IT ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए जारी किया CII इंडेक्स, जानिए टैक्स कैलकुलेशन में इसका महत्व…
नई दिल्ली, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से वित्त वर्ष 2023-24 के लिए कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स (Cost Inflation Index -(CII)) को जारी कर दिया गया है। इसका उपयोग स्थाई संपत्तियों, सिक्योरिटीज और ज्वेलरी की बिक्री के कारण हुए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन की गणना करने के लिए किया जाता है।
बता दें, कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स (CII) को करदाता की ओर से कैपिटल एसेट्स की बिक्री से हुए लाभ की गणना करने के लिए उपयोग किया जाता है। इसमें लाभ की गणना करते समय महंगाई को भी समायोजित किया जाता है।
CBDT ने जारी किया नोटिस
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (Central Board of Direct Taxes (CBDT)) की ओर से जारी नोटिस में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2023-23 के लिए सीआईआई 348 होगा। आमतौर पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से सीआईआई की घोषणा प्रतिवर्ष जून के महीने में की जाती है। पिछले वित्त वर्ष के लिए सीआईआई 331 था, जबकि वित्त वर्ष 2021-22 के लिए 317 था।
करदाताओं को मिलेगी राहत
इस साल कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स को तीन महीने पहले से जारी कर दिया गया है। इससे करदाताओं को राहत मिलेगी और वे चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के लिए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन का आसानी से जल्दी गणना कर पाएंगे।
CII प्रतिवर्ष होती है जारी
इनकम टैक्स एक्ट 1961 के तहत कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स को हर साल जारी किया जाता है। किसी भी संपत्ति को बेचने पर लॉग्न टर्म कैपिटल गेन तब माना जाता है, जब करदाता ने उसे कम से कम 36 महीने अपने पास रखा हो, हालांकि स्थायी संपत्तियों के लिए ये सीमा 24 महीने और सूचीबद्ध सिक्योरिटीज के लिए ये सीमा 12 महीने है।
CII से करदाता को होता है लाभ
समय के साथ- साथ संपत्तियों के दामों में इजाफा होता है और महंगाई बढ़ने के साथ क्रय शक्ति भी कम हो जाती है। सीआईआई की मदद से करदाता को संपत्ति बेचने के बाद हुए लाभ में से महंगाई को समायोजित कर दिया जाता है। इस कारण करदाता को टैक्स कम अदा करना पड़ता है।