सुहागन स्त्रीयां इन देवी मां के नहीं कर सकती दर्शन, जानिए वजह…

22 मार्च से चैत्र नवरात्रि का शुंभारंभ हो गया है। आज हम आपको ऐसी माता के बारे में बताने जा रहे है जिनके हर दिन दर्शन नहीं कर सकते है। जी हा, यहाँ हम धूमावती माँ की बता कर रहे है…

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, एक बार माता पार्वती को भूख लगी तो उन्होंने अपने पति यानी महादेव से भोजन मांगा। महादेव के समाधि में लीन होने के कारण उनकी इच्छा पूरी नहीं हुई। इस पर माता ने गुस्से में महादेव को ही निगल लिया। चूंकि महादेव ने हलाहल विष का पान किया था, तो माता के शरीर से धुआं निकलने लगा। तभी से माता का नाम धूमावती पड़ गया। वहीं, पति को निगलने की वजह से माता विधवा स्वरूप हो गईं। 

वही सौभाग्यवती महिलाओं को माता का दर्शन मना है। सुहागिनें माता के दर्शन नहीं करती हैं। ऐसा देवी के वैधव्य रूप के कारण है। हालांकि पुजारी के अनुसार, ऐसा नहीं है। सुहागिनों को सिर्फ माता की प्रतिमा छूना मना है। बाकी पूजा का निषेध नहीं है। जो महाकाल भगवान शंकर को उदर में धारण कर सकती हैं। वह महिलाओं के सौभाग्य भक्षक काल को भी निगल कर चिर सौभाग्य का वरदान देती हैं। सौभाग्यवती महिलाओं के अतिरिक्त विधवा, विधुर, कन्याएं और बालक माता को स्पर्श भी कर सकते हैं। माता की यह प्रतिमा रूप श्री नैमिषारण्य के कालीपीठ संस्थान में स्थित है। 

दस महाविद्या उग्र देवी धूमावती देवी का स्वरूप विधवा का है। इनका वाहन कौवा है। माता सफेद वस्त्र धारण किए हुए हैं। खुले केश उनके रूप को और भी खतरनाक बना देते हैं। यही वजह है कि मां धूमावती के प्रतिदिन दर्शन न करने की परंपरा है। शनिवार को काले कपडे़ में काले तिल मां के चरणों में भेंट किये जाते हैं। मां के दर्शन कर मानचाहे फल की प्राप्ति होती है। 

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