भारतीय एयरलाइन GoFirst दिवालिया घोषित, जानिए अब तक कितनी एयरलाइन हुई बंद

करीब 30 साल पहले प्राइवेट एयरलाइंस को परिचालन की मंजूरी मिलने के बाद से देश में हर साल औसतन एक एयरलाइन बंदी का शिकार हुई है। अपना परिचालन बंद करने वाली पहली एयरलाइन ईस्ट वेस्ट ट्रैवल्स एंड ट्रेड लिंक लिमिटेड थी। उसने उड़ान शुरू होने के दो साल बाद ही नवंबर, 1996 में उड़ानें बंद कर दी थी। भारत में एयरलाइनों की एक लंबी सूची है, ज्यादातर कम लागत वाली, जो अतीत में बंद हो गई हैं।

पिछले दो दशकों में भारत में 15 से अधिक और 29 साल में 27 एयरलाइंस बंद हो चुकी हैं। इनमें इंडियन एयरलाइंस, जेट एयरवेज और किंगफिशर एयरलाइंस जैसे बड़े , लोकप्रिय , एयर कार्निवल और एयर पेगासस जैसे कम लागत वाले वाहक शामिल हैं। वाडिया समूह के स्वामित्व वाली GoFirst दिवालिया होने वाली लेटेस्ट भारतीय एयरलाइन है।

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, देश में सबसे पहले 1994 में निजी एयरलाइन को उड़ान भरने की अनुमति मिली थी। इसके बाद से 29 वर्षों में अब तक कुल 27 एयरलाइंस को या तो अपना परिचालन बंद करना पड़ा है या फिर किसी अन्य विमानन कंपनी ने उनका अधिग्रहण कर लिया है। इसके पहले वर्ष 2022 में हेरिटेज एविएशन प्राइवेट लिमिटेड ने अपना परिचालन बंद कर दिया था। वर्ष 2020 में भी तीन एयरलाइंस- जेक्सस एयर सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, डक्कन चार्टर्ड प्राइवेट लिमिटेड और एयर ओडिशा एविएशन लिमिटेड ने भी उड़ान सेवाएं बंद कर दी थीं।

यहां उन अन्य एयरलाइनों पर एक नज़र डाली गई है जो उच्च परिचालन लागत या अन्य एयरलाइनों से कंपटीशन से लेकर वित्तीय परेशानियों के के कारण GoFirst से पहले दिवालिया हो गईं।

1. GoFirst के दिवालिया होने के पीछे ये हैं कारण

लो-कॉस्ट कैरियर गो फर्स्ट ने 2 मई को दिवालियापन के लिए याचिका दायर किया और बढ़ते घाटे के कारण अगले  3,4 और 5 मई के लिए अपनी सभी फ्लाइटों को सस्पेंड कर दिया। इसने अपने दिवालिएपन के लिए प्रैट और व्हिटनी इंजनों की डिलीवरी में देरी को जिम्मेदार ठहराया, जिसके परिणामस्वरूप इसके बेड़े में शामिल आधे विमान ग्राउंडिंग हो गए।

2. सुब्रत रॉय की एयर सहारा ने 1993 में शुरू की थी पहली उड़ान

सहारा इंडिया परिवार के मुखिया सुब्रत रॉय के स्वामित्व वाली एयर सहारा सस्ते टिकट, घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मार्गों में व्यापक कनेक्टिविटी के साथ तेजी से बढ़ने वाली एयरलाइनों में से एक थी। एयर सहारा की स्थापना 1991 में हुई थी। इसकी पहली उड़ान 1993 में शुरू की गई थी। इसने दो 737-200 के बेड़े का उपयोग करके उड़ानें शुरू कीं और बॉम्बार्डियर सीआरजे विमान को अपने बेड़े में जोड़ा। जेट एयरवेज ने 2006 में 545 मिलियन डॉलर में एयर सहारा की सभी संपत्तियों का अधिग्रहण कर लिया।

