भारत की एक ऐसी जगह जहां न धर्म है, न पैसा और न ही कोई सरकार, कोई भी कर सकता है निवास, लेकिन…

कैश के बदौलत हम दुनिया के किसी भी कोने में जा सकते हैं, कुछ भी खरीद सकते हैं और जो चाहिए उसका इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन अगर हम आपसे कहें कि भारत में एक ऐसा शहर है जहां कैश का कोई मोल नहीं है, तो आप क्या कहेंगे? सुनने में थोड़ा अजीब जरूर लग रहा है, लेकिन यह सत्य है। देश में एक ऐसा भी शहर है जहां न तो कोई धर्म है, न कैश है और ना ही कोई सरकार। आइए जानते हैं इस शहर के बारे में।

कब की गई थी इसकी स्थापना?

इस शहर का नाम ऑरोविले (Auroville) है। इसकी स्थापना वर्ष 1968 में की गई थी। चेन्नई शहर से करीब 150 किलोमीटर दूर ये शहर बसा है। इस जगह को ‘सिटी ऑफ डॉन’ यानी भोर का शहर कहा जाता है। इस शहर को बसाने के पीछे का मकसद ये था कि यहां पर लोग बिना किसी जात-पात, ऊंच-नीच और भेदभाव के रह सके। यहां कोई भी इंसान आकर बस सकता है। लेकिन इसके लिए एक शर्त को फॉलो करना होता है।

यहां सेवल के तौर पर रहना होता है

शर्त सिर्फ इतनी सी है कि यहां जो भी लोग रहना चाहते हैं उन्हें सेवक के तौर पर रहना होता है। इस शहर की स्थापना मीरा अल्फाजों ने की है। मीरा 29 मार्च 1914 को श्री अरविंदो स्प्रिचुअल रिट्रीट में पुदुच्चेरी आई थी। कुछ दिन यहां गुजारने के बाद वे जापान चली गई। हालांकि, एक बार फिर 1920 में वो वापस भारत लौटी और 1924 में श्री अरविंदो स्प्रिचुअल संस्थान से जुड़ गई। संस्थान के साथ जुड़कर वो जनसेवा के कार्य करने लगी। तब लोग उन्हें ‘मां’ कहकर पुकारते थे।

इस कारण से की गई सिटी की स्थापना

वर्ष 1968 में उन्होंने ऑरोविल शहर की स्थापना की, जिसे उन्होंने यूनिवर्सल सिटी (Universal City) का नाम दिया। इस सिटी में कोई भी आकर रह सकता है। वर्तमान में इस शहर में करीब 50 देशों के लोग रहते हैं और यहां की आबादी लगभग 25 हजार के करीब है। इस शहर का नाम ‘ओरोविले’ इसलिए रखा गया, क्योंकि इसका मतलब होता है, जहां सभी दशों के स्त्री-पुरूष बिना किसी जाति बंधन के, राजनीति तथा सभी राष्ट्रीयता से ऊपर उठकर शांति और प्रगतिशील सद्भावना से रह सकें।

भारत सरकार ने भी इस शहर को समर्थन दिया है

साल 2015 के बाद इस शहर के आकार में काफी बदलाव आया और इस जगह को काफी सराहना मिलने लगी। यहां न तो कोई मंदिर है और न ही आपको किसी देवता की तस्वीर या मूर्ति देखने को मिलेगी। यहां धर्म से जुड़े भगवान की पूजा नहीं होती। यहां लोग सिर्फ योगा करने आते हैं। यूनेस्को ने भी इस शहर की प्रशंसा की है। इस शहर को भारत सरकार ने भी समर्थन दिया है। भारत के राष्ट्रपति रहते हुए डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम और प्रतिभा पाटिल भी यहां का दौरा कर चुकी हैं।

