जून को ‘आषाढ़ अमावस्या’ है। सनातन धर्म में अमावस्या और पूर्णिमा तिथि की विशेष महत्वत्ता है। दैनिक पंचांग के मुताबिक, आषाढ़ अमावस्या की तिथि 17 जून को प्रातः 9 बजकर 11 मिनट से आरम्भ होकर अगले दिन 18 जून को 10 बजकर 06 मिनट पर समाप्त होगी। अतः 17 जून को दर्श अमावस्या एवं 18 जून को आषाढ़ अमावस्या है। इस दिन दान करने का विशेष महत्व हैं।

सूर्यास्त के बाद करें लक्ष्मी जी और विष्णु जी की पूजा:-

अमावस्या तिथि पर सूर्यास्त के पश्चात् स्नान करें एवं घर के मंदिर में देवी लक्ष्मी एवं विष्णु जी की पूजा की व्यवस्था करें। सबसे पहले गणेश जी का पूजन करें। गणेश जी को स्नान कराएं। वस्त्र, हार-फूल अर्पित करें। कुमकुम से तिलक करें। पूजन सामग्री चढ़ाएं। श्रृंगार करें। दूर्वा चढ़ाएं। लड्डू का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। गणेश पूजा के पश्चात् लक्ष्मी जी और विष्णु जी का पूजन करें। देवी-देवता की प्रतिमा का जल से, फिर केसर मिश्रित दूध से और फिर जल से अभिषेक करें। लक्ष्मी जी को लाल चुनरी ओढ़ाएं। विष्णु जी को पीले चमकीले वस्त्र अर्पित करें। हार-फूल चढ़ाएं। तिलक करें। इत्र चढ़ाएं। अन्य पूजन सामग्री चढ़ाएं।

ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करते रहें। देवी लक्ष्मी के मंत्र ऊँ महालक्ष्म्यै नम: का भी जप करें। मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाएं। आरती करें। इस प्रकार पूजा करने के बाद भगवान से पूजा में हुई भूल-चूक के लिए क्षमा मांगें। पूजा के बाद प्रसाद बांटें और खुद भी लें।

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