3. एयर सहारा को खरीदने वाली जेट एयरवेज भी हुई बेसहारा

जेट एयरवेज अपने पीक ईयर में 17.8 प्रतिशत की मार्केट शेयर के साथ देश की दूसरी सबसे बड़ी एयरलाइन थी। देश की सबसे पुरानी निजी एयरलाइन ने अप्रैल 2019 में स्पाइसजेट और इंडिगो जैसे उभरते कम लागत वाले वाहकों के साथ कड़ी प्रतिस्पर्धा करने के बाद अपना परिचालन बंद कर दिया। बाद में जेट एयरवेज दिवाला समाधान प्रक्रिया में चला गया और जालान कालरॉक कंसोर्टियम (JKC) विनिंग बिडर के रूप में उभरा, लेकिन मालिकाना हक के ट्रांसफर की प्रक्रिया लंबे समय से रुकावटों का सामना कर रही है।

4. विजय माल्या का किंगफिशर एयरलाइंस भी फिनिश

भगोड़े व्यवसायी विजय माल्या ने 20 साल पहले किंगफिशर एयरलाइंस की स्थापना की और इसने 2005 में अपना परिचालन शुरू किया। इसने अपने नए 174-सीटर A320 विमान के साथ अपना परिचालन शुरू किया था। अपने चरम पर कंपनी के पास 24 A320s, आठ A321s और 27 ATR 72 यूनिट थीं, लेकिन एयरलाइंस स्थापना के बाद से भारी घाटे से नहीं उबर पाई और कर्ज में डूब गई। इसने 2007 में बैंगलोर स्थित एयर डेक्कन का अधिग्रहण किया। इस अधिग्रहण ने उसकी कमर तोड़ दी। इस वजह से 2012 में इसे बंद कर दिया गया।

5. पैरामाउंट एयरवेज: लॉन्च के पांच साल बाद ही बंद

चेन्नई बेस्ड पैरामाउंट एयरवेज ने 2005 में बिजनेस ट्रेवेलर्स के लिए एक एयरलाइन केटरिंग के रूप में शुरुआत की। दक्षिण और पूर्वी भारत रूट पर इसने अपना ध्यान केंद्रित किया। यह न्यू जनरेशन एम्ब्रेयर 170/190 फैमिली सीरीज एयरक्राफ्ट लॉन्च करने वाली भारत की पहली एयरलाइन थी। बढ़ते कर्ज की वजह से कंपनी ने 2010 में अपने परिचालन को बंद कर दिया। इसके लॉन्च के पांच साल बाद ही इसने अपना बेड़ा खो दिया।

6. वायुदूत एयरलाइंस: पूर्वोत्तर मार्गों पर कब्जा करना था उद्देश्य मगर…

1981 में स्थापित वायुदूत एयरलाइंस इंडियन एयरलाइंस और एयर इंडिया का एक संयुक्त उद्यम था। दिल्ली के सफदरजंग हवाई अड्डे के आधार पर एयरलाइन का उद्देश्य भारत के पूर्वोत्तर मार्गों पर कब्जा करना था। 1993 में इसकी संपत्ति का इंडियन एयरलाइंस में विलय कर दिया गया। 1997 में इसके उड़ान संचालन को इंडियन एयरलाइंस की सहायक कंपनी एलायंस एयर में स्थानांतरित कर दिया गया। 

7. इंडियन एयरलाइंस का हो गया विलय

इंडियन एयरलाइंस एयर इंडिया लिमिटेड का एक हिस्सा थी, जो मुख्य रूप से घरेलू मार्गों और कुछ अंतरराष्ट्रीय सेवाओं पर केंद्रित थी। आजादी से पहले आठ घरेलू एयरलाइनों के विलय के बाद यह एयर इंडिया लिमिटेड का एक डिविजन था। 2005 में इसे भारतीय के रूप में फिर से ब्रांडेड किया गया था। 2007 में केंद्र सरकार ने इंडियन एयरलाइंस को एयर इंडिया लिमिटेड के साथ अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी के रूप में विलय कर दिया। विलय की प्रक्रिया के हिस्से के रूप में, केंद्र ने नेशनल एविएशन कंपनी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड का गठन किया, जिसे बाद में एयर इंडिया लिमिटेड के रूप में पुनः ब्रांड किया गया। ये सभी सहायक कंपनियां अब एयर इंडिया का हिस्सा हैं, जो वर्तमान में टाटा संस द्वारा नियंत्रित हैं।

