चीन ने US थिंक टैंक हडसन इंस्टीट्यूट और रीगन लाइब्रेरी पर लगाया प्रतिबंध, जानिए वजह…

ताइपे, अमेरिकी रिपब्लिकन हाउस के अध्यक्ष केविन मैककार्थी और ताइवान की राष्ट्रपति के बीच हुई बैठक के बाद से चीन तिलमिला उठा है। आज इसी का बदला लेते हुए चीन ने रोनाल्ड रीगन प्रेसिडेंशियल लाइब्रेरी और अन्य अमेरिकी और एशियाई-आधारित संगठनों के खिलाफ प्रतिबंध लगा दिया है।

रीगन लाइब्रेरी दुर्लभ उच्च-स्तरीय द्विदलीय बैठक का स्थल है, जिसकी मेजबानी रिपब्लिकन हाउस के अध्यक्ष केविन मैककार्थी ने इस सप्ताह ताइवान के राष्ट्रपति साई इंग-वेन के साथ बातचीत के लिए की थी। यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब अमेरिका-चीन संबंध लगातार बिगड़ रहे हैं। इस बीच ताइवान और चीन के बीच भी तनाव बढ़ गया है।

हडसन इंस्टीट्यूट पर भी कार्रवाई

चीन के विदेश मंत्रालय ने घोषणा की कि हडसन इंस्टीट्यूट थिंक टैंक और रीगन लाइब्रेरी को ताइवान के खिलाफ अलगाववादी गतिविधियों को एक मंच प्रदान करने के चलते प्रतिबंधित किया गया है। संगठनों के साथ इस बैठक में नेतृत्व की भूमिका में चार व्यक्तियों को भी बैन किया गया है।

हडसन इंस्टीट्यूट के निदेशक मंडल की अध्यक्ष सारा मे स्टर्न, हडसन संस्थान के निदेशक जॉन पी वाल्टर्स, रीगन फाउंडेशन के पूर्व कार्यकारी निदेशक जॉन हेबुश, रीगन फाउंडेशन के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी जोआन एम. ड्रेक पर बैन लगाया गया है। चीन ने इसी के साथ कहा कि चीन में इन सब की कोई भी संपत्ति या वित्तीय संपत्ति भी जब्त कर ली जाएगी। 

ताइवान मामले पर चीन के अमेरिका से बिगड़ रहे रिश्ते

बता दें कि चीन विदेशी सरकारों और ताइवान के बीच किसी भी आधिकारिक बैठक को ताइपे की वैश्विक स्थिति को बदलने के प्रयास के रूप में देखता है और इस प्रकार द्वीप पर चीन के राज के दावों का उल्लंघन करता है। चीन ने अमेरिका के साथ बातचीत के लिए ताइपे के खिलाफ पहले जवाबी कार्रवाई की थी।

चीन के ताइवान मामलों के कार्यालय ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि हम ताइवान की स्वतंत्रता की अलगाववादी ताकतों और उनके कार्यों को दंडित करने के लिए बड़े कदम उठाएंगे और हमारे देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करेंगे।

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