यहां खुद का बैंक है

इस शहर के लोगों ने कई वर्षों से कैश की शक्ल तक नहीं देखी है। ऐसे में आपके मन में अब सवाल उठ रहा होगा कि आखिर यहां के लोग अपना जीवनयापन कैसे करते हैं? बता दें कि करीब 35 साल पहले इस शहर में एक फाइनेंशियल सर्विस सेंटर को स्टार्ट किया गया था। RBI ने इसके लिए मंजूरी दी थी। सर्विस सेंटर एक बैंक की तरह ही काम करता है। इस बैंक में रहने वाले लोग अपना पैसा ऑनलाइन या ऑफलाइन जमा करा देते हैं।

नंबर से आप खरीदारी कर सकते हैं

इसके बदले में उन्हें ऑरोविले फाइनेंशियल सर्विस की तरफ से एक अकाउंट नंबर दिया जाता है। इस नंबर से आप ऑरोविले के करीब 200 कमर्शियल सेंटर और छोटी-बड़ी दुकानों में खरीदारी कर सकते हैं। वहीं अगर कोई यहां गेस्ट बनकर आता है, तो उसे डेबिट कार्ड की तरह एक ऑरो कार्ड जारी किया जाता है। कुल मिलाकर कहें तो ऑरोविले की सीमा के अंदर की दुकानों पर कैश से पेमेंट का कोई सिस्टम नहीं है।

यहां न तो कोई पुलिस है और न ही मेयर

यहां के लोग अलग तरह की जिंदगी जीते हैं। इन्हें दुनिया की किसी बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है। इस शहर की व्यवस्था को देखने के लिए ना तो कई पुलिस है ना ही मेयर। यहां ज्यादातर टूरिस्ट और ट्रैवलर रहते हैं। यहां का माहौल भी खास और एनर्जी से भरा हुआ है। यहां आने के बाद लोग दी गई जिम्मेदारियों को निभाते हैं। ज्यादातर उनका समय योग में बितता है।

मातृमंदिर है आकर्षण का केंद्र

शहर के बीचोंबीच एक मातृमंदिर है। जिसे एक उत्कृष्ट और मौलिक स्थापत्य उपलब्धि के रूप में जाना जाता है। मातृमंदिर का आंतरिक गर्भगृह केवल ओरोविलियन यानी वहां के निवासियों के लिए ही खुलता है। मंदिर एक समर्पित ध्यान और एकाग्रता का क्षेत्र है। यहां इस तरह से ध्यान लगाने के लिए नियम बनाए गए हैं, कि आगंतुक को कोई परेशानी न हो। मातृमंदिर की खूबसूरती भी आपको आकर्षित करती है।

आंतरिक दिक्कतों को निपटारा खुद ही करते हैं

यहां 900 की क्षमता वाली एक असेंबली भी है। यहां की आतंरिक दिक्कतों का निपटारा खुद यहीं के लोग करते हैं। यहां बसे लोग एक-दूसरे की भाषा नहीं समझ पाते इसके बावजूद वे अपना सारा काम बिना रूकावट के करते हैं। यहां एक बीच भी है। जिसे सबसे शांत और खूबसूरत समुद्र तटों में से एक माना जाता है। यहां पानी में किसी को नहाने नहीं दिया जाता है। शांति पसंद लोगों को यह स्थान काफी आकर्षित करता है। दुनियाभर से लोग यहां आकर घंटों तक बीच के सुकून का आनंद उठाते हैं।

ऑरोविले बॉटनिकल गार्डन

बीच के अलावा यहां एक ऑरोविले बॉटनिकल गार्डन भी है। जिसे एक बंजर भूमि पर बनाया गया है। वर्तमान में ये अपनी तरह का सबसे सुंदर और बड़ा वनस्पति उद्यान बन गया है। इसे वर्ष 2000 में एक परियोजना के रूप में शुरू किया गया था, जो करीब 50 एकड़ में फैला हुआ है। ऑरोविले बॉटनिकल गार्डन शांति प्रिय पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है। इसे शहर के भीतर सबसे हरे भरे स्थानों में से एक माना जाता है।

इस जगह का सबकुछ अपना है

इस जगह का अपना ही आर्किटेक्ट है। यहां इंडस्ट्री भी हैं और रिसर्च इंस्टिटयूट भी। यहां फार्म हाउस और रेस्तरां भी हैं। और तो और इस जगह का अपना ई-मेल नेटवर्क भी है।

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