8. एयर पेगासस: उड़ान के एक साल के अंदर जमीन पर

बैंगलोर बेस्ड एयर पेगासस ने अप्रैल 2015 में परिचालन शुरू किया। यह एक विमान ग्राउंड-हैंडलिंग सेवा कंपनी, डेकोर एविएशन की सहायक कंपनी थी, लेकिन इसने जुलाई 2016 में बढ़ते कर्ज और तकनीकी दिक्कतों के कारण अपने परिचालन को निलंबित कर दिया। 

9. एयर मंत्रा: पहली उड़ान के आठ महीने बाद ही जमीन पर

2011 में स्थापित एयर मंत्रा रेलिगेयर ग्रुप द्वारा लॉन्च किया गया था। यह उत्तर भारत के रूट्स पर कब्जा करना चाहता था। इसकी शुरुआत ATR 72 और बॉम्बार्डियर Q400 विमानों के अधिग्रहण के साथ हुई, लेकिन आठ महीने बाद 2013 में खराब बुकिंग के कारण कंपनी द्वारा सभी उड़ान संचालन को निलंबित कर दिया गया। 

10. एयर कार्निवाल: वेतन नहीं दे पा रही थी कंपनी

कोयम्बटूर मरीन कॉलेज (सीएमसी) समूह द्वारा प्रमोटेड एयर कार्निवल चार्टर्ड उड़ानों पर फोकस करने के साथ 2013 में शुरू की गई एक भारतीय क्षेत्रीय एयरलाइन थी। इसने 2016 में अपनी यात्री सेवाएं शुरू कीं। बकाया और वेतन का भुगतान न करने के कारण इसके कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने के बाद इसने 2017 में अपना परिचालन बंद कर दिया।

11. एयर डेक्कन: छोटे शहरों को हवाई यात्रा का सुख देने वाली पहली एयर लाइन थी

अगस्त 2003 में कैप्टन गोपीनाथ ने छह एटीआर टर्बोप्रॉप के बेड़े के साथ एयर डेक्कन की स्थापना की। इसकी पहली उड़ान हैदराबाद और विजयवाड़ा के बीच थी। एयर डेक्कन पहला प्रमुख भारतीय वाहक था, जिसने वास्तव में भारत में टियर -1 और टियर-2 शहरों को जोड़ा और कम लागत वाले टिकटों की पेशकश की, लेकिन  कम लागत वाली दूसरी एयरलाइनों के आने और ईंधन की उच्च कीमतों के साथ, एयर डेक्कन का मार्केट शेयर गिरना शुरू हो गया। इसे किंगफिशर एयरलाइंस द्वारा अधिग्रहित किया गया। 2017 में, कैप्टन गोपीनाथ ने एयर डेक्कन नाम के अधिकारों को फिर से हासिल कर लिया और पश्चिमी भारत में एक क्षेत्रीय ऑपरेटर के रूप में शुरुआत की। इसे सरकार की UDAN योजना के तहत 34 रूट मिले हैं, लेकिन कोविड लॉकडाउन के बाद एयरलाइन ने अपना परिचालन अनिश्चित काल के लिए बंद कर दिया।

