बॉम्बे HC ने पशु वध को लेकर याचिकाकर्ता को लगाई जमकर लगाई फटकार, जानिए क्या कहा…
मुंबई, बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुरुवार को पशु वध को लेकर याचिकाकर्ता को जमकर फटकार लगाई। हाई कोर्ट ने कहा कि वे कहीं भी अनियंत्रित तरीके से पशुओं के वध की अनुमति नहीं दे सकते हैं। साथ ही कोर्ट ने कोल्हापुर में विशालगढ़ किले के संरक्षित क्षेत्र के भीतर पशु बलि पर प्रतिबंध के खिलाफ याचिका पर महाराष्ट्र सरकार से जवाब मांगा है।
प्रतिबंध को चुनौती देने के लिए याचिका दायर
बता दें कि बॉम्बे हाई कोर्ट में विशालगढ़ किले के भीतर पशु बलि पर लगाए गए प्रतिबंध को चुनौती देने के लिए याचिका दायर की गई थी। हजरत पीर मलिक रेहान मीरा साहेब दरगाह ट्रस्ट द्वारा दायर याचिका में इस साल 1 फरवरी को मुंबई के पुरातत्व और संग्रहालय के उप निदेशक द्वारा जारी किए गए निर्देश को चुनौती दी गई थी, जिसमें देवताओं को बलिदान देने के नाम पर अवैध पशु वध पर रोक लगाई गई थी।
मुंबई के पुरातत्व और संग्रहालय के उप निदेशक के निर्देश में 1998 के उच्च न्यायालय के एक आदेश का हवाला दिया गया था, जिसमें सार्वजनिक स्थानों पर देवी-देवताओं के नाम पर पशु बलि पर प्रतिबंध लगाया गया था।
इस मामले में पांच जुलाई को होगी अगली सुनवाई
इस याचिका पर जस्टिस गौतम पटेल और जस्टिस नीला गोखले की खंडपीठ ने राज्य सरकार को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया। इस मामले में अगली सुनवाई पांच जुलाई को होगी।
पीठ ने स्वच्छता बनाए रखने पर दिलाया ध्यान
पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील एसबी तालेकर की ओर इशारा करते हुए कहा कि वह जानवरों के किसी भी अनियमित या अनियंत्रित वध की अनुमति नहीं दे सकता। पीठ ने कहा कि किले के आसपास के क्षेत्र को संरक्षित करने की भी जरूरत है।
जस्टिस पटेल ने कहा
हमें यह स्पष्ट कर देना चाहिए कि हम कहीं भी जानवरों के किसी भी अनियमित या बिना निगरानी के वध की अनुमति नहीं देने जा रहे हैं। किले के आसपास स्वच्छता बनाए रखने की जरूरत है।
पीठ ने याचिकाकर्ता को लगाई फटकार
याचिकाकर्ता ने याचिका में दावा किया था कि पशु बलि दरगाह की एक पुरानी प्रथा थी और हालिया प्रतिबंध दक्षिणपंथी संगठनों और हिंदू कट्टरपंथियों के प्रभाव में जारी किया गया था। इस पर कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि हो सकता है कि यह पुरानी प्रथा हो, लेकिन याचिकाकर्ता ने इसे सांप्रदायिक रंग देने की भी कोशिश की।