12. एमडीएलआर एयरलाइंस: शुद्ध शाकाहारी भोजन का किया था वादा 

एयरलाइन ने 2007 में अपनी शुरुआत की और मुरली धर लाख राम (एमडीएलआर) समूह द्वारा नियंत्रित किया गया। इसने अपने यात्रियों को ‘शुद्ध शाकाहारी भोजन’ का वादा करते हुए फुल-सर्विस मॉडल की कोशिश की, लेकिन अपने विमान के लिए लीज पेमेंट से चूक गया। इसने 2009 में अपना परिचालन बंद कर दिया।

13. ईस्ट वेस्ट एयरलाइंस: कर्जों के बोझा के नीचे दब गई कंपनी

ईस्ट वेस्ट एयरलाइंस ने 1992 में अपना परिचालन शुरू किया और केंद्र से एयर ऑपरेटर परमिट (एओपी) प्राप्त करने वाली पहली निजी कंपनियों में से एक है। यह लगभग 37 वर्षों के बाद संचालित होने वाली भारत की पहली राष्ट्रीय स्तर की निजी एयरलाइन थी, जिसका त्रिवेंद्रम में मुख्यालय था। 1996 में लंबित ऋणों के कारण इसने अपना परिचालन बंद कर दिया।

14. मोदीलुफ्त: जर्मनी की लुफ्थांसा से मिलाया हाथ और छूटते ही सबकुछ खत्म

दिल्ली में स्थित ModiLuft को अप्रैल 1993 में भारतीय उद्योगपति एस के मोदी द्वारा लॉन्च किया गया था, जिसका उद्देश्य विदेशी एयरलाइंस के साथ हाथ मिलाकर चलाना था। उन्होंने जर्मनी की लुफ्थांसा के साथ करार किया। जर्मन एयरलाइन ने पायलट दिए और इन्होंने मोदीलुफ्त के भारतीय कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया। इसमें पायलट, केबिन क्रू, मैकेनिक और ग्राउंड पैसेंजर हैंडलिंग स्टाफ शामिल थे। Lufthansa Technik ने रखरखाव, ओवरहाल और पुर्जों की सहायता दी। 1996 में सबकुछ खत्म हो गया, जब ModiLuft ने आरोप लगाया कि लुफ्थांसा अपनी फंडिंग प्रतिबद्धता को पूरा नहीं कर रहा है। लुफ्थांसा ने कहा कि मोदीलुफ्ट ने पट्टे के भुगतान में चूक की और साझेदारी को समाप्त कर दिया।

15. कलिंगा एयरलाइंस,जिसकी स्थापना बीजू पटनायक ने की थी

पायलट और राजनीतिज्ञ बीजू पटनायक द्वारा स्थापित कलिंगा एयरलाइंस भारत की पहली निजी एयरलाइनों में से एक थी। इसकी स्थापना 1947 में हुई थी और यह कोलकाता में स्थित था। 1953 में अन्य एयरलाइनों के साथ कलिंग का राष्ट्रीयकरण किया गया। 1957 में यह अंततः इंडियन एयरलाइंस के साथ विलय हो गया।

ये एयरलाइनें भी हो चुकी हैं बंद

बंद हो चुकी एयरलाइनों की सूची कईऔर भी हैं। इनमें एयर कोस्टा, एयर इंडिया कार्गो, एयर ओडिशा, एयर सर्विसेज ऑफ इंडिया, अंबिका एयरलाइंस, अर्चना एयरवेज, आर्यन कार्गो एक्सप्रेस, छत्तीसगढ़ एयर लिंक, क्रिसेंट एयर कार्गो, दमनिया एयरवेज, दरभंगा एविएशन, डेक्कन 360 शामिल हैं। एल्बी एयरलाइंस, फ्लाई हॉर्नबिल, फ्लाई ईजी, गुजरात एयरवेज, हिमालयन एविएशन, हिंदुजा कार्गो सर्विसेज, इंडियन नेशनल एयरवेज, इंडस एयर, जैगसन एयरलाइंस, जैमेयर, जेटलाइट, कैराली एयरलाइंस, केरल सीप्लेन, मिस्त्री एयरवेज, एनईपीसी एयरलाइंस, पुष्पक एविएशन आदि।

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